सुकमा : सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के नक्सल प्रभावित क्षेत्र किस्टारम में बालक आश्रम है. इस आश्रम में आसपास के दर्जनों गांव के बच्चे रहकर पढ़ाई करते हैं. इसी आश्रम में पालाचलमा ग्राम पंचायत के तुमीरपाड़ का मासूम सोढ़ी जोगा भी पढ़ रहा था. जिसे सही समय पर इलाज नहीं मिला और उसकी मौत हो गई.बच्चे की मौत के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है.
परिजनों ने लगाए आरोप : स्थानीय नागरिक के मुताबिक साप्ताहिक बाजार में गांव से दैनिक सामान लेने के लिए ग्रामीण आते हैं. इसी बहाने आश्रम में बच्चों से भी मिल लेते है. इसी दौरान ग्रामीणों की नजर दर्द से तड़प रहे बच्चे पर पड़ी.जो बेहोशी की हालत में कहरा रहा था.जिसे ग्रामीणों ने तत्काल स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया.लेकिन हालत गंभीर होने पर बच्चे को जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी.लेकिन कर्मचारियों और आश्रम के प्यून ने बच्चे को भद्राचलम के सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया.
परिजनों को दी गई सूचना :बच्चे के बीमार होने की जानकारी स्थानीय युवाओं ने उनके परिजनों को दी. जिसके बाद परिजन भद्राचलम पहुंचे. बच्चे को देशी उपचार के लिए वापस गांव लाया जा रहा था. लेकिन मासूम बच्चा इतना गंभीर था कि आधे रास्ते में ही उसकी मौत हो गई.वहीं इस मामले में आश्रम अधीक्षक ने कार्रवाई की बात कही है.
''बीमारी से मौत होने की जानकारी मिली है. इस मामले की जांच गहराई से की जाएगी. जांच के बाद यदि आश्रम अधीक्षक दोषी पाए जाते हैं तो उन पर निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी.'' शरदचंद,सहायक आयुक्त,आदिवासी विकास शाखा
आपको बता दें कि आश्रम में बच्चे की मौत का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी पोटाकेबिन में जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण मासूम बच्चों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. सरकार और प्रशासन को इस ओर सख्त कदम उठाते हुए आदिवासी छात्रावासों की मॉनिटरिंग के साथ लापरवाही बरतने वाले अधीक्षकों पर कार्रवाई करनी चाहिए.
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