बालोद : बालोद जिला मुख्यालय में दल्ली राजहरा मुख्य मार्ग पर वन विभाग द्वारा बनाए गए कृष्ण कुंज परिसर को विस्तृत करने नगर पालिका के माध्यम से चलो चौपाटी का निर्माण कराया गया था. जहां पर छोटी-छोटी झोपड़ियां बनाकर व्यापारियों को बेची गई थी. लेकिन नौ महीने बाद चौपाटी की लुटिया डूबती नजर आ रही है. व्यापारियों के साथ-साथ पालिका के उदासीनता भी यहां पर देखने को मिल रही है. परिसर गंदगी से भरा पड़ा है. पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. जिन्होंने दुकान खरीदी वह भी दुकान नहीं खोल रहे हैं. पालिका प्रशासन का कहना है कि दुकान खोलने के लिए 14 व्यापारियों को नोटिस जारी किया गया है.
लाखों खर्च करने के बाद भी फायदा नहीं : चलो चौपाटी परिसर में दुकान का संचालन कर रही साधना जायसवाल ने बताया कि उन्होंने पहले दुकानों को खरीदा उसके बाद स्वयं के पैसे से लोगों को सुविधाएं देने के लिए अपने जगह का विस्तार किया. लाखों रुपए खर्च करने के बाद जो अन्य दुकानदार हैं उन्होंने दुकान खोलना बंद कर दिया.
पालिका द्वारा जो व्यवस्थाएं मुहैया करानी चाहिए. यहां आने जाने वाले लोगों को सुविधाएं देनी चाहिए. वह भी पालिका नहीं कर पा रही है. परिणाम स्वरुप यहां पर गंदगी फैली हुई है. सबसे बड़ी बात पानी के लिए काफी दिक्कतें होती है. ऐसे में यहां पर कौन आएगा..शाम को असामाजिक तत्वों का अड्डा बन जाता है. पहले तो हमें जिला प्रशासन ने जल्द से जल्द दुकान खोलने के लिए दबाव बनाया.अब झांकने नहीं आ रहे हैं- साधना जायसवाल, दुकान संचालिका
14 व्यापारियों को जारी हुआ नोटिस : नगर पालिका के सीएमओ सौरभ शर्मा ने बताया कि समय-समय पर नगर पालिका साफ सफाई कराती है. जिन दुकानदारों ने दुकान खरीदा है उनके द्वारा दुकानों को बंद कर दिया गया है.हमने दुकान खोलने के लिए सभी को नोटिस जारी किया है.
यदि समय रहते दुकान नहीं खोला जाता है तो हम पंचनामा कर दुकानों का ताला तोड़ेंगे. उसके बाद दूसरे अन्य लोगों को इसकी नीलामी करेंगे. हम चाहते हैं कि चलो चौपाटी क्षेत्र और पूरा परिसर व्यवस्थित हो. लोगों को यहां सुविधा और खान-पान की वस्तुएं मिले - सौरभ शर्मा, सीएमओ
असामाजिक तत्वों का लगा रहता जमावड़ा : आपको बता दें कि चलो चौपाटी परिसर में अब सन्नाटा पसरा हुआ है. पहले से ही झोपड़ी बने हुए हैं टिन शीट से बने परिसर भी बने हैं. आज यहां पर प्रेमी जोड़े सक्रिय नजर आते हैं. आपको बता दें कि वन विभाग और संयुक्त नगर पालिका ने इसकी जिम्मेदारी उठाई थी. लेकिन आज सभी जिम्मेदार लोग अपना मुंह मोड़ते नजर आ रहे हैं. वहीं पालिका से जुड़े हुए कुछ वर्ग विशेष के लोगों ने एक साथ ही यहां पर दुकानों को खरीदा है. जो अब इसके व्यवस्था को लेकर पूरी तरह उदासीन है.
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