छतरपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के लवकुशनगर ब्लॉक के परसनिया गांव में निवास करने वाली प्रियंका गौड़ लगभग 7 वर्षों से अपने दिव्यांग पति को कभी पीठ पर तो कभी गोद में उठाकर दफ्तरों के चक्कर लगा रही है. ताकि उनके पति को उनकी सास की जगह अनुकम्पा नियुक्ति मिल जाए और उनके परिवार का पालन पोषण सही तरीके से हो सके. कोई भी गरीब परिवार का मरहम बनना नहीं चाहता, हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है.
पति को गोद में लेकर जनसुनवाई में पहुंची महिला
मंगलवार को छतरपुर जिला मुख्यालय में आयोजित होने वाली जनसुनवाई में दिव्यांग अंशुल गौड़ अपनी पत्नी प्रियंका गौड़ की गोद में सवार होकर पहुंचे. जहां उन्होंने जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार को अनुकम्पा नियुक्ति देने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया. जिस पर उन्हें जांच के पश्चात उचित निराकरण का आश्वासन दिया गया है.
2015 से दफ्तरों के लगा रहे चक्कर
मीडिया से चर्चा के दौरान प्रियंका गौड़ बताती हैं कि, ''मेरी सास शासकीय सेवा में थीं. उनके बाद मेरे पति को अनुकम्पा नियुक्ति दी जानी थी, लेकिन वो आज तक नहीं मिली है. 2015 से में अपने दिव्यांग पति को गोद में उठाकर पीठ पर टांग कार दफ्तरों के चक्कर लगा रही हूं. आज भी में यहां सीईओ मैडम के पास आई हूं. लेकिन आज भी मुझे जांच का आश्वासन देकर टाला गया है, जैसा कि हर बार किया जाता है.''
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जांच के बाद कार्रवाई का मिला आश्वासन
वहीं दिव्यांग अंशुल का कहना है कि, ''मेरी मां अध्यापिका थीं, वर्ष 2015 में उनकी मृत्य के बाद अनुकम्पा नियुक्ति के लिए में लगातार परेशान हो रहा हूं. हम कई बार कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को आवेदन दे चुके हैं, लेकिन हमारी कहीं सुनवाई नहीं होती. आज फिर हम यहां आए है, जहां हमें जांच के पश्चात उचित निराकरण का आश्वासन दिया गया है.'' इसके अतिरिक्त मामले में जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार का कहना है कि, ''मेरे संज्ञान में यह मामला आया है. इन्होंने जो भी डिटेल्स हमें बताई हैं, उसकी जांच हम कराएंगे उसके आधार पर आगामी कार्रवाई की जायेगी.''