छतरपुर: तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद की रिपोर्ट आने के बाद साधु संतों सहित राजनेताओं के बयान लगातार आ रहे हैं. इसी बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छतरपुर पहुंचकर तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी के उपयोग के मामले पर गहरी चिंता व्यक्त की है. खजुराहो में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह बहुत दुख की बात है और पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.
कमलनाथ ने दिया तिरुपति लड्डू मामले पर बयान
कमलनाथ छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम पहुंचे, जहां कांग्रेस विधायक, पूर्व विधायक और NSUI कार्यकर्ताओं ने उनका खजुराहो एयरपोर्ट पर स्वागत किया. बागेश्वर धाम पहुंचने पर उन्होंने बागेश्वर बालाजी के दर्शन किए और पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया. इस अवसर पर छतरपुर के पूर्व विधायक आलोक चतुर्वेदी और नीरज दीक्षित भी उपस्थित थे. खजुराहो में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कमलनाथ ने कहा कि ''तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद में चर्बी के उपयोग के आरोप बहुत दुख की बात है. पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और इस प्रक्रिया का खुलासा होना चाहिए."
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने की फांसी की मांग
वहीं, तिरुपति लड्डू विवाद मामले में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि "जानकारी मिली है कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल की मिलावट हो रही है. अगर ये जानकारी सही है तो सनातन धर्म के खिलाफ ये बहुत बड़ी साजिश है. भारत के सनातनियों के खिलाफ सुनियोजित षडयंत्र को फेल किया जाएगा. कुछ लोग सनातन धर्म को भ्रष्ट करने की तैयारी में लगे रहते हैं. हम चाहते हैं वहां की सरकार सख्त से सख्त कानून बनाकर दोषियों को फांसी की सजा दे. हम चाहते हैं हिन्दू मंदिर सरकार को हिन्दू बोर्ड के अधीन कर देना चाहिए."
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जानिए क्या है तिरुपति लड्डू विवाद
गौरतलब है कि 11 सितंबर को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि पिछली सरकार में तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में घी की जगह जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का उपयोग किया जा रहा था. हाल ही में चंद्रबाबू नायडू सरकार ने सूचना के आधार पर लड्डुओं के सैंपल गुजरात स्थित पशुधन लैब (NDDB CALF ltd) भेजे थे, जिसकी रिपोर्ट 16 जुलाई को आई थी. इस रिपोर्ट में लड्डुओं को तैयार करने के लिए घी भेजे जाने वाली एक फर्म के सैंपल में इस तरह की मिलावट पाई गई. इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद साधु संत सहित कई राजनीतिक दल के लोग दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.