भोपाल। देश का आम बजट 23 जुलाई 2024 को दिल्ली में जारी होगा. इससे केंद्र के कर्मचारियों को भी खासी उम्मीदें हैं. वो लंबे समय से ओल्ड पेंशन स्कीम और 8वें वेतनमान समेत अन्य लंबित मांगों को लेकर सरकार से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. ऐसे में अब केंद्रीय कर्मचारी संगठन देशभर में अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.
इसलिए किया जा रहा विरोध-प्रदर्शन
बता दें कि 23 जुलाई को बजट में कर्मचारियों और पेंशनर्स को लेकर घोषणाएं हो सकती हैं, लेकिन अभी सरकार की तरफ से कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है. हालांकि चर्चा तो ओपीएस और 8 वां वेतनमान दिए जाने की भी है. लेकिन सरकार की तरफ कोई दिशा-निर्देश नहीं मिलने से कर्मचारियों में संशय बना हुआ है. इसीलिए कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को उठा रहे हैं. देशभर में विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है, जिससे आम बजट में सरकार उनकी लंबित मांगों के संबंध में भी घोषणा करें.
देश में 130 संगठन के 13 लाख कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन
राजधानी में आयकर भवन के सामने विभाग के कर्मचारियों ने दोपहर में लंच ब्रेक के दौरान प्रदर्शन किया. इस दौरान कर्मचारी एकजुटता के नारे भी लगाए. केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव यशवंत पुरोहित ने बताया कि 19 जुलाई को देशभर के केंद्रीय कार्यालयों में 130 संगठनों से जुड़े हुए 13 लाख कर्मचारी लंबित मांगों को लेकर आंशिक प्रदर्शन कर रहे हैं. इसमें पेंशनर्स भी शामिल होंगे. यदि 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में उनकी मांगों पर विचार नहीं होता, तो वे देशभर में सरकार के खिलाफ उग्र विरोध-प्रदर्शन करेंगे.
ये हैं केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की प्रमुख मांगें
- कर्मचारियों के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग का तत्काल गठन किया जाए.
- एनपीएस खत्म करने के साथ सभी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाए.
- कर्मचारियों और पेंशन भोगियों को 18 महीने का डीए व डीआर जारी करना, जो कि कोविड-19 महामारी के दौरान रोक दिया गया था, वर्तमान में 15 वर्षों के बजाय 12 वर्षों के बाद पेंशन के रूपांतरित हिस्से की बहाली.
- अनुकंपा नियुक्ति पर 5 प्रतिशत की सीमा हटाएं, मृत कर्मचारी के सभी आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दें.
- सभी विभागों में सभी संवर्गों के रिक्त पदों को भरें, सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और ठेकेदारीकरण बंद करें.
- जेसीएम तंत्र के प्रावधानों के अनुसार एसोसिएशन व फेडरेशनों की लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली सुनिश्चित करें. लंबित एसोसिएशन/फेडरेशनों को मान्यता प्रदान करें,
- पोस्टल ग्रेड की मान्यता रद्द करने के आदेश वापस लें. नियम 15 लागू करना बंद करें
- कैजुअल, संविदा श्रमिकों और जीडीएस कर्मचारियों को नियमित करें, स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को सीजी कर्मचारियों के बराबर दर्जा दें.
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आश्वासन के बाद भी नहीं हुई पूरी मांग
केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के महासचिव यशवंत पुरोहित ने बताया कि लोकसभा चुनाव से पहले भी संगठन ने सरकार को अपनी मांगों के संबंध में नोटिस दिया था. जिसके बाद सरकार ने इस संबंध में एक समिति बनाई थी, लेकिन इसमें कर्मचारियों और पेंशनर्स की मांगों का निराकरण नहीं निकला. ऐसे में अब केंद्रीय कर्मचारी संगठन लंबी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि अभी केंद्रीय बजट के जारी होने का इंतजार किया जा रहा है. यदि इसमें कर्मचारियों के हित में घोषणाएं नहीं हुई, तो देशभर में आंदोलन किया जाएगा.