पटना: बिहार में चुनाव चाहे जो भी हो विभिन्न दल कास्ट फैक्टर जरूर टटोलते हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में अब जातीय गोलबंदी भी शुरू हो गई है. पटना के मिलर स्कूल में बढ़ई अधिकार रैली का आयोजन किया गया, जिसमें बिहार के विभिन्न जिलों से बढ़ई जाति के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे.
पटना में बढ़ई अधिकार रैली: इस दौरान वक्ताओं ने बढ़ई जाति को राजनीतिक हिस्सेदारी देने की मांग की. वक्ताओं का कहना है कि बिहार में जातीय गणना के बाद जो आंकड़े आए हैं, उसके अनुसार हमारे समाज की संख्या तीन प्रतिशत है. विभिन्न राजनीतिक संगठन से हमलोग मांग करते हैं कि इसी तरह हमलोग को राजनीतिक हिस्सेदारी भी मिलनी चाहिए.
"बिहार में जितनी हमारी संख्या है उसी हिसाब से राजनीतिक दलों को हिस्सेदारी देनी होगी. यही सोचकर हम लोगों ने आज अधिकार रैली यहां पर आयोजित किया है. निश्चित तौर पर बिहार में एक लोकसभा सीट और दो विधानसभा सीट पर बढ़ई जाति के उम्मीदवार को मौका मिलना चाहिए. हमने कहा था कि केरल के तर्ज पर ही शिल्पीकारों के लिए विकास केंद्र खोला जाए."- गौतम सागर राणा, पूर्व विधायक
शिल्प विकास केंद्र की मांग: इस रैली के दौरान बिहार में शिल्प विकास केंद्र भी बनने की मांग की गई, जिससे बढ़ई समाज के लोगों को फायदा होगा. शिल्प विकास केंद्र की मांग पहले भी कई बार उठायी जा चुकी है. वहीं अखिल भारतीय बढ़ई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विश्राम शर्मा ने कहा कि किसी भी सूरत में हम अपने जाति की हिस्सेदारी राजनीतिक पार्टियों से मांगने का काम करेंगे.
"इस बार जो हमारी मांग को पूरा करेगा, हमारा पूरा समाज उसके साथ खड़ा रहेगा. बढ़ई अधिकार रैली ने बता दिया है कि बढ़ई जाति की जो संख्या है उसके आधार पर राजनीतिक दलों को अब सोचना होगा. राजनीतिक दल जो हमें हिस्सेदारी देंगे, निश्चित तौर पर हम लोग पूर्ण रूप से उन्हें समर्थन देने का काम करेंगे."- विश्राम शर्मा, अध्यक्ष, अखिल भारतीय बढ़ई महासभा
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