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उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न हुआ लोकआस्था का महापर्व छठ, हसदेव नदी के तट पर भक्तों का मेला - CHHATH PUJA KORBA

कोरबा में हसदेव नदी के तट पर हजारों छठ व्रती और उनके परिवार के लोग सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचे.

Chhath puja Korba
कोरबा में छठ पूजा (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 8, 2024, 10:14 AM IST

Updated : Nov 8, 2024, 10:25 AM IST

कोरबा: लोक आस्था के महापर्व छठ का शुक्रवार को चौथा और अंतिम दिन रहा. बीती शाम कोरबा में जीवनदायिनी हसदेव नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया. आज सुबह उगते सूर्य का अर्घ्य देकर यह महापर्व संपन्न हुआ. इसके अलावा भी कोरबा के अनेक घाटों में गुरुवार और शुक्रवार को छठ पूजा पर भगवान भूवन भास्कर को प्रथम और सुबह दूसरा अर्घ्य दिया गया.

छठ मइया के गीत गाकर श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य : हजारों की संख्या में श्रद्धालु और उनके परिजन सहित लोग घाटों पर पहुंचे. छठ घाटों पर छठी मइया के गीत गूंजते रहे. "दर्शन देहु हे छठी मइया.., कांच ही बांस के बहंगिया…, छोटी-मोटी चौकिया है सूरज देव, फुलवा छितराय.., तुलसी के चउरा चढ़ी बैठली छठि मईया…जैसे छठ महिमा के गीत से नगर के साथ साथ उपनगरीय और ग्रामीण अंचल में भी भक्तिभाव का माहौल बना रहा.

कोरबा में छठ पूजा (ETV Bharat Chhattisgarh)

कोरबा में इन घाटों पर मनाया गया छठ: छठ पर्व के लिए विशेष रूप से सजाए गए ढेंगुरनाला, सर्वमंगला मंदिर हसदेव नदी, तुलसी नगर घाट,मुड़ापार तालाब, शिवमंदिर एसईसीएल, मानिकपुर पोखरी, बालको, दर्री, बांकीमोंगरा, गेवरा-दीपका में बड़ी संख्या में लोगों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया. घाटों पर आतिशबाजी कर खुशियां मनाई गई. अपूर्व आस्था, समर्पण व श्रद्धा का पावन पर्व सूर्य षष्ठी छठ महापर्व मनाया गया.

Chhath puja Hasdeo river ghat Korba
कोरबा में छठ महापर्व (ETV Bharat Chhattisgarh)

प्रसाद में किसी एक फल को जीवन भर नहीं खाने का संकल्प : छठी माता को प्रसाद के रूप में व्रतियों द्वारा विविध प्रकार के फलों को अर्पित किया जाता है. कुछ व्रतियों ने माता को अर्पित किए गए प्रसाद में किसी एक फल को जीवन भर नहीं खाने का भी संकल्प लिया है. ऐसा छठी माता के सामने अपने परिवार की समृद्धि, खुशहाली के लिए लोग करते हैं. व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने पूजन सामग्री के रूप में नारियल, धूप, अगरबत्ती व घी के दीपक का उपयोग किया, वहीं सेब, संतरा, सिंगापुरी केला, पूजा केला, केला, डाब नीबू, बेदाना, पानीफल, गन्ना, सीताफल सहित अनेक फलों के साथ भगवान भास्कर को दूध, घी, दही से भी अर्घ्य देते हुए नमन किया.

Chhath puja Korba
हसदेव नदी घाट पर उगते सूर्य को अर्घ्य (ETV Bharat Chhattisgarh)

व्रतियों में जितना उत्साह बच्चे भी उतने ही उत्साहित : व्रत रखने वाली अनीता ने बताया कि छठ पर्व को लेकर जितना हम व्रतियों में उत्साह रहता है, उतना ही उत्साह घर के बच्चों में भी रहता है. काफी उत्साह और हर्ष उल्लास के साथ हम यह पर्व मनाते हैं. शाम को अर्घ्य देने के साथ आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देते ही छठ का महापर्व संपन्न हो जाएगा. इसके बाद प्रसाद का वितरण भी किया जाएगा.

Chhath puja Korba
छठ मइया के गीत गाकर श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य (ETV Bharat Chhattisgarh)

काफी कठिन उपवास रखना पड़ता है. शुद्धता का खास ध्यान रखते हैं, किसी भी तरह के मिलावट और लापरवाही नहीं होनी चाहिए. इस बात का खास ध्यान रखना पड़ता है. जो संस्कार हमारे पूर्वजों से हमें मिले हैं. हम उसे आगे बढ़ा रहे हैं: अनीता साहू, व्रती

मां सीता ने शुरू किया था छठ पर्व : छठ पर्व मनाने शहर के घाट पर मौजूद शहरवासी मुकेश ने बताया कि इस पर्व की शुरुआत प्रभु श्री राम और सीता माता ने की थी. जब राम, रावण वध कर वापस लौटे. तब सभी तरह के दोष से बचने और वंश आगे बढ़ाने के लिए माता सीता ने यह व्रत किया था. तभी से यह पर्व चल रहा है. इसमें व्रतियों को लगभग 36 घंटे का उपवास रखना पड़ता है. इसके बाद उगते सूरज अर्घ्य देकर यह त्यौहार संपन्न होता है.

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कोरबा: लोक आस्था के महापर्व छठ का शुक्रवार को चौथा और अंतिम दिन रहा. बीती शाम कोरबा में जीवनदायिनी हसदेव नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया. आज सुबह उगते सूर्य का अर्घ्य देकर यह महापर्व संपन्न हुआ. इसके अलावा भी कोरबा के अनेक घाटों में गुरुवार और शुक्रवार को छठ पूजा पर भगवान भूवन भास्कर को प्रथम और सुबह दूसरा अर्घ्य दिया गया.

छठ मइया के गीत गाकर श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य : हजारों की संख्या में श्रद्धालु और उनके परिजन सहित लोग घाटों पर पहुंचे. छठ घाटों पर छठी मइया के गीत गूंजते रहे. "दर्शन देहु हे छठी मइया.., कांच ही बांस के बहंगिया…, छोटी-मोटी चौकिया है सूरज देव, फुलवा छितराय.., तुलसी के चउरा चढ़ी बैठली छठि मईया…जैसे छठ महिमा के गीत से नगर के साथ साथ उपनगरीय और ग्रामीण अंचल में भी भक्तिभाव का माहौल बना रहा.

कोरबा में छठ पूजा (ETV Bharat Chhattisgarh)

कोरबा में इन घाटों पर मनाया गया छठ: छठ पर्व के लिए विशेष रूप से सजाए गए ढेंगुरनाला, सर्वमंगला मंदिर हसदेव नदी, तुलसी नगर घाट,मुड़ापार तालाब, शिवमंदिर एसईसीएल, मानिकपुर पोखरी, बालको, दर्री, बांकीमोंगरा, गेवरा-दीपका में बड़ी संख्या में लोगों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया. घाटों पर आतिशबाजी कर खुशियां मनाई गई. अपूर्व आस्था, समर्पण व श्रद्धा का पावन पर्व सूर्य षष्ठी छठ महापर्व मनाया गया.

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कोरबा में छठ महापर्व (ETV Bharat Chhattisgarh)

प्रसाद में किसी एक फल को जीवन भर नहीं खाने का संकल्प : छठी माता को प्रसाद के रूप में व्रतियों द्वारा विविध प्रकार के फलों को अर्पित किया जाता है. कुछ व्रतियों ने माता को अर्पित किए गए प्रसाद में किसी एक फल को जीवन भर नहीं खाने का भी संकल्प लिया है. ऐसा छठी माता के सामने अपने परिवार की समृद्धि, खुशहाली के लिए लोग करते हैं. व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने पूजन सामग्री के रूप में नारियल, धूप, अगरबत्ती व घी के दीपक का उपयोग किया, वहीं सेब, संतरा, सिंगापुरी केला, पूजा केला, केला, डाब नीबू, बेदाना, पानीफल, गन्ना, सीताफल सहित अनेक फलों के साथ भगवान भास्कर को दूध, घी, दही से भी अर्घ्य देते हुए नमन किया.

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हसदेव नदी घाट पर उगते सूर्य को अर्घ्य (ETV Bharat Chhattisgarh)

व्रतियों में जितना उत्साह बच्चे भी उतने ही उत्साहित : व्रत रखने वाली अनीता ने बताया कि छठ पर्व को लेकर जितना हम व्रतियों में उत्साह रहता है, उतना ही उत्साह घर के बच्चों में भी रहता है. काफी उत्साह और हर्ष उल्लास के साथ हम यह पर्व मनाते हैं. शाम को अर्घ्य देने के साथ आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देते ही छठ का महापर्व संपन्न हो जाएगा. इसके बाद प्रसाद का वितरण भी किया जाएगा.

Chhath puja Korba
छठ मइया के गीत गाकर श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य (ETV Bharat Chhattisgarh)

काफी कठिन उपवास रखना पड़ता है. शुद्धता का खास ध्यान रखते हैं, किसी भी तरह के मिलावट और लापरवाही नहीं होनी चाहिए. इस बात का खास ध्यान रखना पड़ता है. जो संस्कार हमारे पूर्वजों से हमें मिले हैं. हम उसे आगे बढ़ा रहे हैं: अनीता साहू, व्रती

मां सीता ने शुरू किया था छठ पर्व : छठ पर्व मनाने शहर के घाट पर मौजूद शहरवासी मुकेश ने बताया कि इस पर्व की शुरुआत प्रभु श्री राम और सीता माता ने की थी. जब राम, रावण वध कर वापस लौटे. तब सभी तरह के दोष से बचने और वंश आगे बढ़ाने के लिए माता सीता ने यह व्रत किया था. तभी से यह पर्व चल रहा है. इसमें व्रतियों को लगभग 36 घंटे का उपवास रखना पड़ता है. इसके बाद उगते सूरज अर्घ्य देकर यह त्यौहार संपन्न होता है.

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Last Updated : Nov 8, 2024, 10:25 AM IST
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