नई दिल्ली/रायपुर : नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान के भारत मंडपम में प्री-बजट बैठक हुई. इस बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के साथ-साथ अन्य राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हुए. बैठक में छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने भारत की अर्थव्यवस्था की प्रगति और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर उठाए गए कदमों की प्रशंसा की.
कैपिटल प्रोजेक्ट के संबंध में रखा सुझाव : छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने देश में कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रशासन और सार्वजनिक सुविधाओं के क्षेत्र में किए जा रहे विकास कार्यों की प्रशंसा की. वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने 'राज्यों को पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता योजना' का जिक्र भी किया. ओपी चौधरी ने कहा, "इसके तहत भाग-1 के तहत एक लाख करोड़ रुपये आवंटित किए जाने हैं. अंतरिम बजट 2024-25 में इस योजना के लिए पिछले साल की तरह ही 1,30,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, लेकिन भाग-1 के तहत आवंटन को एक लाख करोड़ रुपये से संशोधित कर 55,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है."
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने केंद्रीय वित्त मंत्री से पिछले वर्षों की तरह आवंटन को एक लाख करोड़ रुपये पर बनाए रखने का आग्रह किया, ताकि इससे चल रही पूंजी परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से समर्थन मिले. ओपी चौधरी ने सुझाव दिया कि शेष राशि को सुधार आधारित प्रोत्साहन और विशेष परियोजनाओं के रूप में राज्य की पूंजी के लिए रखा जा सकता है.
टेक्सटाइल पार्क और एक मेडिकल डिवाइस पार्क की मांग : इस योजना को पहली बार वित्तीय वर्ष 2020-21 में लॉन्च किया गया था, जिसके तहत 50 साल का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया जाता है. योजना के तहत आठ भागों में आवंटन किया जाता है. वित्त मंत्री ने राज्य में विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक टेक्सटाइल पार्क और एक मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित करने की मंजूरी मांगी.
ओपी चौधरी ने कहा, "पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपरेल पार्क्स (पीएम मित्र) के तहत छत्तीसगढ़ में टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने का प्रस्ताव मार्च 2022 में भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय को भेजा गया है, लेकिन इसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है. इसके अलावा राज्य में मेडिकल डिवाइस पार्क की स्थापना के लिए भी सितंबर 2020 में भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है, जिसकी मंजूरी अपेक्षित है."
कई योजनाओं और मेंटनेस के लिए बजट की मांग : ओपी चौधरी ने केंद्रीय सुरक्षा बलों के शिविरों सहित वन, दुर्गम और मलिन बस्तियों में सड़कों के रखरखाव और निर्माण के लिए प्रावधान की भी मांग की. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बिखरी हुई आबादी के कारण राज्य के 20 हजार से अधिक गांवों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 40 हजार किलोमीटर से अधिक लंबाई की सड़कों का नेटवर्क बनाया गया है. इसके रखरखाव पर खर्च बहुत अधिक है.
उन्होंने बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल जरूरतों का समर्थन करने के लिए रायपुर में एक एकीकृत जराचिकित्सा स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के लिए धनराशि की मंजूरी मांगी. उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से मुद्रास्फीति दरों के अनुरूप प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना और आयुष्मान भारत पीएम जन आरोग्य योजना के तहत दरें बढ़ाने पर विचार करने का आग्रह किया.
नए एकलव्य और नवोदय विद्यालय की मांग : विभिन्न मंत्रालयों में छत्तीसगढ़ को लंबित भुगतान और मुआवजे पर केंद्र का ध्यान आकर्षित करते हुए ओपी चौधरी ने संबंधित मंत्रालयों / विभागों को आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध किया. ताकि राज्य के हित में राशि जल्द जारी की जा सके. उन्होंने राज्य की कनेक्टिविटी और पर्यटन क्षमता को बढ़ाने के लिए रायपुर हवाई अड्डे से अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाएं स्थापित करने के लिए समर्थन मांगा. चौधरी ने सभी आदिवासी विकास खंडों में एकलव्य विद्यालय और आकांक्षी जिलों में 2 नवोदय विद्यालय स्थापित करने का भी अनुरोध किया.
डीएमएफ फंड को लेकर कही बड़ी बात : वित्त मंत्री चौधरी ने छत्तीसगढ़ के संदर्भ में डीएमएफ (जिला खनिज निधि) नियमों को बदलने का आग्रह किया है. ताकि खनिज संपन्न जिलों के आसपास के क्षेत्रों का भी समान विकास सुनिश्चित किया जा सके. ओपी चौधरी ने कहा है कि, भारत सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए नए डीएमएफ (जिला खनिज निधि) नियमों के अनुसार, डीएमएफ का उपयोग केवल खदान क्षेत्र के 15 किलोमीटर के भीतर या खदान से 25 किलोमीटर की दूरी तक रहने वाले लोगों पर ही किया जा सकता है. पहले के नियमों के तहत डीएमएफ फंड का 75 प्रतिशत तक उसी जिले में खर्च किया जा सकता था, जिसमें खदान स्थित है. जबकि शेष 25 प्रतिशत पास के जिलों में भी खर्च किया जा सकता था.
हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ में कई नए जिले बने हैं, जिसके कारण आसपास के जिलों में विकास कार्यों के लिए डीएमएफ फंड को जरूरत के आधार पर खर्च करने की जरूरत बढ़ गई है। लेकिन डीएमएफ के नए नियमों में इस पर रोक लगाई गई है, जिससे आसपास के जिलों के विकास कार्यों में बाधा आ सकती है. इस नए नियम के कारण खनन क्षेत्रों से सटे जिलों में विकास परियोजनाओं के लिए धन की उपलब्धता में कमी आ सकती है, जिसके कारण वहां की आबादी को संभावित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी के सुझावों को सकारात्मक रूप से लिया. साथ ही राज्य के विकास तथा जनकल्याण कार्यों के लिए और अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया.
(एएनआई)