मंडी: इस साल मानसून सीजन के दौरान हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन होने से करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ. ऐसे में आपदा से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए आज केंद्रीय दल मंडी पहुंची और प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव मिहिर कुमार के नेतृत्व में यहां पहुंचे आठ सदस्यीय दल ने द्रंग विधानसभा क्षेत्र की चौहार घाटी में स्थित राजबन (तेरंग) और मंडी जिला मुख्यालय के समीप मट्ट व वमाणु गांव में हुए नुकसान का जायजा लिया. इस दौरान केंद्रीय दल ने राजबन में प्रभावित परिवारों से बातचीत भी की. प्रांरभिक तौर पर जिला में लगभग ₹213 करोड़ 22 लाख का नुकसान आंका गया है.
उपायुक्त कार्यालय में हुई समीक्षा बैठक: केंद्रीय दल ने मंडी में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद उपायुक्त कार्यालय में समीक्षा बैठक की. इस बैठक में केंद्रीय दल ने संबंधित विभागों एवं जिला प्रशासन से नुकसान के बारे में चर्चा की और ब्यौरा प्राप्त किया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव मिहिर कुमार ने कहा, "प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने से नुकसान की विभीषिका स्पष्ट हो जाती है. विशेष तौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं से सामान्यजन की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं. यहां प्राप्त जानकारी एवं सुझावों को तथ्यों सहित रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा".
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपायुक्त अपूर्व देवगन ने बरसात के मौसम में जिला में हुए नुकसान पर एक प्रस्तुतीकरण दिया. उन्होंने बताया कि भारी बरसात से चौहार घाटी की ग्राम पंचायत धमच्याण के राजबन गांव में बादल फटने से 10 लोगों की जान चली गई. इनमें से 9 लोगों के शव बरामद कर लिए गए. जबकि एक अन्य अभी भी लापता है.
डीसी ने केंद्रीय दल से आग्रह किया कि ऐसी आपदाओं में लापता लोगों को राहत मैनुअल के अनुसार उचित मुआवजा प्रदान करने में गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी विशेष छूट प्रदान की जाए, ताकि प्रभावित परिवारों को समय पर समुचित राहत उपलब्ध करवाई जा सके. राजबन क्षेत्र में बादल फटने की घटना में अनुमानित 11.92 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है.
लोक निर्माण विभाग का भारी नुकसान: मंडी उपायुक्त ने बताया कि जिला में लोक निर्माण विभाग को सबसे अधिक लगभग 130.47 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है. जल शक्ति विभाग को भी लगभग 68.24 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है. उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ के तहत पेयजल व सिंचाई योजनाओं को नुकसान पर मुआवजे का प्रावधान है, लेकिन सीवरेज को इसमें शामिल नहीं किया जाता है. उन्होंने केंद्रीय दल से इस बारे में सुझाव अपनी रिपोर्ट में शामिल करने का आग्रह किया. सीवरेज लाईन क्षतिग्रस्त होने व अपशिष्ट नदी-नालों में मिल जाने से जलजनित रोगों के उभरने का खतरा और भी बढ़ जाता है.
उपायुक्त ने बताया कि जिला में राजस्व विभाग को दो करोड़ 93 लाख रुपए, राज्य विद्युत बोर्ड को 1.55 करोड़, शिक्षा विभाग को 1.67 करोड़ तथा कृषि विभाग को अनुमानित 1.02 करोड़ रुपए का नुकसान इस वर्ष बरसात में हुआ है. इसके अतिरिक्त बागवानी, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, स्वास्थ्य, मत्स्य पालन विभाग व नगर निगम मंडी सहित सार्वजनिक व निजी संपत्ति को अनुमानित कुल 213.22 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है, जबकि 51 बहुमूल्य मानव जीवन इसमें खोए हैं.
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