पटना: बिहार में लोक आस्था का महापर्व छठ धूमधाम से मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में महापर्व छठ का बेहद महत्व है. इस त्योहार में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का विधान है. 5 नवंबर से छठ पर्व शुरू हो गया है और इसका समापन 8 नवंबर को होगा.देश भर से लोग छठ उत्सव मनाने बिहार पहुंचे हैं.हर बिहारी पूरे पवित्रता और स्वच्छता के साथ छठ वर्व मनाने की तैयारी में जुटा है.यहां ऐसी ही बेहद महत्वपूर्ण हल्दी, अदरक और मूली की चर्चा की गई है, जिनके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं, क्यों हैं ये जरूरी?
प्रसाद की पवित्रता रहती है बरकरार: हल्दी और अदरक छठी मैया को चढ़ाने की परंपरा हजारों साल से चली आ रही है. हल्दी और अदरक में एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज है. इस वजह से सूप पर दोनों पौधों को चढ़ाया जाता है कि प्रसाद की शुद्धता बरकरार रहती है. इसके अलावा हल्दी और अदरक में रोग नाशक गुण होते हैं जो आपको संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं. छठ पूजा में हल्दी और अदरक का इस्तेमाल धार्मिक स्वास्थ्य और सौंदर्य संबंधी कर्म से किया जाता है और यह पवित्र और शुभ माने जाते हैं.
हल्दी, अदरक स्वास्थ्यवर्धक: आचार्य बबन तिवारी का मानना है कि छठी मैया को यह पौधे अपने गुण के कारण विशेष रूप से पसंद हैं. तमाम फल फूल ऐसे हैं जो कार्तिक महीने में उत्पादित होकर लोगों के सामने आते हैं और इसके मानव शरीर पर सकारात्मक फायदे हैं. संकेत यह रहता है कि छठ के बाद से लोग इन फलों का सेवन करना शुरू कर दें. ऐसा करने से आप निरोग रहते हैं.
"छठ का इतिहास हजारों साल पुराना है. महाभारत काल में माता कुंती ने छठ पर्व किया था. छठ त्योहार प्रकृति पूजा की अनोखी मिसाल है. सूर्य जल और प्रकृति में उप फल की पूजा करते हैं. खास तौर पर छठी मैया को अदरक, हल्दी, मूली और गन्ना चढ़ाने की परंपरा लंबे समय से है और इसके धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं. हल्दी और अदरक से हमारे प्रसाद की शुद्धता बनी रहती है." -बबन तिवारी, आचार्य
मूल रूप में चढ़ाया जाता है मूली और अदरक: छठी मैया के सूप पर चढ़ाए जाने वाले पौधों में अदरक, हल्दी, आदि और मूली शामिल है. यह पौधे छठी मैया को मूल रूप में चढ़ाए जाते हैं. खास बात यह है कि मूली और अदरक की उत्पत्ति भारत में ही हुई है. हजारों साल से छठी मैया को मूली और अदरक चढ़ाने की परंपरा है. स्कंद पुराण में छठ पर्व मनाने की पूरे विधान की चर्चा है.
जड़ के साथ इन पौधों की होती है बिक्री: विक्रेता सुमन लता बताती है कि अदरक हल्दी एक और मूली की बिक्री हम लोग मूल रूप में करते हैं और गंगाजल से धोने के बाद दुकान पर ले आते हैं. छठ व्रती ईख ,हल्दी ,मूली और अदरक को मूल रूप में खरीदना चाहते हैं. इस वजह से हम लोग जड़ के साथ इन पौधों को लाते हैं.
छठ की खरीदारी में जुटे लोग: बिहार में लोक आस्था के महान पर्व छठ की धूम है बिहार में रहने वाले तमाम और अप्रवासी छठ त्योहार मनाने के लिए अपने घर को लौट चुके हैं. छठ त्यौहार पर गाये गए लोकगीतों ने माहौल को और भी खुशनुमा बना दिया है. लोक गायिका शारदा सिन्हा के गीत चारों ओर गुंजायमान है. लोग बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकाल कर छठ त्यौहार के दौरान उपयोग में आने वाले सामान की खरीदारी कर रहे हैं.
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