छतरपुर: हमेशा अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले कथा वाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने समाज से छुआछूत की खाई पाटने के लिए बड़ा फैसला लिया है. बागेश्वर धाम में होने वाले सामूहिक कन्या विवाह महोत्सव में दलित समाज के दूल्हों की बारात घोड़ी पर बिठाकर निकालने का संकल्प लिया है. दरअसल, बागेश्वर धाम में 26 फरवरी 2025 को सामूहिक कन्या विवाह महोत्सव का आयोजन किया जाएगा, जिसमें गरीब 251 कन्याओं का पंडित धीरेंद्र शास्त्री विवाह करवाएंगे. इस विवाह महोत्सव में सभी दूल्हों की बारात घोड़ी पर बिठाकर निकाली जाएगी.
15 दिसंबर तक होंगे रजिस्ट्रेशन
बता दें कि हर वर्ष की तरह इस साल भी महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर सामूहिक कन्या विवाह महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. 26 फरवरी को होने वाले इस विशाल कन्या विवाह महोत्सव में 251 जोड़े परिणय सूत्र में बंधेंगे. इसके लिए 1 दिसंबर से पंजीयन कार्य शुरू हो गए हैं, जो 15 दिसंबर तक चलेंगे.
108 आदिवासी कन्याओं के होंगे विवाह
बागेश्वर धाम के सेवादार आकाश अग्रवाल ने बताया, " कन्या विवाह महोत्सव 26 फरवरी 2025 को आयोजित होगा. महाराज इस बार 251 बेटियों का विवाह करा रहे हैं. इस विवाह सम्मेलन में अपनी बेटी का विवाह करने के लिए पंजीयन आवश्यक है. आकाश अग्रवाल ने कहा कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने संकल्प लिया है कि इस बार 108 आदिवासी कन्याओं के विवाह यहां कराए जाने हैं. इसमें बिना माता-पिता, बेहद गरीब और बेसहारा बेटियों को नया जीवन देने का महराज प्रयास लगातार कर रहे हैं.
विवाह पंजीयन के लिए ये दस्तावेज लाना जरूरी
आकाश अग्रवाल ने बताया, '' कन्या विवाह महोत्सव में शादी करने वाली बेटियों को महराज लाखों रुपए की घर गृहस्थी की सामग्री के साथ विदा करते हैं. पंजीयन के लिए वर-वधू का आधार कार्ड और वह अंक सूची जिसमें जन्मतिथि अंकित हो साथ लाना जरूरी है. पंजीयन बागेश्वर धाम स्थित कार्यालय नंबर 5 पर किए जा रहे हैं. यहां दस्तावेजों को देखने के बाद एक फॉर्म दिया जाएगा, जिसे भरकर अन्य आवश्यक दस्तावेजों के साथ जमा करना होगा. प्राप्त होने वाले आवेदनों का परीक्षण होगा और भौतिक सत्यापन किया जाएगा. इसके बाद पात्र जोड़ों का चयन होगा.''
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151 कन्याओं के पहले भी करवाए विवाह
बाबा बागेश्वर ने इससे पहले भी सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन कराया था. इसमें उन्होंने 151 निर्धन कन्याओं के हाथ पीले कर एक पिता का धर्म भी निभाया था. समारोह के लिए बाबा बागेश्वर धाम को दुल्हन की तरह से सजाया गया था. इस बार यह पहला मौका होगा जब बाबा बागेश्वर धाम से दलित समाज के दूल्हों की घोड़ी पर बिठाकर बारात निकाली जाएगी. इस आयोजन से उनका उद्देश्य सामाज से छुआछूत और भेदभाव की भावना को दूर करना है. साथ ही हिंदूओं को एक करना है.