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कमल के रेशे से बनाया कपड़ा, पशमीना शॉल से भी हल्का और गर्म; विदेशों तक डिमांड, किसान बढ़ा सकेंगे इनकम - Chandrashekhar Azad University - CHANDRASHEKHAR AZAD UNIVERSITY

कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर रितु पांडेय (Chandrashekhar Azad University) ने एक शोध किया है. उन्होंने कमल के फूल के तने से निकलने वाले रेशे को विकसित किया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 27, 2024, 11:30 AM IST

Updated : Mar 27, 2024, 11:55 AM IST

Chandrashekhar Azad University

कानपुर : अभी तक जो किसान कमल की खेती करते थे, वह फूल का उपयोग करने के बाद तने को वेस्ट पार्ट समझकर फेंक देते थे. हालांकि अब ऐसा नहीं होगा. कमल के फूल के तने से निकलने वाले रेशे का भी उपयोग किसान कर सकेंगे. उन्हें रेशे की अच्छी खासी कीमत मिल सकेगी, क्योंकि इस रेशे से बने कपड़ों का उपयोग विदेशों में बहुत अधिक होता है.

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (सीएसए) की सहायक प्रोफेसर रितु पांडेय ने कमल के फूल के तने से निकलने वाले रेशे को विकसित किया है. रितु ने ईटीवी भारत से इसे लेकर खास बातचीत की. उन्होंने बताया, कि यह रेशा इतना अधिक सॉफ्ट होता है कि इससे हम पशमीना शॉल से भी अधिक हल्की वजन और बेहद गर्माने वाली शॉल तैयार कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में यूरोप के बाजार में इस रेशे से बने कपड़े मिलते हैं. जिनकी मांग अन्य देशों में बहुत अधिक है. रितु ने कहा कि उन्हें इस शोध कार्य में कई सालों का समय लग गया. हालांकि, शोध को पेटेंट मिल जाने व शोध पत्र को अमेरिकन जर्नल्स में स्थान मिलने से वह बहुत अधिक खुश हैं.

कुलपति बोले-अरुणाचल प्रदेश के किसानों से लेंगे कमल : इस शोध को लेकर सीएसए के कुलपति डा.आनंद सिंह ने कहा, कि वह अब इस मामले पर अरुणाचल प्रदेश के किसानों से वार्ता करेंगे. वहां के सीएम से मिलकर अधिक से अधिक कमल के फूलों को कानपुर में मंगाएंगे. इसके बाद विवि के वैज्ञानिकों की मदद से यहां के किसानों को कमल के फूल के तने से रेशे निकालने की जानकारी देंगे. कुलपति डॉ.आनंद सिंह ने कहा, कि उनकी मंशा है कि कानपुर में ही इस रेशे से कपड़े बनाने का काम शुरू हो जाए.

यह भी पढ़ें : वेलेंटाइन डे पर बेंगलुरु एयरपोर्ट से शिप किए गए 3 करोड़ गुलाब

यह भी पढ़ें : अयोध्या के मंदिरों से निकलने वाले फूल को रिसाइकल कर बनाई जाएगी धूपबत्ती

Chandrashekhar Azad University

कानपुर : अभी तक जो किसान कमल की खेती करते थे, वह फूल का उपयोग करने के बाद तने को वेस्ट पार्ट समझकर फेंक देते थे. हालांकि अब ऐसा नहीं होगा. कमल के फूल के तने से निकलने वाले रेशे का भी उपयोग किसान कर सकेंगे. उन्हें रेशे की अच्छी खासी कीमत मिल सकेगी, क्योंकि इस रेशे से बने कपड़ों का उपयोग विदेशों में बहुत अधिक होता है.

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (सीएसए) की सहायक प्रोफेसर रितु पांडेय ने कमल के फूल के तने से निकलने वाले रेशे को विकसित किया है. रितु ने ईटीवी भारत से इसे लेकर खास बातचीत की. उन्होंने बताया, कि यह रेशा इतना अधिक सॉफ्ट होता है कि इससे हम पशमीना शॉल से भी अधिक हल्की वजन और बेहद गर्माने वाली शॉल तैयार कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में यूरोप के बाजार में इस रेशे से बने कपड़े मिलते हैं. जिनकी मांग अन्य देशों में बहुत अधिक है. रितु ने कहा कि उन्हें इस शोध कार्य में कई सालों का समय लग गया. हालांकि, शोध को पेटेंट मिल जाने व शोध पत्र को अमेरिकन जर्नल्स में स्थान मिलने से वह बहुत अधिक खुश हैं.

कुलपति बोले-अरुणाचल प्रदेश के किसानों से लेंगे कमल : इस शोध को लेकर सीएसए के कुलपति डा.आनंद सिंह ने कहा, कि वह अब इस मामले पर अरुणाचल प्रदेश के किसानों से वार्ता करेंगे. वहां के सीएम से मिलकर अधिक से अधिक कमल के फूलों को कानपुर में मंगाएंगे. इसके बाद विवि के वैज्ञानिकों की मदद से यहां के किसानों को कमल के फूल के तने से रेशे निकालने की जानकारी देंगे. कुलपति डॉ.आनंद सिंह ने कहा, कि उनकी मंशा है कि कानपुर में ही इस रेशे से कपड़े बनाने का काम शुरू हो जाए.

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Last Updated : Mar 27, 2024, 11:55 AM IST
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