चंडीगढ़: हाल ही में चंडीगढ़ से फ्रॉड की एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे जानना आपके लिए जरूरी है. सावधानी नहीं बरती तो कहीं आप भी इस जाल में न फंस जाए. दरअसल, मनीमाजरा के रहने वाले एक व्यक्ति का स्कूटर से ऑफिस जाते समय एक्सीडेंट हो गया था. हादसे में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. जिसके लिए पीड़ित ने इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम किया था. लेकिन इंश्योरेंस कंपनी द्वारा लगातार उन्हें किसी न किसी कारण क्लेम देने से इनकार करती आ रही है. जिसके बाद पीड़ित ने उपभोक्ता आयोग का सहारा लिया है.
इंश्योरेंस कंपनी पर कोर्ट का एक्शन: चंडीगढ़ में जिला उपभोक्ता आयोग ने शिकायतकर्ता की सुनवाई करते हुए इंश्योरेंस कंपनी पर एक्शन लिया है. साथ ही शिकायतकर्ता को 28 लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश भी जारी किए हैं. उपभोक्ता को केस में आए खर्च को लेकर भी 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. फिलहाल कंपनी स्टेट कमीशन का रुख कर रही है. अभी इस मामले में शिकायतकर्ता को मुआवजा नहीं मिल पाया है और मामला कोर्ट में लटका पड़ा है. हालांकि इस तरह के ज्यादातर मामले देखे जा रहे हैं. इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ बढ़ती शिकायतों के मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए चंडीगढ़ कंज्यूमर कोर्ट के वकील पंकज चंदगोठिया से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
क्या कहते हैं आंकड़े: कंज्यूमर कोर्ट से मिले आंकड़ें के मुताबिक 2022 से मार्च 2024 तक कुल 521 केस हेल्थ और जनरल इंश्योरेंस के दायरे में हुए. इनमें से जनरल इंश्योरेंस के 240 केस और हेल्थ इंश्योरेंस के 281 केस दर्ज हुए. वहीं, इंश्योरेंस कंपनी से परेशान हुए लोगों की रोजाना चंडीगढ़ में 20 फीसदी शिकायतें मिल रही है. इसमें कुल 85 फीसदी मामलों में उपभोक्ता को न्याय मिला है. जबकि 15 फीसदी केस आज भी कोर्ट में लटके हुए हैं.
ऐसे कर सकते हैं बचाव: इंश्योरेंस पॉलिसी में प्रपोजल फॉर्म का अहम रोल रहता है. क्योंकि इसमें दी गई जानकारी के आधार पर इंश्योरेंस पॉलिसी जारी होती है. उसी के आधार पर प्रीमियम भी तय होता है. प्रपोजल फॉर्म का हर एक क्लेम खुद अपने आप सही जानकारी के आधार पर भरें. यदि प्रपोजल फॉर्म में सही जानकारी है तभी उपभोक्ता को समय पर क्लेम मिल सकता है. अपना डाटा किसी से भी शेयर न करें. न ही किसी ऐसे लिंक पर क्लिक करें जिससे सर्वे करने की बात कही गई हो. साथ ही अपने ओटीपी के महत्व को भी समझना बेहद आवश्यक होता है. ज्यादातर ठगी आपके ओटीपी शेयर करने से की जा सकती है. यदि आपको इंश्योरेंस या लोन लेना है तो अपने बैंक से संपर्क करें और कभी किसी कॉल पर भरोसा न करें और एजेंट से भी सावधान रहने की जरुर होती है.
सावधानी बरतना जरूरी: फिलहाल इस तरह के मामलों में इंश्योरेंस कंपनी उपभोक्ताओं को पूरी जानकारी नहीं देती है. ऐसी आपातकालीन स्थिति में उपभोक्ता को कई तरह का नुकसान पहुंचता है. वहीं, इस तरह के इंश्योरेंस क्लेम वाले पीड़ित कैसे सालों साल कोर्ट के चक्कर लगाने को मजबूर हैं. ऐसे में लोग जब भी इंश्योरेंस खरीदे. अपना फॉर्म खुद भरे. हर लिखी हुई बात को जरूर पढ़ें. जिससे वे अपने क्लेम को आसानी से समय पर ले सकते हैं.
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