रांची: प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं. प्रति किलो प्याज की दर 50 रु. से ज्यादा हो गई है. गरीब की थाली से तो प्याज गायब ही हो गया है. रही बात मध्यम वर्ग की तो पाव-आधा किलो से काम चलाया जा रहा है. सब्जी विक्रेता कह रहे हैं कि पता नहीं कब प्याज का भाव गिरेगा. इस बीच दिल्ली से एक राहत वाली खबर आई है. राजधानी रांची में आठ जगहों पर 35 रु. प्रति किलो की दर से प्याज बेचा जा रहा है. बस आपको थैला उठाकर वहां पहुंचने भर की देरी है.
दरअसल, प्याज के दाम को नियंत्रित रखने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने बफर स्टॉक के प्याज को सस्ते दर पर बेचने का निर्देश दिया है. इसके लिए रांची सहित आधा दर्जन बड़े शहरों में 35 रुपये प्रति किलो प्याज की बिक्री शुरू की गई है. झारखंड की राजधानी रांची में नेफेड और एनसीसीएफ की तरफ से आठ स्थल चिन्हित किए गए हैं. यहां मोबाइल वैन लगाकर किफायती दर पर प्याज की बिक्री शुरू की गई है.
आम लोगों के लिए कांके रोड (स्पीकर निवास के पास), पिस्का मोड़, मोरहाबादी, चांदनी चौक, कांके, लालपुर चौक, बिरला मैदान, बहु बाजार और बरियातू में मोबाइल वैन के माध्यम से सस्ते दर पर प्याज की बिक्री की जा रही है. उपभोक्ता यहां से 35 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज खरीद सकते हैं. उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने बताया कि नेफेड और एनसीसीएफ के मोबाइल वैन के अलावे विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सफल आउलेट और केंद्रीय भंडार पर भी कम मूल्य पर प्याज खरीदा जा सकता है .
खास बात है कि देश में प्याज की कोई कमी नहीं है. बफर स्टॉक के तहत 4.7 लाख टन प्याज की खरीद की गई थी. किसानों और व्यापारियों के पास भी पर्याप्त प्याज का भंडारण है. सरकार ने प्याज की कीमतों पर नजर रखने के लिए 550 केंद्रों पर निगरानी रखी है. रांची सहित अन्य जगहों पर केंद्र सरकार की इस पहल से लोग लाभान्वित होंगे.
नेफेड और एनसीसीएफ से कहा गया है कि सस्ते प्याज की खरीद में उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए हर संभव कोशिश की जाए. उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने बताया कि रांची के अलावे दिल्ली-एनसीआर- 50 और मुंबई- 50, चेन्नई- 19, गुवाहाटी- 11 और भुवनेश्वर में 10 जगहों पर मोबाइल वैन के माध्यम से रियायती मूल्य पर प्याज बेचे जा रहे हैं. अगले कुछ दिनों में देश के अन्य शहरों में भी यह व्यवस्था शुरू की जाएगी. खाद्य मुद्रास्फीति और खुदरा मुद्रास्फीति को कम करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है.
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