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चंडीगढ़ की मंजीत की फुलकारी दुपट्टों की भारी डिमांड, शौक से शुरू किया था बिजनेस, अब कई महिलाओं को बना रही आत्मनिर्भर - CHANDIGARH MANJIT KAUR PHULKARI

चंडीगढ़ की मंजीत कौर फुलकारी आर्ट से दुपट्टे तैयार करती हैं. आइए जानते हैं कैसे मंजीत ने इसकी शुरुआत की.

CHANDIGARH MANJIT KAUR PHULKARI
मंजीत की फुलकारी का कमाल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 20, 2025, 3:03 PM IST

पंचकूला: आधुनिकता के इस दौर में भी लोगों को हाथों से तैयार किया गया परिधान का पसंद आता है. बात अगर दुपट्टे की करें तो लोगों को डिजाइनर दुपट्टे काफी भाते हैं. हरियाणा और पंजाब में तो फुलकारी दुपट्टों की काफी डिमांड है. फुलकारी आर्ट से तैयार दुपट्टा यहां के लोग अधिक इस्तेमाल करते हैं. हालांकि मशीनों से बने परिधानों के कारण फुलकारी कला कहीं न कहीं लुप्त होती नजर आ रही है. इस बीच हरियाणा के चंडीगढ़ की मंजीत ने इस कला को जीवंत रखने के साथ ही इससे अपना बिजनेस भी शुरू किया है. साथ ही अन्य महिलाओं और युवतियों को खुद के बिजनेस से जोड़कर ये कला सीखा रही हैं.

चंडीगढ़ के मलोया गांव की रहने वाली मंजीत कौर पंजाब की ट्रेडिशनल ड्रेस, फूल-बूटियों वाली आकर्षक फुलकारी-दुपट्टे को तैयार करती हैं. मंजीत मूल रूप से पंजाब के मोहाली के डेराबस्सी की रहने वाली हैं. आज वो अपने साथ साथ कई महिलाओं को रोजगार मुहाया करा रही हैं. साथ ही खुद भी आर्थिक रूप से सबल हो रही है. खास बात तो यह है कि इनके द्वारा बनाए दुपट्टे सहित अन्य परिधानों की न सिर्फ हरियाणा और पंजाब बल्कि अन्य राज्यों में भी डिमांड है.

दादी को देखकर जागा शौक: मंजीत कौर से ईटीवी भारत ने बातचीत की. मंजीत कौर ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा, "जब मैं स्कूल में पढ़ने के दौरान अपनी दादी को घर पर फुलकारी-दुपट्टा तैयार करते देखती थी तो मुझे भी इच्छा होती थी कि मैं भी फुलकारी कला से दुपट्टा या फिर अन्य परिधान तैयार करूं. स्कूल से आने के बाद दादी और आस-पड़ोस की अन्य महिलाओं से साथ बैठकर उनको मैं फुलकारी पर कसीदे निकालते और फूल-बूटियां बनाते देखती थी. इसके बाद से जब कभी समय मिलता तो मैं उनके साथ दुपट्टे बनाने लग जाती थी."

चंडीगढ़ की मंजीत की फुलकारी दुपट्टों की भारी डिमांड (ETV Bharat)

ट्रेनिंग के बाद शुरू किया बिजनेस: मंजीत ने आगे बताया कि शादी के बाद शुरूआत में मुझे इस काम को करने में थोड़ी परेशानी हुई. शादी के तुरंत बाद ये काम थोड़ा मुश्किल था. हालांकि बाद में पति और ससुराल वालों के मेरा साथ दिया. इसके बाद मैंने वापस से ये काम शुरू किया. इस बीच बारिकी से ये काम सीखने के लिए मैंने रेवाड़ी स्थित हैंडक्राफ्ट ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण लिया. यहां मुझे काफी कुछ सीखने को मिला. ट्रेनिंग पूरी होने पर सीखी गई नई विद्या से मैंने बिजनेस शुरू किया. इसके बाद मैंने फुलकारी दुपट्टे के अलावा अन्य तरह के आकर्षक परिधान बनाने शुरू किए."

रूहान के नाम से बनाया सेल्फ ग्रुप: मंजीत कौर ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा, " मैंने अपने बेटे रूहान के नाम से साल 2011 में सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाया. घर से ही फुलकारी बनाने का काम शुरू किया. मुझे देखकर आस-पड़ोस की अन्य महिलाओं में भी कुछ करने की हिम्मत जागी. फिर धीरे-धीरे लड़कियां/महिलाएं मेरे साथ जुड़ती चली गई. इसके बाद चंडीगढ़ के सभी हजारों छोटे-बड़े सेल्फ हेल्प समूह की करीब तीस हजार महिलाएं मुझसे जुड़ गई. मैं सेल्फ हेल्प ग्रुप की सहयोगी महिलाओं के साथ न केवल फुलकारी दुपट्टा बल्कि दरी, बैग, सिलाई-कढ़ाई सहित अलग-अलग तरह के परिधान तैयार करती हूं."

अंबाला से खरीदती हूं रॉ मटेरियल: मंजीत कौर ने आगे कहा कि, "फुलकारी से परिधान तैयार करने के लिए मैं रॉ मटेरियल एक साथ खरीदती हूं. काम में कोई रूकावट न हो, इसके लिए कुछ रॉ मटेरियल एडवांस में अपने पास रखती हूं. ट्रेडिशनल ड्रेस के लिए सामान अंबाला से खरीदती हूं. एक साथ काफी सामान की खरीद करने से चीजें कुछ सस्ती मिल जाती है. जब कभी मैं किसी अन्य काम में व्यस्त रहती हूं तो ग्रुप की अन्य महिलाएं मेरा सपोर्ट करती है. सभी को काम दिया गया है. वो अपना-अपना काम करती हैं. इससे सभी काम आसान हो जाता है."

आंगनबाड़ी में भी ड्यूटी देती हैं मंजीत: मंजीत ने बताया कि," रूहान सेल्फ हेल्प ग्रुप की प्रेसिडेंट होने के अलावा कई फेडरेशन और नगर निगम समितियों की मैं अध्यक्ष हूं. इसके अलावा आंगनबाड़ी में भी ड्यूटी देती हूं. हालांकि मैं अपने फुलकारी-दुपट्टे के बिजनेस से कोई समझौता नहीं करती. किसी अन्य काम में व्यस्त होती हूं तो ग्रुप की अन्य सहयोगी महिलाएं काम को सुचारू रूप से चलाती हैं, क्योंकि सभी महिलाओं का काम बंटा हुआ है कि किसे क्या करना है? जब कभी एक साथ कई आर्डर आ जाते हैं तो ग्रुप की महिलाएं अपने-अपने काम खुद शुरू कर देती हैं. मेरे पास ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से फुलकारी दुपट्टे और अन्य परिधानों के ऑर्डर आते हैं."

क्या कहती हैं समूह से जुड़ी महिलाएं: मंजीत के स्वंय सहायता समूह की कुलजीत कौर ने कहा, "मैं 7-8 साल से जुड़ी हूं . फुलकारी आर्ट से दुपट्टों को तैयार करती हूं. इसके अलावा सभी काम मैं जानती हूं. जब जो जरूरत पड़े वो काम कर लेती हूं." वहीं, समूह की सपना ने कहा कि, "मैं सिर्फ दुपट्टे में फुलकारी का काम करती हूं." समूह की रमना ने कहा, "मैं भी सिर्फ दुपट्टों पर फुलकारी करती हूं." वहीं, समूह की सीमा ने कहा कि, "मैं दुपट्टे के अलावा बैग, अन्य परिधान, छोटे थैले जैसी चीजें बनाती हूं. इसकी काफी डिमांड है."

सबसे बुजुर्ग महिला हैं जानकार: रूहान सेल्फ हेल्प ग्रूप में मंजीत के साथ एक बुजुर्ग महिला हैं, जो हर काम को बारीकी से न सिर्फ करती हैं, बल्कि काफी जानकार भी हैं. उनका नाम सुरजीत कौर है. सुरजीत कहती हैं कि, "नया नौ दिन, पुराना सौ दिन. मैं हर एक काम जानती हूं. जब जो जरूरत पड़ती है. मैं वो काम कर लेती हूं."

दूसरे राज्यों में है दुपट्टो की डिमांड: मंजीत ने शुरुआत में दादी से ये कला सीखा. इसके बाद उसने बकायदा इसकी ट्रेनिंग ली और सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर अपने बिजनेश को शुरू कर दिया. इस बीच मंजीत ने कईयों को ये आर्ट सीखाया. आज भी वो कई संस्थानों से जुड़कर युवतियों और महिलाओं को ये आर्ट सीखा रही हैं. इनके बनाए परिधानों की हरियाणा पंजाब सहित अन्य राज्यों में डिमांड है और वो ऑनलाइन माध्यम से भी दुपट्टों की सेल करती हैं.

जानिए क्या है फुलकारी कला: फुलकारी एक पारंपरिक कढ़ाई कला है, जिसका अर्थ होता है फूलों का काम. इसलिए इसे फुलकारी कहते हैं. फुलकारी कढ़ाई पंजाब और हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में की जाती है. फुलकारी कढ़ाई में ज्यामितीय और प्राकृतिक रूपांकनों के साफ-सुथरे, नियमित पैटर्न होते हैं. फुलकारी कढ़ाई में डारिंग टांका प्रमुख टांका होता है. फुलकारी कढ़ाई में बेलन, ककड़ी, चांद और सतरंग जैसे रूपांकन आम तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं. फुलकारी कढ़ाई में इस्तेमाल किए गए रूपांकन पंजाब के प्रिय और विविध मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं. फुलकारी कढ़ाई में दर्शाए गए जानवर, फूल, पेड़ और लोकगीत सभी एक साझा संस्कृति की प्रतिध्वनि हैं. साल 2011 में फुलकारी के लिए भौगोलिक संकेत पेटेंट प्रदान किया गया था.

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पंचकूला: आधुनिकता के इस दौर में भी लोगों को हाथों से तैयार किया गया परिधान का पसंद आता है. बात अगर दुपट्टे की करें तो लोगों को डिजाइनर दुपट्टे काफी भाते हैं. हरियाणा और पंजाब में तो फुलकारी दुपट्टों की काफी डिमांड है. फुलकारी आर्ट से तैयार दुपट्टा यहां के लोग अधिक इस्तेमाल करते हैं. हालांकि मशीनों से बने परिधानों के कारण फुलकारी कला कहीं न कहीं लुप्त होती नजर आ रही है. इस बीच हरियाणा के चंडीगढ़ की मंजीत ने इस कला को जीवंत रखने के साथ ही इससे अपना बिजनेस भी शुरू किया है. साथ ही अन्य महिलाओं और युवतियों को खुद के बिजनेस से जोड़कर ये कला सीखा रही हैं.

चंडीगढ़ के मलोया गांव की रहने वाली मंजीत कौर पंजाब की ट्रेडिशनल ड्रेस, फूल-बूटियों वाली आकर्षक फुलकारी-दुपट्टे को तैयार करती हैं. मंजीत मूल रूप से पंजाब के मोहाली के डेराबस्सी की रहने वाली हैं. आज वो अपने साथ साथ कई महिलाओं को रोजगार मुहाया करा रही हैं. साथ ही खुद भी आर्थिक रूप से सबल हो रही है. खास बात तो यह है कि इनके द्वारा बनाए दुपट्टे सहित अन्य परिधानों की न सिर्फ हरियाणा और पंजाब बल्कि अन्य राज्यों में भी डिमांड है.

दादी को देखकर जागा शौक: मंजीत कौर से ईटीवी भारत ने बातचीत की. मंजीत कौर ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा, "जब मैं स्कूल में पढ़ने के दौरान अपनी दादी को घर पर फुलकारी-दुपट्टा तैयार करते देखती थी तो मुझे भी इच्छा होती थी कि मैं भी फुलकारी कला से दुपट्टा या फिर अन्य परिधान तैयार करूं. स्कूल से आने के बाद दादी और आस-पड़ोस की अन्य महिलाओं से साथ बैठकर उनको मैं फुलकारी पर कसीदे निकालते और फूल-बूटियां बनाते देखती थी. इसके बाद से जब कभी समय मिलता तो मैं उनके साथ दुपट्टे बनाने लग जाती थी."

चंडीगढ़ की मंजीत की फुलकारी दुपट्टों की भारी डिमांड (ETV Bharat)

ट्रेनिंग के बाद शुरू किया बिजनेस: मंजीत ने आगे बताया कि शादी के बाद शुरूआत में मुझे इस काम को करने में थोड़ी परेशानी हुई. शादी के तुरंत बाद ये काम थोड़ा मुश्किल था. हालांकि बाद में पति और ससुराल वालों के मेरा साथ दिया. इसके बाद मैंने वापस से ये काम शुरू किया. इस बीच बारिकी से ये काम सीखने के लिए मैंने रेवाड़ी स्थित हैंडक्राफ्ट ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण लिया. यहां मुझे काफी कुछ सीखने को मिला. ट्रेनिंग पूरी होने पर सीखी गई नई विद्या से मैंने बिजनेस शुरू किया. इसके बाद मैंने फुलकारी दुपट्टे के अलावा अन्य तरह के आकर्षक परिधान बनाने शुरू किए."

रूहान के नाम से बनाया सेल्फ ग्रुप: मंजीत कौर ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा, " मैंने अपने बेटे रूहान के नाम से साल 2011 में सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाया. घर से ही फुलकारी बनाने का काम शुरू किया. मुझे देखकर आस-पड़ोस की अन्य महिलाओं में भी कुछ करने की हिम्मत जागी. फिर धीरे-धीरे लड़कियां/महिलाएं मेरे साथ जुड़ती चली गई. इसके बाद चंडीगढ़ के सभी हजारों छोटे-बड़े सेल्फ हेल्प समूह की करीब तीस हजार महिलाएं मुझसे जुड़ गई. मैं सेल्फ हेल्प ग्रुप की सहयोगी महिलाओं के साथ न केवल फुलकारी दुपट्टा बल्कि दरी, बैग, सिलाई-कढ़ाई सहित अलग-अलग तरह के परिधान तैयार करती हूं."

अंबाला से खरीदती हूं रॉ मटेरियल: मंजीत कौर ने आगे कहा कि, "फुलकारी से परिधान तैयार करने के लिए मैं रॉ मटेरियल एक साथ खरीदती हूं. काम में कोई रूकावट न हो, इसके लिए कुछ रॉ मटेरियल एडवांस में अपने पास रखती हूं. ट्रेडिशनल ड्रेस के लिए सामान अंबाला से खरीदती हूं. एक साथ काफी सामान की खरीद करने से चीजें कुछ सस्ती मिल जाती है. जब कभी मैं किसी अन्य काम में व्यस्त रहती हूं तो ग्रुप की अन्य महिलाएं मेरा सपोर्ट करती है. सभी को काम दिया गया है. वो अपना-अपना काम करती हैं. इससे सभी काम आसान हो जाता है."

आंगनबाड़ी में भी ड्यूटी देती हैं मंजीत: मंजीत ने बताया कि," रूहान सेल्फ हेल्प ग्रुप की प्रेसिडेंट होने के अलावा कई फेडरेशन और नगर निगम समितियों की मैं अध्यक्ष हूं. इसके अलावा आंगनबाड़ी में भी ड्यूटी देती हूं. हालांकि मैं अपने फुलकारी-दुपट्टे के बिजनेस से कोई समझौता नहीं करती. किसी अन्य काम में व्यस्त होती हूं तो ग्रुप की अन्य सहयोगी महिलाएं काम को सुचारू रूप से चलाती हैं, क्योंकि सभी महिलाओं का काम बंटा हुआ है कि किसे क्या करना है? जब कभी एक साथ कई आर्डर आ जाते हैं तो ग्रुप की महिलाएं अपने-अपने काम खुद शुरू कर देती हैं. मेरे पास ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से फुलकारी दुपट्टे और अन्य परिधानों के ऑर्डर आते हैं."

क्या कहती हैं समूह से जुड़ी महिलाएं: मंजीत के स्वंय सहायता समूह की कुलजीत कौर ने कहा, "मैं 7-8 साल से जुड़ी हूं . फुलकारी आर्ट से दुपट्टों को तैयार करती हूं. इसके अलावा सभी काम मैं जानती हूं. जब जो जरूरत पड़े वो काम कर लेती हूं." वहीं, समूह की सपना ने कहा कि, "मैं सिर्फ दुपट्टे में फुलकारी का काम करती हूं." समूह की रमना ने कहा, "मैं भी सिर्फ दुपट्टों पर फुलकारी करती हूं." वहीं, समूह की सीमा ने कहा कि, "मैं दुपट्टे के अलावा बैग, अन्य परिधान, छोटे थैले जैसी चीजें बनाती हूं. इसकी काफी डिमांड है."

सबसे बुजुर्ग महिला हैं जानकार: रूहान सेल्फ हेल्प ग्रूप में मंजीत के साथ एक बुजुर्ग महिला हैं, जो हर काम को बारीकी से न सिर्फ करती हैं, बल्कि काफी जानकार भी हैं. उनका नाम सुरजीत कौर है. सुरजीत कहती हैं कि, "नया नौ दिन, पुराना सौ दिन. मैं हर एक काम जानती हूं. जब जो जरूरत पड़ती है. मैं वो काम कर लेती हूं."

दूसरे राज्यों में है दुपट्टो की डिमांड: मंजीत ने शुरुआत में दादी से ये कला सीखा. इसके बाद उसने बकायदा इसकी ट्रेनिंग ली और सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर अपने बिजनेश को शुरू कर दिया. इस बीच मंजीत ने कईयों को ये आर्ट सीखाया. आज भी वो कई संस्थानों से जुड़कर युवतियों और महिलाओं को ये आर्ट सीखा रही हैं. इनके बनाए परिधानों की हरियाणा पंजाब सहित अन्य राज्यों में डिमांड है और वो ऑनलाइन माध्यम से भी दुपट्टों की सेल करती हैं.

जानिए क्या है फुलकारी कला: फुलकारी एक पारंपरिक कढ़ाई कला है, जिसका अर्थ होता है फूलों का काम. इसलिए इसे फुलकारी कहते हैं. फुलकारी कढ़ाई पंजाब और हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में की जाती है. फुलकारी कढ़ाई में ज्यामितीय और प्राकृतिक रूपांकनों के साफ-सुथरे, नियमित पैटर्न होते हैं. फुलकारी कढ़ाई में डारिंग टांका प्रमुख टांका होता है. फुलकारी कढ़ाई में बेलन, ककड़ी, चांद और सतरंग जैसे रूपांकन आम तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं. फुलकारी कढ़ाई में इस्तेमाल किए गए रूपांकन पंजाब के प्रिय और विविध मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं. फुलकारी कढ़ाई में दर्शाए गए जानवर, फूल, पेड़ और लोकगीत सभी एक साझा संस्कृति की प्रतिध्वनि हैं. साल 2011 में फुलकारी के लिए भौगोलिक संकेत पेटेंट प्रदान किया गया था.

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