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सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत का है लक्ष्य, संक्रमण से बचाव में कौन सी वैक्सीन है मददगार, जानिए - cervical cancer

एचपीवी वैक्सीन क्या होता है. एचपीवी वैक्सीन कब और कितने डोज महिलाओं को लगाने होते हैं. किस उम्र की महिलाओं को एचपीवी वैक्सीन लगाया जाता है. कौन से और किस तरह के वायरस के संक्रमण से एचपीवी वैक्सीन महिलाओं को लगाना जरूरी होता है. ईटीवी भारत आज आरको इस संबंध में विस्तार से जानकारी देने जा रहा है.

CERVICAL CANCER
सर्वाइकल कैंसर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 22, 2024, 6:26 PM IST

Updated : May 23, 2024, 8:06 AM IST

सर्वाइकल कैंसर के संबंध में डॉक्टर का सुझाव (ETV BHARAT)

रायपुर : एचपीवी वैक्सीन, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के खिलाफ लड़ने वाली वैक्सीन मानी गई है. महिलाओं में बच्चेदानी का मुंह का कैंसर, जिसे सामान्य तौर पर सर्वाइकल कैंसर के नाम से जाना जाता है. महिलाओं में 95 से 98 फीसदी तक यह कैंसर इसी वायरस की वजह से फैलता है. भारत में इस तरह की वैक्सीन उपलब्ध है, जो इस तरह के वायरस से 95 से 98 फीसदी तक बचाव व रोकथाम की जा सकती है.

2030 तक सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत का लक्ष्य : स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सावेरी सक्सेना ने बताया, "विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक लक्ष्य रखा है कि भारत से साल 2030 तक सर्वाइकल कैंसर को खत्म करना है. इस लक्ष्य को हासिल करने में एचपीवी वैक्सीन को एक बहुत बड़ा हथियार माना गया है. भारत सरकार भी इस दिशा में लगातार काम कर रहा है कि एचपीवी वैक्सीन को हर उन जरूरतमंदों तक कम से कम दाम में पहुंचाया जाए."

"यह वैक्सीन महंगी है ही, साथ में लोगों में भी जागरूकता की कमी है. इस वैक्सीन की उपलब्धता भी थोड़ी कम है. महिलाओं को एचपीवी वैक्सीन तीन डोज लगाने होते हैं, जिसका खर्चा लगभग 13000 रुपए होता है. इस वजह से भी यह वैक्सीन लोगों की पहुंच से दूर है. इस वैक्सीन को लगाने के बाद भी महिला को स्क्रीनिंग करवानी जरूरी है." - डॉ सावेरी सक्सेना, स्त्री रोग विशेषज्ञ

"तीन-तीन साल में स्क्रीनिंग कराना जरूरी" : स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया, "पेप्समीयर, जो सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग होती है. हर महिला को 21 वर्ष की उम्र के बाद सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग तीन-तीन साल में करवानी जरूरी है. ऐसा करने से सर्वाइकल कैंसर, जो कि बच्चेदानी का मुंह का कैंसर है, उसे शुरुआती स्टेज में पकड़ा जा सकता है. ऐसे में महिलाओं को एचपीवी वैक्सीन लगाने के साथ ही स्क्रीनिंग करवानी भी जरूरी है.

"ऐसा भी कहा जा रहा है कि अगर लड़कियों को 9 से 11 वर्ष के बीच इस वैक्सीन को लगाया जाता है, तो इस कैंसर से उसे बचाया जा सकता है." - डॉ सावेरी सक्सेना, स्त्री रोग विशेषज्ञ

सर्वाइकल कैंसर से बचने में है मददगार : डॉ सावेरी सक्सेना ने यह भी बताया, "अन्य देशों में यह वैक्सीन लड़कों को भी लगाई जाती है. क्योंकि यह वाइरस फिनाइल कैंसर, ओरल कैंसर जैसे कारणों से भी होते हैं. यहां तक कि इस वायरस की वजह से यौन संबंधी बीमारियां भी फैलती है. लड़कियों में अगर यौन संबंध नहीं बना है या कम उम्र में यह वैक्सीन लगाया जाता है, तो सर्वाइकल कैंसर से बचने के साथ ही इस वैक्सीन का असर अच्छे से होता है."

क्या है सर्वाइकल कैंसर? : महिलाओं में होने वाले दूसरे सबसे आम में सर्वाइकल कैंसर आता है. दुनियाभर में हर साल सर्विक्स कैंसर के एक लाख से ज्यादा नए केस आते हैं. एचपीवी संक्रमण ही गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की वजह माना जाता है. इसलिए एचपीवी के खिलाफ टीकाकरण इसे खतरनाक स्टेज तक बढ़ने से रोकता है. एचपीवी संक्रमण यौन संचारित बीमारी है, जो महिलाओं और पुरुषों में जननांग मस्से और जननांग पथ के कैंसर की वजह बनता है. एचपीवी के योनि कैंसर, गुदा कैंसर और लिंग कैंसर (पुरुषों में) जोखिम वाले प्रकारों में से एक है.

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रायपुर : एचपीवी वैक्सीन, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के खिलाफ लड़ने वाली वैक्सीन मानी गई है. महिलाओं में बच्चेदानी का मुंह का कैंसर, जिसे सामान्य तौर पर सर्वाइकल कैंसर के नाम से जाना जाता है. महिलाओं में 95 से 98 फीसदी तक यह कैंसर इसी वायरस की वजह से फैलता है. भारत में इस तरह की वैक्सीन उपलब्ध है, जो इस तरह के वायरस से 95 से 98 फीसदी तक बचाव व रोकथाम की जा सकती है.

2030 तक सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत का लक्ष्य : स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सावेरी सक्सेना ने बताया, "विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक लक्ष्य रखा है कि भारत से साल 2030 तक सर्वाइकल कैंसर को खत्म करना है. इस लक्ष्य को हासिल करने में एचपीवी वैक्सीन को एक बहुत बड़ा हथियार माना गया है. भारत सरकार भी इस दिशा में लगातार काम कर रहा है कि एचपीवी वैक्सीन को हर उन जरूरतमंदों तक कम से कम दाम में पहुंचाया जाए."

"यह वैक्सीन महंगी है ही, साथ में लोगों में भी जागरूकता की कमी है. इस वैक्सीन की उपलब्धता भी थोड़ी कम है. महिलाओं को एचपीवी वैक्सीन तीन डोज लगाने होते हैं, जिसका खर्चा लगभग 13000 रुपए होता है. इस वजह से भी यह वैक्सीन लोगों की पहुंच से दूर है. इस वैक्सीन को लगाने के बाद भी महिला को स्क्रीनिंग करवानी जरूरी है." - डॉ सावेरी सक्सेना, स्त्री रोग विशेषज्ञ

"तीन-तीन साल में स्क्रीनिंग कराना जरूरी" : स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया, "पेप्समीयर, जो सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग होती है. हर महिला को 21 वर्ष की उम्र के बाद सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग तीन-तीन साल में करवानी जरूरी है. ऐसा करने से सर्वाइकल कैंसर, जो कि बच्चेदानी का मुंह का कैंसर है, उसे शुरुआती स्टेज में पकड़ा जा सकता है. ऐसे में महिलाओं को एचपीवी वैक्सीन लगाने के साथ ही स्क्रीनिंग करवानी भी जरूरी है.

"ऐसा भी कहा जा रहा है कि अगर लड़कियों को 9 से 11 वर्ष के बीच इस वैक्सीन को लगाया जाता है, तो इस कैंसर से उसे बचाया जा सकता है." - डॉ सावेरी सक्सेना, स्त्री रोग विशेषज्ञ

सर्वाइकल कैंसर से बचने में है मददगार : डॉ सावेरी सक्सेना ने यह भी बताया, "अन्य देशों में यह वैक्सीन लड़कों को भी लगाई जाती है. क्योंकि यह वाइरस फिनाइल कैंसर, ओरल कैंसर जैसे कारणों से भी होते हैं. यहां तक कि इस वायरस की वजह से यौन संबंधी बीमारियां भी फैलती है. लड़कियों में अगर यौन संबंध नहीं बना है या कम उम्र में यह वैक्सीन लगाया जाता है, तो सर्वाइकल कैंसर से बचने के साथ ही इस वैक्सीन का असर अच्छे से होता है."

क्या है सर्वाइकल कैंसर? : महिलाओं में होने वाले दूसरे सबसे आम में सर्वाइकल कैंसर आता है. दुनियाभर में हर साल सर्विक्स कैंसर के एक लाख से ज्यादा नए केस आते हैं. एचपीवी संक्रमण ही गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की वजह माना जाता है. इसलिए एचपीवी के खिलाफ टीकाकरण इसे खतरनाक स्टेज तक बढ़ने से रोकता है. एचपीवी संक्रमण यौन संचारित बीमारी है, जो महिलाओं और पुरुषों में जननांग मस्से और जननांग पथ के कैंसर की वजह बनता है. एचपीवी के योनि कैंसर, गुदा कैंसर और लिंग कैंसर (पुरुषों में) जोखिम वाले प्रकारों में से एक है.

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Last Updated : May 23, 2024, 8:06 AM IST
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