रायपुर: छत्तीसगढ़ की सियासत में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक काफी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. एक समय में भाजपा के पक्ष में जो माहौल था, वो अब बदलता नजर आ रहा है. पिछले कुछ दिनों में बिगड़ती कानून व्यवस्था, लचर स्वास्थ्य सुविधाएं, पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन न करने के साथ ही कई अन्य मामलों को लेकर भाजपा घिरती नजर आ रही है. यही कारण है कि आगामी नगरीय निकाय चुनाव पर इसका प्रभाव पड़ने की संभावना जताई जा रही है. राजनीतिक जानकारों का मानें तो वर्तमान स्थिति को देखते हुए आगामी नगरीय निकाय चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा.
आखिर छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश में सियासी दलों की क्या तैयारी है? आइए जानते हैं.
कांग्रेस का साय सरकार पर प्रहार: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने कहा, "शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सहित मूलभूत सुविधाओं का नगरीय निकाय चुनाव पर जरूर प्रभाव पड़ेगा. पिछले 6 माह में भाजपा सरकार ने प्रदेश की जनता को धोखा दिया है. चाहे महतारी वंदन हो या फिर युवाओं की बात हो, जो वादे किए गए थे, उसे पूरा नहीं किया गया है. इसका बदला अब प्रदेश की जनता लेगी. जनता भाजपा सरकार से ऊब गई है. कानून व्यवस्था की ऐसी स्थिति है कि हर नागरिक डरा हुआ है. अंतरराष्ट्रीय गिरोह छत्तीसगढ़ में सक्रिय हो गए हैं. लोगों की हत्याएं रायपुर, बिलासपुर से लेकर बस्तर में की जा रही है.गृहमंत्री का गृह जिला हत्याओं का केंद्र बन चुका है.
सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को भगवान भरोसे छोड़ा: स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत खराब है. मलेरिया डायरिया से लोगों की मौत हो रही है. रायपुर के मेकाहारा में 50 करोड़ की मशीन डंप पड़ी है, उन्हें इंस्टॉल नहीं कराया जा रहा है. पैथोलॉजी में टेस्ट नहीं हो रहा है. पीडीएस का चावल और राशन लोगों तक नहीं पहुंच रहा. दूरस्थ क्षेत्र में लोग भूखे मरने की कगार पर हैं. हमारी सरकार में 750 आत्मानन्द स्कूल खोले गए थे. अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों से लोग अपने बच्चों को निकालकर आत्मानंद स्कूल में डाल रहे थे. हिंदी माध्यम के स्कूलों में लगातार शिक्षक भर्ती हो रही थी. भूपेश बघेल के शासनकाल में 45,000 से अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई. छत्तीसगढ़ को पहला शिक्षक तब मिला था, जब 2018 में कांग्रेस सरकार बनी. इसके पहले कभी शिक्षक भर्ती नहीं हुई थी. हमने जो बिल्डिंग और स्कूलें बनाई थी, उसका रंग-रोगन नहीं कराया जा रहा है, जो अधूरे काम थे, उसे पूरा नहीं कर रहे हैं. शिक्षकों की भर्तियों के बारे में सरकार नहीं सोच रही. एकलव्य विद्यालय 750 शिक्षक थे, उन्हें निकाल दिया गया. यह सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार को भगवान भरेसे छोड़ दी है.
नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा बुरी तरह हारेगी, जिसकी सरकार प्रदेश में होती है, उसके कामों का आंकलन नगरीय निकाय चुनाव में होता है. भाजपा सरकार के कामों का आंकलन त्रि-स्तरिय पंचायत चुनाव में होगा, क्योंकि इसमें निचले स्तर तक सरकार की योजनाओं की पहुंच कहां तक गई है. वह दिखता है, जो कि छत्तीसगढ़ में नहीं हुआ है. -सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग कांग्रेस
बीजेपी ने किया पलटवार: वहीं, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है, "पिछले 5 साल प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं थी. भ्रष्टाचार और संगठित अपराधियों का गिरोह यहां काम कर रहा था. उनको लग रहा है कि आज भी वैसे ही चीजें चल रही है. प्रदेश में विष्णु देव साय की सुशासन वाली सरकार चल रही है, जो हमने जनता से वादे किए थे, उसे पूरा कर रहे हैं. मोदी की गारंटी दी गई थी कि पीएसी की जांच सीबीआई से कराई जा रही है. महतारी वंदन का पैसा महिलाओं के खाते में पहुंच रहा है. 3100 में धान खरीदा जा रहा है. 2 साल का बकाया बोनस दिया गया. 18 लाख आवास मिल रहे हैं. क्या इस काम को कांग्रेस नकार सकती है? यह हमारे घोषणा पत्र का वादा था. कांग्रेस के घोषणा पत्र में 2500 रुपया बेरोजगारी भत्ता सहित तमाम वादे किए गए थे. शराब बंदी की बात कही गई थी. वह झूठ का पुलिंदा था."
प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को विधानसभा में नकारा. लोकसभा चुनाव में नकारा और अब यह लोग नगरीय निकाय चुनाव में किस मुंह से जाएंगे? उनके पास क्या एजेंडा है? किस नाम से यह वोट मांगेंगे? उनके पास वोट मांगने का कोई कारण नहीं है. हमारे पास जनता के बीच जाने के 50 कारण हैं. यदि कोई घटना होती है तो त्वरित कार्रवाई की जाती है. गोलीबारी हुई, उस पर ऐसा नहीं हुआ कि पुलिस हरकत में नहीं आई. पुलिस अपना कर रही है. स्वास्थ्य की बात की जाए तो हमको मौजूदा स्वास्थ्य ढांचा मिला है. वह पूरी तरह जर्जर और भ्रष्टाचार वाला है. उसे संभालने में समय लग रहा है. 700 करोड़ का अकेला कर्ज, जो वजीफा फाड़ कर स्वास्थ्य विभाग में गए हैं, उसे भरने में समय लगता है, उस दिशा में काम कर रहे हैं. -गौरीशंकर श्रीवास, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता
जानिए क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट: इस पूरे मामले में पॉलिटिकल एक्सपर्ट उचित शर्मा का कहना है कि, "नगरीय निकाय चुनाव भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि पिछले नगरीय निकाव चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस ने चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था. हालांकि उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी, लेकिन वर्तमान स्थिति को भी देखा जाए तो भाजपा के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि भाजपा बहुत सारी जगह पर आने की कोशिश करेगी. वर्तमान में उनकी सरकार भी है, इसलिए उनकी ज्यादा अच्छा परिणाम देने की कोशिश होगी, इसलिए उनके लिए चुनौती हो सकती है. वर्तमान की बात करें तो ज्यादातर नगर निगम महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष कांग्रेस के हैं, उनको हटाकर बीजेपी को अपने लोगों को लाना बड़ी चुनौती होगी.
वर्तमान में देखा जाए तो कानून व्यवस्था बिगड़ी हुई है. स्वास्थ्य विभाग की स्थिति ठीक नजर नहीं आ रही है. शहरी क्षेत्र में साफ-सफाई और नालों को लेकर लोग काफी परेशान हैं. आम जनता से जुड़ी चीज को लेकर सरोकार है उसका अभी चुनाव है, तो जनता नगरीय निकाय चुनाव में इन सब चीजों का आंकलन करती है. उसके हिसाब से वोट देती है. यहां पर वोट व्यक्तिगत तौर पर होता है, ना कि राजनीतिक दल के अनुसार. -उचित शर्मा, पॉलिटिकल एक्सपर्ट
यानी कि आगामी नगरीय निकाय चुनाव में सियासी दलों को काफी मेहनत करनी पड़ सकती है. भाजपा प्रदेश में पिछले दिनों किए अपने कामों को लेकर जनता के बीच जाने की बात कह रही है. वहीं, कांग्रेस प्रदेश में बीजेपी सरकार की नाकामियों को गिना रही है, जबकि पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मामले में अलग ही राय है.