बिलासपुर: बीएड करने वाले सहायक शिक्षकों को मंगलवार को बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया. कोर्ट ने न सिर्फ बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों की नियुक्ति को निरस्त किया बल्कि डीएड पास छात्रों को मौका देने का आदेश भी शासन को दिया. डीएड प्रशिक्षित अभ्यर्थी विकास सिंह, युवराज सिंह सहित कई छात्रों ने अपने अपने वकीलों के जरिए हाईकोर्ट में अपनी याचिकाएं लगाई थी.
सहायक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त: याचिका में बताया गया कि चार मई 2023 को सहायक शिक्षकों के तकरीबन 6 हजार 5 सौ पदों पर भर्ती के लिए शासन ने विज्ञापन जारी किया . 10 जून को इसके लिए परीक्षा आयोजित की. परीक्षा में बीएड और डीएड प्रशिक्षित छात्र शामिल हुए. याचिका में कोर्ट को बताया गया है कि प्राइमरी स्कूल के बच्चों के पढ़ाई लिखाई के लिए डीएड पाठ्यक्रम में विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. बीएड पाठ्यक्रम में उच्चतर कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई के संबंध में ट्रेनिंग दिया जाता है. स्कूल शिक्षा विभाग ने नियमों में संशोधन किया है. संसोधित नियमों के मुताबिक सहायक शिक्षक की भर्ती के लिए स्नातक और बीएड या डीएड को अनिवार्य योग्यता के रूप में शामिल किया है. वहीं बीएड प्रशिक्षितों को भर्ती में शामिल करना पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है. उनको हायर सेकेंडरी के छात्रों को पढ़ाने के लिए ट्रेनिंग दी गई है नहीं प्राइमरी कक्षाओं के लिए ट्रेनिंग दी गई है.
याचिकाकर्ताओं की दलील: कोर्ट को बताया गया है कि बीएड डिग्री धारी को जिस पढ़ाई की ट्रेनिंग ही नहीं दी गई है उसे वह कैसे पढ़ाएंगे. क्या वह बच्चों का भविष्य खराब कर सकते है. सुप्रीम कोर्ट ने भी शिक्षकों की भर्ती पर यही आदेश जारी किया है. यह भी तर्क दिया गया कि बीएड अभ्यर्थियों को सहायक शिक्षक बनाने से निचली स्तर की पढ़ाई पर खासा असर पड़ेगा. पूर्व में ही हाईकोर्ट ने भर्ती के लिए काउंसिलिंग पर रोक लगाई थी.