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छिंदवाड़ा का ऐसा स्कूल जहां महज 64 छात्राओं को पढ़ाने के लिए 14 टीचर्स

छिंदवाड़ा में चंदनगांव के स्कूल में कमरे के अभाव में बरामदे में क्लास लगती हैं. कमरे भले नहीं हों लेकिन टीचर्स बड़ी संख्या में हैं.

MP more teachers urban schools
छिंदवाड़ा में चंदनगांव के स्कूल में 64 छात्राओं के लिए 14 टीचर्स (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 9, 2024, 10:46 AM IST

छिंदवाड़ा : मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों के हाल बेहाल हैं. ग्रामीण इलाकों में जहां शिक्षकों की भारी कमी है तो शहर और शहर के आसपास के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या निर्धारित पदों से बहुत ज्यादा है. छिंदवाड़ा के चंदनगांव में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुछ साल पहले ही शुरू किया गया है. यहां पर एक हायर सेकेंड्री स्कूल पहले से है. इसके बाद भी एक और स्कूल खोल दिया गया. खास बात ये है कि चंदनगांव शहर से सटे होने के कारण यहां शिक्षकों की संख्या ज्यादा है. हालत ये है कि केवल 64 छात्राओं को पढ़ाने के लिए यहां 14 टीचर तैनात हैं.

शहर के स्कूलों में टीचर्स की संख्या थोक में

वहीं, इस कन्या शाला में सिर्फ 3 कमरे हैं. शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस स्कूल की आवश्यकता नहीं थी. यहां सुविधाएं नहीं हैं. शहर का स्कूल होने का नतीजा है कि यहां पर 14 शिक्षक पदस्थ हैं. हाल ही में दो शिक्षक जो अतिशेष थे, उन्हें वापस किया गया है जबकि प्राचार्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं. वहीं, छिंदवाड़ा जिले के सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जहां पर शिक्षक नहीं हैं. अतिथि शिक्षकों के भरोसे स्कूल संचालित किए जाते हैं. ऐसा नहीं है कि इन स्कूलों में परमानेंट टीचर की पोस्टिंग नहीं है, स्कूलों में परमानेंट टीचर की पोस्टिंग तो है लेकिन गांव में पढ़ाना नहीं चाहते और मिलीभगत से शहर के स्कूल में या आसपास अटैचमेंट करवा लिया जाता है.

MP more teachers urban schools
छिंदवाड़ा में चंदनगांव के स्कूल में बरामदे में लगती है क्लास (ETV BHARAT)

छिंदवाड़ा जिले के कई स्कूलों में पर्याप्त कमरे नहीं

छिंदवाड़ा जिले के सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है. कई स्कूल ऐसे हैं, जहां भवन है ही नहीं या फिर क्लासरूम बहुत कम हैं. इसी कारण कई स्कूलों में कक्षाएं स्कूल के बरामदे में लगाई जाती हैं. शहर के भरतादेव पर्यटन स्थल के आगे चंदनगांव स्थित शासकीय कन्या हायरसेकेंडरी में भी बरामदे में कक्षाएं लगाई जा रही हैं. ऐसा ही हाल चंदनगांव के पोला ग्राउंड के पास स्थित शासकीय माध्यमिक शाला का है, जहां पुराने भवन में कक्षाएं ना लगाकर पड़ोस के शासकीय स्कूल भवन में जैसे-तैसे लगाई जा रही हैं.

अटैचमेंट कराने वाले टीचर्स की लिस्ट बनेगी

भवन की समस्याओं से दोनों ही स्कूल ही नहीं जूझ रहे बल्कि जिले में कई ऐसे स्कूल हैं. स्कूलों के नए भवन की बात तो दूर इनमें मरम्मत नहीं हो पाई है. इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल ने बताया "कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने निर्देशित किया है कि जो भी शिक्षक मूल पद स्थापना में काम ना करके अटैचमेंट करवाएगा, ऐसे शिक्षकों को चिह्नित कर मूल पद स्थापना पर भेजने की प्रक्रिया की जा रही है."

छिंदवाड़ा : मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों के हाल बेहाल हैं. ग्रामीण इलाकों में जहां शिक्षकों की भारी कमी है तो शहर और शहर के आसपास के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या निर्धारित पदों से बहुत ज्यादा है. छिंदवाड़ा के चंदनगांव में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुछ साल पहले ही शुरू किया गया है. यहां पर एक हायर सेकेंड्री स्कूल पहले से है. इसके बाद भी एक और स्कूल खोल दिया गया. खास बात ये है कि चंदनगांव शहर से सटे होने के कारण यहां शिक्षकों की संख्या ज्यादा है. हालत ये है कि केवल 64 छात्राओं को पढ़ाने के लिए यहां 14 टीचर तैनात हैं.

शहर के स्कूलों में टीचर्स की संख्या थोक में

वहीं, इस कन्या शाला में सिर्फ 3 कमरे हैं. शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि इस स्कूल की आवश्यकता नहीं थी. यहां सुविधाएं नहीं हैं. शहर का स्कूल होने का नतीजा है कि यहां पर 14 शिक्षक पदस्थ हैं. हाल ही में दो शिक्षक जो अतिशेष थे, उन्हें वापस किया गया है जबकि प्राचार्य सेवानिवृत्त हो चुके हैं. वहीं, छिंदवाड़ा जिले के सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जहां पर शिक्षक नहीं हैं. अतिथि शिक्षकों के भरोसे स्कूल संचालित किए जाते हैं. ऐसा नहीं है कि इन स्कूलों में परमानेंट टीचर की पोस्टिंग नहीं है, स्कूलों में परमानेंट टीचर की पोस्टिंग तो है लेकिन गांव में पढ़ाना नहीं चाहते और मिलीभगत से शहर के स्कूल में या आसपास अटैचमेंट करवा लिया जाता है.

MP more teachers urban schools
छिंदवाड़ा में चंदनगांव के स्कूल में बरामदे में लगती है क्लास (ETV BHARAT)

छिंदवाड़ा जिले के कई स्कूलों में पर्याप्त कमरे नहीं

छिंदवाड़ा जिले के सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है. कई स्कूल ऐसे हैं, जहां भवन है ही नहीं या फिर क्लासरूम बहुत कम हैं. इसी कारण कई स्कूलों में कक्षाएं स्कूल के बरामदे में लगाई जाती हैं. शहर के भरतादेव पर्यटन स्थल के आगे चंदनगांव स्थित शासकीय कन्या हायरसेकेंडरी में भी बरामदे में कक्षाएं लगाई जा रही हैं. ऐसा ही हाल चंदनगांव के पोला ग्राउंड के पास स्थित शासकीय माध्यमिक शाला का है, जहां पुराने भवन में कक्षाएं ना लगाकर पड़ोस के शासकीय स्कूल भवन में जैसे-तैसे लगाई जा रही हैं.

अटैचमेंट कराने वाले टीचर्स की लिस्ट बनेगी

भवन की समस्याओं से दोनों ही स्कूल ही नहीं जूझ रहे बल्कि जिले में कई ऐसे स्कूल हैं. स्कूलों के नए भवन की बात तो दूर इनमें मरम्मत नहीं हो पाई है. इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल ने बताया "कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने निर्देशित किया है कि जो भी शिक्षक मूल पद स्थापना में काम ना करके अटैचमेंट करवाएगा, ऐसे शिक्षकों को चिह्नित कर मूल पद स्थापना पर भेजने की प्रक्रिया की जा रही है."

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