रायपुर: केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन जारी करने के बाद देश में CAA लागू हो गया है. लेकिन इसमें एक समुदाय को शामिल नहीं किया गया है. जिसको लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीति तेज हो गई है. एक ओर बीजेपी विदेश से आए लोगों को भारत की नागरिकता देने की बात कह रही है. दूसरी ओर कांग्रेस इसे जन सरोकार के मुद्दों से जनता का ध्यान भटकने का तरीका बता रही है. वहीं राजनीतिक जानकार इसे अच्छी पहल बता रहे हैं, लेकिन एक समुदाय को छोड़ने पर आपत्ति भी जाता रहे हैं.
पहले भी विदेशियों को दी जाती थी नागरिकता: कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, "जन सरोकार के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए सीएए भाजपा की नौटंकी है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. पहले भी दूसरे देश से जो लोग हिंदुस्तान आते थे, उनके लिए भारत की नागरिकता हासिल करना बहुत ज्यादा कठिन काम नहीं था. यदि वैध तरीके से किसी ने भारत में प्रवेश किया है, तो उसे नागरिकता मिलती रही है. बहुत लचीला संविधान है, सीएए लागू करके यह सिर्फ नौटंकी कर रहे हैं और कुछ नहीं है."
यह राजनीतिक समीकरण के उद्देश्य से किया गया है. एक विशेष समुदाय को भी क्या फर्क पड़ना है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. कौन सा मुसलमान पाकिस्तान से हिंदुस्तान में बसने आ रहा है या फिर कौन मुसलमान अफगानिस्तान से हिंदुस्तान में बसने आ रहा है. यह सिर्फ राजनीतिक नौटंकी है और कुछ नहीं. - सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस मीडिया विभाग
छत्तीसगढ़ में बसे लोगों को भी मिलेगी नागरिकता: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता नवीन मारकंडे ने कहा, "यह उन लोगों के लिए बनाया गया है जो हमारे लोग बंटवारे के समय या किसी वजह से अलग-अलग देश में बसे हैं. जब वे यहां वापस आते हैं तो हम उन्हें नागरिकता नहीं दे पाते हैं और कहीं ना कहीं उनका जीवन बद से बदतर हो जाता है. मानव जीवन को सुरक्षित करने के लिए, उनको संबल देने के लिए नागरिकता देना बहुत जरूरी है और हम इसका स्वागत करते हैं. इसका लाभ छत्तीसगढ़ के उन लोगों को भी मिलेगा, जो अन्य देशों से आकर यहां रह रहे हैं.
मुस्लिम समुदाय को इसमें अलग नहीं रखा गया है. हम किसी की नागरिकता को छीनेंगे नहीं, हम दे रहे हैं. अब रही मुस्लिम समुदाय की बात है, बाहर से मुस्लिम हमारे देश में आ ही नहीं रहे हैं. जो आ रहे हैं, वह अवैध तरीके से आ रहे हैं. जो बांग्लादेशी घुसपैठ के तरीके से आ रहे हैं. सीएए आने से उनका चिन्हांकन होगा. तो उनका निर्णय भी लिया जाएगा. - नवीन मार्कंडेय, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
"एक समुदाय को अलग रखना गले नहीं उतर रहा": राजनीतिक जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का कहना है कि, "वास्तव में जो विभिन्न देशों से शरणार्थी आए हुए हैं, वह परिस्थिति के मारे हुए लोग हैं. मानवीय दृष्टिकोण से उनके प्रति उदार होना जरूरी है. जो यह निर्णय हुआ तो वह स्वागत योग्य है. इसमें हिंदू, सिख और क्रिश्चियन कम्युनिटी को रखा गया है. लेकिन मुस्लिम कम्युनिटी को अलग रखना लोगों के गले नहीं उतर रहा है. इसका जवाब आना चाहिए कि आखिर किन कारणों से उन्हें अलग रखा गया है. यदि कहीं कोई आपत्ति या दिक्कत है, तो जांचने, परखने, परीक्षण, निरीक्षण किये जा सकते हैं. इस पर विचार करके कहीं ना कहीं रास्ता खोजा जा सकता है.
छत्तीसगढ़ में 63 हजार से अधिक शरणार्थी: जानकारी के मुताबिक, सीएए लागू होने से छत्तीसगढ़ के करीब 63000 से ज्यादा शरणार्थी लाभान्वित होंगे. यह वे शरणार्थी हैं, जो लगभग 50-60 साल से छत्तीसगढ़ में रह रहे हैं, लेकिन उनके पास भारत की नागरिकता नहीं है. सभी शरणार्थी रेजिडेंट परमिट या फिर वीजा लेकर यहां पर बसे हुए हैं. कई लोगों के पास तो दस्तावेज भी नहीं है.
2014 के पहले करीब 62 हजार शरणार्थी आए: जानकारी के मुताबिक, साल 2014 के पहले आये हुए 62 हजार 890 लोग छत्तीसगढ़ में बिना भारत की नागरिकता के रह रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थी शामिल हैं. वही रायपुर की बात की जाए तो यहां 1 हजार 625 से ज्यादा पाकिस्तानी शरणार्थी हैं, जिनके पास रेजिडेंस परमिट और वीजा है. वहीं 1100 से ज्यादा बांग्लादेशी शरणार्थी हैं, जिनके पास दस्तावेज भी ही नहीं है.
पखांजूर में सबसे ज्यादा बांग्लादेशी शरणार्थी: जानकारी के मुताबिक, बस्तर इलाके में 31 अक्टूबर 1979 तक 18 हजार 458 शरणार्थियों को बसाया गया. इनके लिए मूलभूत सुविधाएं सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, जमीन सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा, सड़क निर्माण जैसे विकास के कई काम किए गए. कांकेर के पंखाजूर में भी बांग्लादेशी शरणार्थियों को बसाया गया था. पंखाजूर के 295 गांव में से 133 गांव में बांग्लादेशी शरणार्थी अभी रहते हैं. इसी तरह रायपुर के माना थाना क्षेत्र की बात की जाए तो वहां 500 से ज्यादा परिवार को बसाया गया था, जिनकी आबादी अब दोगुनी से ज्यादा हो गई है.