देहरादून: चारधाम संयुक्त संरक्षण समिति ने सरकार से यात्रियों की सीमित संख्या की बाध्यता समाप्त करने की मांग उठाई है. समिति का कहना है कि रजिस्ट्रेशन के नाम पर चारधाम आने वाले यात्रियों को रोकना सनातन संस्कृति के खिलाफ है. समिति ने ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया खत्म करने की भी मांग उठाई है.
9 जुलाई को धामों के पुरोहितों, होटल व्यापारियों, टूर ऑपरेटरों, टैक्सी बस यूनियन और ट्रैकिंग संगठन से जुड़े लोगों ने चारधाम संयुक्त संरक्षण समिति का गठन किया है. ऐसे में बुधवार को हित धारकों ने सरकार से मांग उठाई की सरकार चारधाम यात्रा से छेड़छाड़ ना करे और पंजीकरण की व्यवस्था को समाप्त करने के साथ ही सीमित संख्या समाप्त की जाए.
चारधाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजयपुरी ने बताया कि चारधाम यात्रा का पौराणिक महत्व रहा है और इसके साथ छेड़छाड़ ठीक नहीं है. यात्रा पर आए तीर्थ यात्रियों को सबसे ज्यादा पंजीकरण के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 10 जुलाई से आरंभ हुई चारधाम यात्रा के बाद जो यात्री बगैर दर्शन किए ही वापस लौट गए हैं, वह अपने साथ कटु अनुभव लेकर गए. उन्होंने कहा कि तीर्थ यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को जगह-जगह बैरियर लगाकर घटों रोका जा रहा है. ऐसे में यात्रा मार्गों पर पुलिस बैरियर हटाये जाएं.
समिति के सदस्यों का कहना है कि सरकार यात्रा व्यवस्था भले ही दुरुस्त करे, लेकिन ऐसी व्यवस्था अपनाई जानी चाहिए, जिससे यात्रियों और स्टेक होल्डरों को कोई समस्या उत्पन्न ना हो, लेकिन ऑफलाइन ऑनलाइन पंजीकरण की बाध्यता से समस्याएं घटने की जगह बढ़ी हैं, इसलिए सरकार और हित धारक मिलकर यात्रियों की सुख सुविधाओं के लिए प्रयास करना चाहिए, ताकि श्रद्धालुओं की चारधाम यात्रा सफल हो सके. इसी उद्देश्य को लेकर संयुक्त संरक्षण समिति का गठन किया गया है.
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