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भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित करने को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र को समय मिला - Challenge to WFI suspension

कुश्ती संघ के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. इसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का वक्त दिया.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 28, 2024, 10:25 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को चार हफ्ते का समय दे दिया है. जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में करने का आदेश दिया. बुधवार को सुनवाई के दौरान जब केंद्रीय युवा और खेल मंत्रालय की ओर से जवाब देने के लिए समय देने की मांग की गई.

इसका याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने विरोध किया और कहा कि केंद्र सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है. ये मामला सबसे पहले अप्रैल में कोर्ट में आया था. उसके बाद से काफी समय बीत गया, लेकिन मंत्रालय ने जवाब तैयार नहीं किया है. इस तरह भारतीय कुश्ती संघ को लगातार निलंबित स्थिति में नहीं रखा जा सकता है. याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले में आदेश पारित करने का आदेश दिया. तब कोर्ट ने कहा कि बिना खेल मंत्रालय का पक्ष जाने कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता है.

कुश्ती संघ ने दायर की है याचिकाः इससे पहले 9 अप्रैल को कोर्ट ने केंद्रीय युवा और खेल मंत्रालय को नोटिस जारी किया था. याचिका भारतीय कुश्ती संघ ने दायर की है. इसमें 24 दिसंबर 2023 को भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित करने के आदेश को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज को देखने के लिए तदर्थ कमेटी का गठन किया था. तदर्थ कमेटी को भी इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने भंग कर दिया था. भारतीय कुश्ती संघ की ओर से वकील हेमंत फालफर ने कहा कि ये निलंबन नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है.

भारतीय कुश्ती संघ ने याचिका में कहा है कि भारतीय कुश्ती संघ को भंग करने का खेल मंत्रालय का आदेश 2011 के नेशनल स्पोर्ट्स कोड का भी उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि भारतीय कुश्ती संघ को भंग करने के पहले केंद्र सरकार ने न तो कोई नोटिस जारी किया और न ही कोई चेतावनी जारी किया. नेशनल स्पोर्ट्स कोड के मुताबिक इसे भंग करने के पहले नोटिस देना अनिवार्य है. भारतीय कुश्ती संघ को भंग करना इंडियन हॉकी फेडरेशन बनाम केंद्र सरकार के हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन है. भारतीय कुश्ती संघ के एक्जीक्यूटिव काउंसिल का चुनाव जनवरी 2023 से लंबित है.

यह भी पढ़ेंः बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट में तस्वीरें और कॉल डिटेल शामिल, घटनास्थल पर उनकी मौजूदगी की पुष्टि

बता दें, पहलवानों ने बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. महिला पहलवानों ने बृजभूषण और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व सचिव विनोद तोमर के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए केस भी दर्ज कराया है, जो राऊज एवेन्यू कोर्ट में लंबित है. दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 16 अगस्त भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज की देखरेख के लिए तदर्थ समिति के गठन पर मुहर लगाते हुए कहा था कि भारतीय ओलंपिक संघ चाहे तो तदर्थ समिति का पुनर्गठन कर सकती है.

यह भी पढ़ेंः संजय सिंह के WFI अध्यक्ष बनने से नाराज बजरंग पुनिया ने लौटाया पद्म श्री, पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को चार हफ्ते का समय दे दिया है. जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में करने का आदेश दिया. बुधवार को सुनवाई के दौरान जब केंद्रीय युवा और खेल मंत्रालय की ओर से जवाब देने के लिए समय देने की मांग की गई.

इसका याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने विरोध किया और कहा कि केंद्र सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है. ये मामला सबसे पहले अप्रैल में कोर्ट में आया था. उसके बाद से काफी समय बीत गया, लेकिन मंत्रालय ने जवाब तैयार नहीं किया है. इस तरह भारतीय कुश्ती संघ को लगातार निलंबित स्थिति में नहीं रखा जा सकता है. याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले में आदेश पारित करने का आदेश दिया. तब कोर्ट ने कहा कि बिना खेल मंत्रालय का पक्ष जाने कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता है.

कुश्ती संघ ने दायर की है याचिकाः इससे पहले 9 अप्रैल को कोर्ट ने केंद्रीय युवा और खेल मंत्रालय को नोटिस जारी किया था. याचिका भारतीय कुश्ती संघ ने दायर की है. इसमें 24 दिसंबर 2023 को भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित करने के आदेश को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज को देखने के लिए तदर्थ कमेटी का गठन किया था. तदर्थ कमेटी को भी इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने भंग कर दिया था. भारतीय कुश्ती संघ की ओर से वकील हेमंत फालफर ने कहा कि ये निलंबन नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है.

भारतीय कुश्ती संघ ने याचिका में कहा है कि भारतीय कुश्ती संघ को भंग करने का खेल मंत्रालय का आदेश 2011 के नेशनल स्पोर्ट्स कोड का भी उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि भारतीय कुश्ती संघ को भंग करने के पहले केंद्र सरकार ने न तो कोई नोटिस जारी किया और न ही कोई चेतावनी जारी किया. नेशनल स्पोर्ट्स कोड के मुताबिक इसे भंग करने के पहले नोटिस देना अनिवार्य है. भारतीय कुश्ती संघ को भंग करना इंडियन हॉकी फेडरेशन बनाम केंद्र सरकार के हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन है. भारतीय कुश्ती संघ के एक्जीक्यूटिव काउंसिल का चुनाव जनवरी 2023 से लंबित है.

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बता दें, पहलवानों ने बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. महिला पहलवानों ने बृजभूषण और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व सचिव विनोद तोमर के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए केस भी दर्ज कराया है, जो राऊज एवेन्यू कोर्ट में लंबित है. दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 16 अगस्त भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज की देखरेख के लिए तदर्थ समिति के गठन पर मुहर लगाते हुए कहा था कि भारतीय ओलंपिक संघ चाहे तो तदर्थ समिति का पुनर्गठन कर सकती है.

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