प्रयागराजः ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गाय को राष्ट्र माता घोषित करने और केंद्र सरकार से अपनी रीति नीति स्पष्ट करने का अल्टीमेटम दिया है.
महाकुंभ में सेक्टर 19 स्थित ज्योतिषपीठ के पंडाल में प्रेस कांफ्रेंस में शंकराचार्य ने कहा कि गाय के लिए चाहे हमारे चिथड़े उड़ जायेंगे, फिर भी हम लड़ाई जारी रखेंगे और कहते रहेंगे गाय हमारी माता है. पंचदेव गो प्रतिष्ठा महायज्ञ के समापन से ठीक एक दिन पहले उन्होंने केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया और कहा या तो गाय को राष्ट्र माता घोषित करे नहीं तो आज से 33वें दिन हिंदू दिल्ली में किसी स्थान पर बैठेगा, उनकी अगुवाई मैं करूंगा.
गौ माता को पशु की सूची से हटाएंः स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अगर 33 दिनों में केंद्र सरकार गाय को गौ माता नहीं घोषित करती है तो कड़ा निर्णय लेंगे. केंद्र सरकार गौ माता को पशु की सूची से हटा करके माता के रूप में घोषित करें. अगर कर सकते हैं तो भी बता दीजिए, अगर नहीं कर सकते हैं तो वह भी बता दीजिए. पिछले 2 साल से गाय को राष्ट्र माता घोषित करने के लिए लगातार प्रयास हो रहा है. सनातनी और बहुसंख्यक चाहते हैं कि गाय को गौ माता के रूप में घोषित किया जाए. 17 मार्च तक अगर केंद्र सरकार गौ माता को माता के रूप में घोषित नहीं करती है तो सनातनी यह समझ लेगा कि केंद्र सरकार गौ माता का वध कराती रहना चाहती है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि उत्तर प्रदेश की पशुपालन विभाग में घोषणा की है कि गाय को पाठ में शामिल किया जाएगा. गाय पशु की सूची में शामिल है तो गाय के बारे में क्या पाठ पढ़ाओगे? अगर पढ़ाना है तो सूची को सुधार करके पढ़ाइए. गाय को माता लिखिए. पशु के रूप में मत लिखिए. अगर पशु पढ़ाएंगे तो हम इसका बहिष्कार करेंगे .
33 दिनों तक पदयात्रा निकलेगीः शंकराचार्य ने कहा कि गाय को माता के रूप में घोषित करने के लिए एक पदयात्रा सचिन द्विवेदी के नेतृत्व में महाकुंभ नगर से निकलेगी जो 17 मार्च को विभिन्न प्रांतो से होते हुए दिल्ली पहुंचेगी. इस यात्रा का मकसद है हिंदुओं को और सनातनियों को जागरूक करना. गाय को गौ माता के रूप में घोषित करने के लिए जनजागरण करना.
भगवान हंस के दर्शन- पूजन नहीं कर पाया, यह दुर्भाग्यपूर्णः शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जैसे भगवान प्रभु श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या है. प्रभु श्री कृष्ण की मथुरा है, वैसे ही भगवान हंस यानी विष्णु के 24वें अवतार की भगवान हंस की जन्मस्थली झूंसी (प्रतिष्ठानपुरी) है. मुझे इस बात का बेहद अफसोस है कि इस हंस तीर्थ क्षेत्र जिसका पौराणिक महत्व है, जिसका वर्णन पुराणों में है, उस पर किसी ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है. इस हंस कूप को पौराणिक हंस तीर्थ मंदिर, हंस कूप को और पौराणिक संकट हर माधव मंदिर को अवैध रूप से दीवारों से घेर लिया गया है. लाख कोशिश करने के बाद अपने लोगों के भेजने के बाद भी इस हंस तीर्थ क्षेत्र का परिक्रमा नहीं कर पाया. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.
कहने के लिए हिंदू सरकारः शंकराचार्य स्वामी ने कहा कि जिस प्रयाग में महाकुंभ चल रहा हो, वहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को भगवान हंस के दर्शन नहीं हो पाए इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. क्या प्रशासन चाहता है कि जैसे अयोध्या और मथुरा में जन्मभूमि प्राप्त करने के लिए आंदोलन चला, वैसे ही प्रयागराज में भी हंस भगवान की जन्म भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए आंदोलन करना पड़ेगा. अगर प्रशासन चाहता है तो हम इसको लेकर के भी आंदोलन करेंगे. इसका जिम्मेदार प्रशासन होगा. हमारे ही तीर्थ में हमें अपने भगवान के दर्शन करने नहीं मिल रहे हैं, यह कैसी व्यवस्था है? कहने के लिए हिंदू सरकार है, लेकिन अपने आराध्य 24 अवतारों में से एक भगवान हंस के हिंदू सनातनी दर्शन नहीं कर पा रहा है? उसपर अवैध कब्जा हो गया है. अगर यह सब हो रहा है तो हम सनातन धर्मियों के लिए पर्याप्त कारण है कि हम यह कह सकें कि यह हमारी सरकार नहीं है.