कवर्धा: छत्तीसगढ़ के वन्यजीव संरक्षण को एक नई दिशा देते हुए कबीरधाम जिले के भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है. रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल की मांग पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार को जरुरी निर्देश जारी किए हैं.
रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने 23 नवंबर 2024 को केंद्रीय वन मंत्री को पत्र लिखकर अनुशंसा की थी कि कबीरधाम जिले में स्थित भोरमदेव अभयारण्य, जो कान्हा टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, इसे टाइगर रिजर्व बनाया जाना चाहिए. यह वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होगा. केंद्रीय वन मंत्री के माध्यम से NTCA ने राज्य सरकार को निर्देश जारी किया हैं, जिससे इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
भोरमदेव टाइगर रिजर्व के रूप में यह क्षेत्र कान्हा-अचानकमार कारीडोर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा. जिससे बाघों के सुरक्षित आवागमन को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा, बारासिंगा सहित अन्य दुर्लभ वन्यजीवों के संरक्षण में भी यह क्षेत्र अहम भूमिका निभाएगा.
क्या कहते हैं अधिकारी: कवर्धा वन मंडल अधिकारी शशि कुमार ने बताया कि सरकार के द्वारा उन्हें भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर पत्र के माध्यम से सुझाव मांगा गया है. इस संबंध में हम जल्द ही सरकार को जवाब प्रस्तुत करेंगे.
पहले हो चुका है विरोध: साल 2014 में तत्कालीन भाजपा सरकार के दौरान भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने के फैसला के खिलाफ कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर ने विरोध किया था. उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने से 39 गांव के 17 हजार 566 लोग को विस्थापित करना पड़ेगा, जिससे बैगा आदिवासियों की प्राचीन संस्कृति को चोट पहुंचाने का हवाला दिया गया था.
साल 2018 चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार आई. जिसमें आगे चलकर मोहम्मद अकबर को वनमंत्री बनाया गया. इसके बाद बीजेपी सरकार के पुराने निर्णय को बदलने का फैसला लिया गया. मोहम्मद अकबर के प्रयास से राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक 24 नवंबर 2019 में बुलाई गई. जिसमें कवर्धा के भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने का निर्णय लिया गया था. हाईकोर्ट ने भी टाइगर रिजर्व बनाने के पक्ष में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया था.
टाइगर रिजर्व बनने के फायदे: वन्यजीव एक्सपर्ट का मानना है कि भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का फैसला महत्वपूर्ण है. इससे बाघों के अलावा तेंदुआ, भालू, वन भैंसा, हिरण, सांभर जैसे अन्य वन्यजीव को सुरक्षित स्थान मिलेगा. इसके साथ ही जंगलों में मानव दखल कम होगा. इससे तेजी से घट रहे वनों को बचाया जा सकेगा.
टाइगर रिजर्व बनने से नुकसान: जानकारों की मानें तो टाइगर रिजर्व बनने से कोर एरिया में आने वाले 39 गांव को विस्थापित करना पड़ेगा. इससे पीढ़ियों से निवास करने वाले 17 हजार 566 आदिवासियों को उनके मूल स्थान से हटाकर कहीं और ले जाया जाएगा, जिसमें बैगा जनजाति से जुड़े लोगों की संख्या ज्यादा है. आदिवासियों के विस्थापन से उनकी प्राचीन संस्कृति, वनों के साथ उनके संबंधों को भी चोट पहुंच सकती है.