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चंपई सरकार की दूसरी अग्नि परीक्षा, कैबिनेट की रेस में कौन है आगे, किसपर मंडरा रहा है खतरा!

Champhai Cabinet Extension. चंपई सोरेन की सरकार ने सोमवार को पहली अग्नि परीक्षा पास कर ली है, लेकिन दूसरी अग्नि परीक्षा अभी उनके सामने है. कई मौकों पर चंपई सोरेन कह चुके हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार जल्द करेंगे. मंत्री बनने की रेस में कौन आगे हैं, हेमंत सोरेन की सरकार का हिस्सा रहे किन मंत्रियों पर खतरा मंडरा रहा है, इस रिपोर्ट में जानिए...

Champhai Cabinet Extension
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 6, 2024, 6:36 PM IST

रांची: चंपई सोरेन सरकार ने सदन में बहुमत साबित कर पहली अग्नि परीक्षा पास कर ली है. अब सीएम के सामने कैबिनेट विस्तार की चुनौती है. बिना खटपट के इसको अमलीजामा पहनाना आसान नहीं है. सरकार में शामिल कांग्रेस के कई विधायकों ने तो पहले ही कह दिया है कि इसबार नए चेहरों को भी मौका मिलना चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की कुल संख्या संबंधित विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या का 15% होना चाहिए. झारखंड में मुख्यमंत्री के अलावा 11 मंत्रियों की जगह है लेकिन रघुवर सरकार के समय से सीएम समेत 11 मंत्रियों की परिपाटी चली आ रही है. ताकि विरोध के स्वर मुखर होने पर किसी एक को एडजस्ट किया जा सके.

31 जनवरी को हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने के बाद 2 फरवरी को चंपई सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम और राजद विधायक सत्यानंद भोक्ता मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. अब कम से कम 8 विधायकों को मंत्री बनाया जाना है. सिर्फ एक विधायक होने की वजह से राजद का मसला सेटल हो चुका है. अब सवाल है कि झामुमो और कांग्रेस से किस किस का पत्ता कट सकता है और किन नये चेहरों को जगह मिल सकती है.

झामुमो कोटे से कौन-कौन विधायक हैं रेस में: सबसे पहले बात सबसे बड़े सत्ताधारी दल झामुमो की बात कर लेते हैं. हेमंत मंत्रिमंडल में सीएम के अलावा पांच झामुमो विधायक मंत्री थे. इनमें मिथिलेश ठाकुर, चंपई सोरेन, जोबा मांझी, हफीजुल हसन और जगरनाथ महतो के निधन के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी को मंत्री बनाया गया था. अब हेमंत सोरेन की जगह चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बन गये हैं. विधायकों को एकसूत्र में बांधे रखने के लिए सोरेन परिवार दखल जरुरी है.

सूत्रों के मुताबिक इस कैबिनेट में हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन को शामिल करना तय है. वह हेमंत सोरेन की जगह डिप्टी सीएम बन सकते हैं. परिवार की एकजुटता बनाए रखने के लिए शिबू सोरेन के ज्येष्ठ पुत्र दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन भी कह चुकी हैं कि गुरुजी ने मंत्री बनने का आशीर्वाद दे दिया है. इनकी इंट्री से महिला कोटे में बेबी देवी का नाम कट सकता है. हालांकि उनके नाम को लेकर पार्टी में दो राय है. एक पक्ष का कहना है कि जगरनाथ महतो के निधन के बाद उनको मंत्री बनाया गया है. इतनी जल्दी उनको हटाने से कार्यकर्ताओं में निगेटिव मैसेज जा सकता है. ऐसे में जोबा मांझी को अलग किया जा सकता है. क्योंकि कोल्हान से आने वाले चंपई सोरेन मंत्री से सीएम बन चुके हैं.

अब बचते हैं दो मंत्री. अल्पसंख्यक कोटा की वजह से हफीजुअल हसन की दावेदारी मजबूत है. वहीं अगड़ी जाति से आने वाले मिथिलेश ठाकुर को हेमंत सोरेन का बेहद करीबी बताया जाता है. ओबीसी कोटे के दिग्गज झामुमो नेता मथुरा महतो के बारे में जानकारी मिल रही है कि पार्टी उन्हें गिरिडीह से लोकसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है.

कांग्रेस कोटे से कौन कौन विधायक हैं रेस में: चंपई कैबिनेट में कांग्रेस कोटे से चार मंत्रियों को शामिल करना है. आलमगीर आलम पहले ही शपथ ले चुके हैं. चर्चा है कि डॉ रामेश्वर उरांव, बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता की जगह नये चेहरों को जगह देने का दबाव बनाया जा रहा है. पिछले दिनों राजभवन से आमंत्रण मिलने में देरी होने पर सभी विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया गया था. पार्टी सूत्रों ने बताया कि उस वक्त प्रदेश कांग्रेस प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष ने विक्षुब्ध विधायकों को भरोसा दिलाया था कि इस बार नये चेहरों को जगह मिलेगी. वहीं पूर्व मंत्रियों के खेमे के सूत्र बता रहे हैं कि प्रभारी ने उन्हें भी भरोसा दिलाया था कि चेहरे नहीं बदले जाएंगे. क्योंकि उन्हें अंदेशा है कि ऐसा करने पर दूसरे विधायक नाराज हो सकते हैं.

लेकिन विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि बादल पत्रलेख की छुट्टी होनी तय है. क्योंकि राहुल गांधी के देवघर में पूजा के दौरान पीएम मोदी के पक्ष में नारे लगे थे. जरमुंडी से दो बार करीब 3 हजार वोट के अंतर से जीतने वाले कांग्रेस विधायक बादल पत्रलेख के लिए यह नारेबाजी निगेटिव परसेप्शन क्रिएट कर चुकी है. उनके खिलाफ पहले ही पार्टी के कई विधायक बोलते रहे हैं. माना जा रहा है कि उनकी जगह महगामा से कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह को जगह मिल सकती है.

अब रही बात बन्ना गुप्ता की तो ओबीसी कैटेगरी को बैलेंस करने के लिए पार्टी के पास अंबा प्रसाद एक विकल्प दिखती हैं. लेकिन वह पहली बार चुनाव जीती हैं. ऊपर से बन्ना गुप्ता अपनी फिल्डिंग सेट करने में लगे हुए हैं. हालांकि अंबा प्रसाद ने एड़ी चोटी लगा दी है. आज वह राहुल गांधी से मिलने के लिए खूंटी में उनकी न्याय यात्रा में भी शामिल हुई थीं. बन्ना की जगह लेने के लिए उमाशंकर अकेला भी जोर लगा रहे हैं. रही बात डॉ रामेश्वर उरांव की तो बजट सत्र के मद्देनजर उनको हटाना मुश्किल दिख रहा है. वह अर्थशास्त्र के अच्छे जानकार हैं. हालांकि एक दौर ऐसा भी आया था जब उनका नाम बिरसा कांग्रेस से जुड़ा था. तब उन्होंने इसे महज साजिश करार दिया था.

जाहिर है कि सीएम चंपई सोरेन के लिए कैबिनेट का विस्तार करना आसान नहीं होगा. हालांकि उनके लिए राहत की बात है कि गुरुजी के पुत्र बसंत और बड़ी बहू सीता सोरेन की इंट्री से दो पूर्व मंत्रियों को साइड करने में दिक्कत नहीं होगी. लेकिन कांग्रेस में पक रही खिचड़ी नई मुसीबत खड़ी कर सकती है. क्योंकि अंबा प्रसाद के पिता मंत्री रह चुके हैं. उनकी मां भी चुनाव जीत चुकी हैं. इस परिवार का बड़कागांव में जबरदस्त होल्ड है.

इधर, भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण का कहना है कि चंपई सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार अंतर्कलह और अंतर्विरोध की वजह से नहीं चल पाएगी. उनका कहना है कि कांग्रेस के सभी विधायक मंत्री बनना चाहते हैं. ऐसी सरकार जनहित में कुछ नहीं कर पाएगी. सदन में 5 फरवरी को विश्वास मत हासिल करने के दौरान सीएम चंपई सोरेन ने कहा था कि दो दिन के भीतर मंत्रिमंडल का विस्तार कर लिया जाएगा. एक दिन गुजर चुका है. अगले 24 घंटे में साफ हो जाएगा कि गठबंधन में सबकुछ ठीक है या खटपट संभालना मुश्किल हो रहा है.

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31 जनवरी को हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने के बाद 2 फरवरी को चंपई सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम और राजद विधायक सत्यानंद भोक्ता मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. अब कम से कम 8 विधायकों को मंत्री बनाया जाना है. सिर्फ एक विधायक होने की वजह से राजद का मसला सेटल हो चुका है. अब सवाल है कि झामुमो और कांग्रेस से किस किस का पत्ता कट सकता है और किन नये चेहरों को जगह मिल सकती है.

झामुमो कोटे से कौन-कौन विधायक हैं रेस में: सबसे पहले बात सबसे बड़े सत्ताधारी दल झामुमो की बात कर लेते हैं. हेमंत मंत्रिमंडल में सीएम के अलावा पांच झामुमो विधायक मंत्री थे. इनमें मिथिलेश ठाकुर, चंपई सोरेन, जोबा मांझी, हफीजुल हसन और जगरनाथ महतो के निधन के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी को मंत्री बनाया गया था. अब हेमंत सोरेन की जगह चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बन गये हैं. विधायकों को एकसूत्र में बांधे रखने के लिए सोरेन परिवार दखल जरुरी है.

सूत्रों के मुताबिक इस कैबिनेट में हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन को शामिल करना तय है. वह हेमंत सोरेन की जगह डिप्टी सीएम बन सकते हैं. परिवार की एकजुटता बनाए रखने के लिए शिबू सोरेन के ज्येष्ठ पुत्र दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन भी कह चुकी हैं कि गुरुजी ने मंत्री बनने का आशीर्वाद दे दिया है. इनकी इंट्री से महिला कोटे में बेबी देवी का नाम कट सकता है. हालांकि उनके नाम को लेकर पार्टी में दो राय है. एक पक्ष का कहना है कि जगरनाथ महतो के निधन के बाद उनको मंत्री बनाया गया है. इतनी जल्दी उनको हटाने से कार्यकर्ताओं में निगेटिव मैसेज जा सकता है. ऐसे में जोबा मांझी को अलग किया जा सकता है. क्योंकि कोल्हान से आने वाले चंपई सोरेन मंत्री से सीएम बन चुके हैं.

अब बचते हैं दो मंत्री. अल्पसंख्यक कोटा की वजह से हफीजुअल हसन की दावेदारी मजबूत है. वहीं अगड़ी जाति से आने वाले मिथिलेश ठाकुर को हेमंत सोरेन का बेहद करीबी बताया जाता है. ओबीसी कोटे के दिग्गज झामुमो नेता मथुरा महतो के बारे में जानकारी मिल रही है कि पार्टी उन्हें गिरिडीह से लोकसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है.

कांग्रेस कोटे से कौन कौन विधायक हैं रेस में: चंपई कैबिनेट में कांग्रेस कोटे से चार मंत्रियों को शामिल करना है. आलमगीर आलम पहले ही शपथ ले चुके हैं. चर्चा है कि डॉ रामेश्वर उरांव, बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता की जगह नये चेहरों को जगह देने का दबाव बनाया जा रहा है. पिछले दिनों राजभवन से आमंत्रण मिलने में देरी होने पर सभी विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया गया था. पार्टी सूत्रों ने बताया कि उस वक्त प्रदेश कांग्रेस प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष ने विक्षुब्ध विधायकों को भरोसा दिलाया था कि इस बार नये चेहरों को जगह मिलेगी. वहीं पूर्व मंत्रियों के खेमे के सूत्र बता रहे हैं कि प्रभारी ने उन्हें भी भरोसा दिलाया था कि चेहरे नहीं बदले जाएंगे. क्योंकि उन्हें अंदेशा है कि ऐसा करने पर दूसरे विधायक नाराज हो सकते हैं.

लेकिन विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि बादल पत्रलेख की छुट्टी होनी तय है. क्योंकि राहुल गांधी के देवघर में पूजा के दौरान पीएम मोदी के पक्ष में नारे लगे थे. जरमुंडी से दो बार करीब 3 हजार वोट के अंतर से जीतने वाले कांग्रेस विधायक बादल पत्रलेख के लिए यह नारेबाजी निगेटिव परसेप्शन क्रिएट कर चुकी है. उनके खिलाफ पहले ही पार्टी के कई विधायक बोलते रहे हैं. माना जा रहा है कि उनकी जगह महगामा से कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह को जगह मिल सकती है.

अब रही बात बन्ना गुप्ता की तो ओबीसी कैटेगरी को बैलेंस करने के लिए पार्टी के पास अंबा प्रसाद एक विकल्प दिखती हैं. लेकिन वह पहली बार चुनाव जीती हैं. ऊपर से बन्ना गुप्ता अपनी फिल्डिंग सेट करने में लगे हुए हैं. हालांकि अंबा प्रसाद ने एड़ी चोटी लगा दी है. आज वह राहुल गांधी से मिलने के लिए खूंटी में उनकी न्याय यात्रा में भी शामिल हुई थीं. बन्ना की जगह लेने के लिए उमाशंकर अकेला भी जोर लगा रहे हैं. रही बात डॉ रामेश्वर उरांव की तो बजट सत्र के मद्देनजर उनको हटाना मुश्किल दिख रहा है. वह अर्थशास्त्र के अच्छे जानकार हैं. हालांकि एक दौर ऐसा भी आया था जब उनका नाम बिरसा कांग्रेस से जुड़ा था. तब उन्होंने इसे महज साजिश करार दिया था.

जाहिर है कि सीएम चंपई सोरेन के लिए कैबिनेट का विस्तार करना आसान नहीं होगा. हालांकि उनके लिए राहत की बात है कि गुरुजी के पुत्र बसंत और बड़ी बहू सीता सोरेन की इंट्री से दो पूर्व मंत्रियों को साइड करने में दिक्कत नहीं होगी. लेकिन कांग्रेस में पक रही खिचड़ी नई मुसीबत खड़ी कर सकती है. क्योंकि अंबा प्रसाद के पिता मंत्री रह चुके हैं. उनकी मां भी चुनाव जीत चुकी हैं. इस परिवार का बड़कागांव में जबरदस्त होल्ड है.

इधर, भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण का कहना है कि चंपई सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार अंतर्कलह और अंतर्विरोध की वजह से नहीं चल पाएगी. उनका कहना है कि कांग्रेस के सभी विधायक मंत्री बनना चाहते हैं. ऐसी सरकार जनहित में कुछ नहीं कर पाएगी. सदन में 5 फरवरी को विश्वास मत हासिल करने के दौरान सीएम चंपई सोरेन ने कहा था कि दो दिन के भीतर मंत्रिमंडल का विस्तार कर लिया जाएगा. एक दिन गुजर चुका है. अगले 24 घंटे में साफ हो जाएगा कि गठबंधन में सबकुछ ठीक है या खटपट संभालना मुश्किल हो रहा है.

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