लखनऊ: लोकसभा चुनाव में विधायकों के सांसद बनने और कानपुर के सीसामऊ विधायक को सजा मिलने के बाद उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. भाजपा, सपा के साथ बहुजन समाज पार्टी भी इस बार उप चुनाव लड़ने की घोषणा की है. लिहाजा बसपा ने 10 सीटों पर तैयारी शुरू कर दी है. सभी सीटों के प्रभारियों को बसपा सुप्रीमो ने जिम्मेदारी सौंपी है और संभावित उम्मीदवारों के नाम भी मांगे हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव इन 10 सीटों में से 5 समाजवादी पार्टी, तीन बीजेपी और एक-एक सीट राष्ट्रीय लोक दल और निषाद पार्टी के खाते में गई थी. बहुजन समाज पार्टी को को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी. अब तक हुए विधानसभा चुनाव में इन 10 सीटों में से दो से तीन सीटों पर ही बहुजन समाज पार्टी जीतनें में सफल रही हैं. 2012 के बाद से पार्टी की स्थिति खराब हो रही है और जो सीटें पार्टी जीतती रही है, उन पर भी अब हार ही मिल रही है. जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उन सीटों पर पिछले दो चुनाव बदतर स्थिति है. केवल एक सीट 2017 में बसपा के खाते में गई थी. ऐसे में उपचुनाव बहुजन समाज पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है.
करहल विधानसभा सीट की समस्या कभी हल नहीं कर पाई बसपा
करहल विधानसभा सीट से विधायक अखिलेश सांसद बन गए हैं. लिहाजा, इस सीट पर फिर से चुनाव हो रहा है. 2012 से लेकर 2022 तक के विधानसभा चुनाव में करहल विधानसभा सीट बहुजन समाज पार्टी के हिस्से कभी नहीं आई. हालांकि इस दौरान पार्टी दूसरे और तीसरे नंबर पर जरूर रही. 2012 में बसपा प्रत्याशी जयवीर सिंह दूसरे नंबर पर रहे. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सोबरन सिंह यादव चुनाव जीते थे. 2017 में विधायक बने थे. इस बार बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में दलवीर खड़े हुए थे. वह तीसरे नंबर पर रहे थे. बीजेपी ने दूसरा स्थान हासिल किया था. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कुलदीप नारायण तीसरे स्थान पर रहे. समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव के हिस्से यह सीट आई. बीजेपी के एसपी सिंह बघेल को अखिलेश यादव ने हराया था. इस सीट पर बसपा प्रत्याशी कभी जीत नहीं सका है. सपा का दबदबा लगातार कायम है.
मिल्कीपुर सीट पर भी बसपा का प्रदर्शन थर्ड क्लास
अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट से 2022 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद चुनाव जीतने में सफल हुए थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत कर सांसद बन गए हैं. अब इस सीट पर फिर उपचुनाव हो रहा है. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी मीरा देवी 2022 में तीसरे स्थान पर रही थीं. मीरा देवी को सिर्फ 14,427 वोट ही मिले थे. बीजेपी के बाबा गोरखनाथ दूसरे स्थान पर रहे थे.
2017 में कटेहरी सीट आई थी बीएसपी के हिस्सेः अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट पर 2017 में बहुजन समाज पार्टी का कब्जा रहा था. 2022 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी यहां पर नहीं जीत पाई. हालांकि उसने निषाद पार्टी के प्रत्याशी को हराकर सपा को सीट जीतने में मदद जरूर की थी. बीएसपी प्रत्याशी ने 24 फ़ीसदी वोट हासिल किए थे. यहां पर लाल जी वर्मा समाजवादी पार्टी से विधायक बने थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में लाल जी वर्मा जीते और सांसद बन गए. इसी के चलते यह सीट खाली हुई है. बसपा इस सीट पर 2017 का प्रदर्शन दोहराना चाहती है. इस सीट से अब तक 5 बार यहां से बसपा विधायक चुने गए हैं.
मीरापुर विधानसभा सीट पर 2012 में दौड़ा था हाथीः मुजफ्फरनगर मीरापुर विधानसभा सीट से 2022 में राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी चंदन चौहान चुनाव जीते थे. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रशांत चौधरी को हराया था. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी सलीम कुरैशी तीसरे स्थान पर रहे थे. 2017 के विधानसभा चुनाव इस सीट पर भाजपा के अवतार सिंह भडाना चुनाव जीते थे. उन्होंने समाजवादी पार्टी के लियाकत अली को चुनाव हराया था. बहुजन समाज पार्टी के नवाजिश आलम खान तीसरे स्थान पर रहे थे. 2012 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी जमील अहमद कासमी चुनाव जीते थे. उन्होंने रालोद के मिथलेश पाल को चुनाव में हराया था. इसके बाद अब तक इस सीट पर बसपा नहीं जीत पाई. इस बार पार्टी फिर से इस सीट को जीतने के लिए जोर लगाएगी.
2012 में बीएसपी ने आबाद की थी गाजियाबाद सीटः गाजियाबाद विधानसभा सीट की बात की जाए तो बहुजन समाज पार्टी 2012 में ये सीट जीतने में कामयाब हुई थी. पार्टी के प्रत्याशी सुरेश बंसल ने भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग को हराया था. 2017 के विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने बदला ले लिया. अतुल गर्ग ने बसपा के सुरेश बंसल को हराकर यह सीट अपने नाम कर ली. इसके बाद 2022 में भी यह दबदबा कायम रहा. अतुल गर्ग ने फिर से यह सीट जीती और 2022 में बहुजन समाज पार्टी के कृष्ण कुमार तीसरे स्थान पर खिसक गए. 2024 के लोकसभा चुनाव में अतुल गर्ग सांसद बन गए हैं इसलिए इस सीट पर भी चुनाव होना है.
मझवां पर पांच बार रहा बीएसपी का कब्जाः मिर्जापुर की मझवां सीट से विधायक विनोद कुमार बिंद के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली है. इस सीट पर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का दबदबा रहा है. बहुजन समाज पार्टी ने यह सीट अब तक पांच बार अपने हिस्से में की है. पहली बार साल 1991 में बहुजन समाज पार्टी के भागवत पाल चुनाव जीते थे. इसके बाद 1993 में भी उन्हीं के नाम सीट रही. 2002 में बसपा के डॉक्टर रमेश चंद्र बिंद चुनाव जीते. 2007 और 2012 में भी यही प्रत्याशी रहे और बसपा जीत हासिल करती रही, लेकिन 2017 में भारतीय जनता पार्टी के हिस्से यह सीट आ गई. 2022 में इस सीट पर निर्बल भारतीय शोषित हमारा आम दल के प्रत्याशी विनोद कुमार बिंद ने चुनाव जीता था. बीएसपी को उम्मीद है कि एक बार फिर वह इस सीट पर इतिहास दोहरा सकती है.
शीशामऊ विधानसभा सीट पर हमेशा सुस्त रहा हाथीः कानपुर की शीशामऊ विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी को सजा मिलने के बाद यहां उपचुनाव होना है. इस सीट पर बसपा का हाथी कभी नहीं चल पाया. उसकी चाल हमेशा सुस्त ही रही. 1989 से लेकर 2022 तक के विधानसभा चुनाव में जब सबसे अच्छा पार्टी का प्रदर्शन हुआ तो बसपा तीसरे स्थान तक ही आ सकी. 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के हाजी इरफान सोलंकी ने जीत हासिल की थी. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रजनीश तिवारी चौथे स्थान पर रहे थे.
खैर सीट पर खैर मनाती रही बसपाः अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक अनूप प्रधान सांसद चुने गए हैं. जिसकी वजह से इस सीट पर भी उपचुनाव है. इस सुरक्षित विधानसभा से बीजेपी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी जीतते रहे हैं. हालांकि बहुजन समाज पार्टी भी 2012 और 2017 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अनूप प्रधान जीते थे तो बसपा की चारू कैन दूसरे नंबर पर रहीं. 2017 में भी इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा रहा था अनूप प्रधान ही यहां से चुनाव जीते थे. 2012 के विधानसभा के चुनाव में आरएलडी के प्रत्याशी भगवती प्रसाद चुनाव जीते थे. बहुजन समाज पार्टी की राजरानी दूसरे नंबर पर रही थीं.
फूलपुर सीट पर दो बार से खिल रहा फूल, हाथी की चाल धीमीः प्रयागराज के फूलपुर विधानसभा सीट पर पिछले दो बार से कमल का फूल ही खिल रहा है. बहुजन समाज पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी. रामटोलन यादव पार्टी के प्रत्याशी थे. बीजेपी के प्रवीण सिंह पटेल ने चुनाव में जीत हासिल की थी, जो सांसद चुने गए हैं. 2017 के विधानसभा के चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रवीण कुमार सिंह जीत हासिल करने में सफल हुए थे. उन्होंने समाजवादी पार्टी के मंसूर आलम को हराया था. बहुजन समाज पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी. 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी सईद अहमद ने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी प्रवीण पटेल को हराया था. फूलपुर विधानसभा सीट पर हाथी की चाल धीमी ही रही है. साइकिल चली और फूल भी खिला है.
कुंदरकी विधानसभा सीट पर लड़खड़ाती रही बीएसपीः मुरादाबाद कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायक जियाउर रहमान वर्क के सांसद चुने जाने से यहां उपचुनाव होना है. इस सीट पर पिछले दो चुनावों से सपा का ही वर्चस्व कायम है. 2022 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के जियाउर रहमान वर्क ने चुनाव जीता था. बहुजन समाज पार्टी के मोहम्मद रिजवान तीसरे स्थान पर रहे थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मोहम्मद रिजवान ने चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के अकबर हुसैन तीसरे स्थान पर रहे थे. इन दोनों चुनाव में भाजपा दूसरे स्थान पर रही थी.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषक प्रभात रंजन दीन का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी की वर्तमान में जो स्थिति है उससे तो यही लगता है कि शायद ही इस उपचुनाव में बीएसपी कोई करिश्माई प्रदर्शन कर पाए. 2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट ही बीएसपी के खाते में आई थी. वह भी यह माना जाता है कि उमाशंकर सिंह की अपने दम पर ही वह सीट है, क्योंकि वह निर्दलीय भी चुनाव जीत सकते हैं. उपचुनाव की इन 10 सीटों पर भी एक या दो सीटों को छोड़ दिया जाए तो किसी पर भी बसपा का प्रदर्शन काबिले तारीफ तो रहा नहीं. ऐसे में इन विधानसभा उपचुनाव में किसी करिश्मे की उम्मीद बीएसपी करते हुए नहीं दिख रही है. कांग्रेस और सपा गठबंधन में बीएसपी की उम्मीद और भी कम हो गई है.