देहरादून: उत्तराखंड में भू कानून के प्रावधानों के खिलाफ भूमि की खरीद करते हुए नियमों का उल्लंघन करने वालों पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संदर्भ में तमाम जिलों के जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करते हुए कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए.
उत्तराखंड में भू कानून को लेकर तमाम जिलों के जिलाधिकारियों से मांगी गई रिपोर्ट का अब भी शासन को इंतजार है. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलों से इस संदर्भ में रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन एक हफ्ता बीत जाने के बाद भी शासन को यह रिपोर्ट नहीं मिल पाई थी. ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था और तय समय सीमा तक सभी जिलों से शासन को रिपोर्ट नहीं मिलने की बात सार्वजनिक की थी.
हरिद्वार और नैनीताल जिले के डीएम को 24 घंटे के भीतर पेश करनी होगी रिपोर्ट: वहीं, ईटीवी भारत की खबर के बाद अब मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों से बात की है और हरिद्वार के साथ ही नैनीताल जिले से भी 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 के तहत शासन या जिला स्तर पर प्रदत्त भूमि की जानकारी लेने पर 11 जिलों से रिपोर्ट मिल गई है.
उत्तराखण्ड शासन द्वारा उ०प्र० जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 (समय-समय पर उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में यथा संशोधित) के अन्तर्गत शासन/जनपद स्तर पर प्रदत्त भूमि क्रय की अनुमति के सापेक्ष क्रय की गयी भूमि अथवा आवासीय प्रयोजन हेतु बिना अनुमति के क्रय की गयी भूमि…
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) November 4, 2024
रुद्रप्रयाग और चंपावत में नहीं हुआ जमीन का गलत इस्तेमाल: हरिद्वार और नैनीताल को छोड़कर बाकी 11 जिलों से जमीनों की जानकारी मिल गई है. जिसमें रुद्रप्रयाग और चंपावत में जमीन का गलत इस्तेमाल या नियमों के उल्लंघन का कोई मामला सामने नहीं आया है. जबकि, बाकी 9 जिलों में क्रय की गई जमीनों के इस्तेमाल के उल्लंघन के कई मामले आए हैं. जिनमें से कुछ मामलों में जिला स्तर पर वाद संस्तुत कर कार्रवाई की गई है. इसके अलावा जिनमें भूमि का निर्धारित प्रयोजन के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया है, उनके संबंध में शासन की ओर से तत्काल विधि सम्मत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
दरअसल, उत्तराखंड में प्रत्येक परिवार के लिए अधिकतम 250 वर्ग मीटर भूमि खरीदने का ही प्रावधान है. ऐसे में शिकायतें मिल रही थी कि कई लोगों ने इस अधिकतम सीमा से काफी ज्यादा भूमि उत्तराखंड में खरीदी है. इतना ही नहीं विभिन्न प्रयोजनों से भूमि खरीदने के बाद उक्त भूमि पर संबंधित कार्य भी नहीं किया गया. ऐसी तमाम शिकायतों के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन्हें गंभीरता से लिया था और इस पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश अधिकारियों को दिए थे.
सीएस राधा रतूड़ी ने मांगी थी एक हफ्ते के भीतर जमीनों की रिपोर्ट: वहीं, मुख्यमंत्री धामी की नाराजगी के बाद मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी जिलों को एक हफ्ते के भीतर जमीनों की खरीद-फरोख्त का पूरा ब्यौरा शासन को देने के निर्देश जारी किए, लेकिन एक हफ्ते के भीतर जिलों ने ये रिपोर्ट शासन को उपलब्ध नहीं कराई, जिसे ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित कर दिखाया था.
खास बात ये है कि अब राज्य के विभिन्न जिलों ने भूमि खरीद की रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है. हरिद्वार के अलावा नैनीताल जिला ही इस रिपोर्ट को शासन को प्रेषित करने से रह गया है. इसी को देखते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अब इन दोनों ही जिलों के जिलाधिकारी को 24 घंटे का समय देते हुए शासन को यह रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए कहा है.
इस एक्ट के तहत दर्ज होगा मुकदमा: इस मामले में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आज जिले के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की. मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि भू कानून के प्रावधानों के खिलाफ भूमि की खरीद या भूमि खरीद संबंधी अनुमति के किसी भी प्रकार के उल्लंघन पर ZALR ACT (Zamindari Abolition and Land Reforms Act) के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए.
ये भी पढ़ें-
- उत्तराखंड में बाहरियों की जमीन खरीद पड़ताल, डेडलाइन खत्म, अभी तक नहीं मिले लैंड रिकॉर्ड
- उत्तराखंड में नियमों की अनदेखी कर खरीदी जमीनों की होगी जांच, शासन ने जारी किया आदेश
- उत्तरकाशी में जमकर जमीन की खरीद-फरोख्त! 9 सालों में ग्राम पंचायत सिरोर में बिक गई करीब 100 नाली जमीन
- उत्तराखंड में बाहरी लोगों के खरीदी जमीनों की मैपिंग करना कितना आसान? जानिए पेचीदगियां