भोपाल. विधानसभा (Mp vidhansabha) में गुरुवार को प्रस्तुत की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में विभागों की गड़बड़ियां सामने आई हैं. मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के खंडवा स्थित सिंगाजी ताप विद्युत गृह के निर्माण और संचालन में भी गड़बड़ियां सामने आने के बाद सीएजी ने अनुशंसा की है कि सभी इनपुट की योजना बनानी चाहिए, जिससे भविष्य में शुरू होने वाली परियोजनाओं में इसका लाभ मिल सके. कंपनी को पर्यावरणीय मानदंडों और विनियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए.
विभागों की लापरवाही से सरकार को करोड़ों का नुकसान
CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि विभागों की लापरवाही और गड़बड़ियों की वजह से सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है. सिंगाजी ताप विद्युत गृह के निर्माण और संचालन को लेकर रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनी ने परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की. समय पर फ्यूल लिंकेज की स्वीकृति प्राप्त नहीं की, जिससे 120 करोड़ रु छोड़ने पड़े. इतना ही नहीं ठेकेदार को अग्रिम भुगतान में देरी की गई, जिससे मप्र विद्युत नियामक आयोग ने निर्माण अवधि का ब्याज एवं आकस्मिक व्यय की राशि 215 करोड़ रु का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया.
इस विभाग की लापरवाही से भी करोड़ों का नुकसान
सीएजी ने पीएचई विभाग में भी गड़बड़ी पकड़ी है. सीएजी ने जल नगम द्वारा चलाई जा रही 58 योजनाओं में से 18 की जांच की. इसमें पता चला कि विस्त़ृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में गलत व्यय, गलत प्राक्कलन, गांव के सभी घरों को शामिल नहीं करने, ओवर हेड टैंक बनाने के लिए गलत दर पर काम देने और ठेकेदार से बैंक गारंटी नहीं लेने जैसी गड़बड़ियां शामिल हैं. इन सभी वजहों से सरकार को 283 करोड़ रु का नुकसान हुआ.
सामने आई वन विभाग की गड़बड़ियां
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि वन विभाग द्वारा खरपतवार हटाने और कैम्पा के अंतर्गत बेफिजूल खर्च कर शासन को 364 करोड़ रु का नुकसान किया गया. 2017-18 से 2019-20 के बीच वन भूमि के डायवर्जन में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने, डायवर्टेड वन भूमि के उपयोग में अनियमितता, प्राधिकार के बिना वन भूमि का अनियमित डायवर्जन सहित कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं। सीएजी ने 17 वनमंडलों की जांच की थी। कैंपा फंड के अंतर्गत वनीकरण के लिए गलत स्थान का चयन और खरपतवार उन्मूलन पर अनुचित व्यय किया गया है. इससे 364 करोड़ रु की हानि सरकार को हुई.
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72 पुलों में निकली खामियां
कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्य प्रदेश में आनन-फानन में जो पुल बनाए गए वह उच्च गुणवत्ता वाले नहीं हैं. पुलों की लागत 20 से 25% बढ़ी और सरकार का इसमें 600 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त खर्च हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक 2015 से लेकर 2019 के बीच 1977 पुलों के निर्माण को मंजूरी दी गई, जिसमें 1630 छोटे और 347 बड़े पुल थे. इनके निर्माण में 2500 करोड रुपए खर्च हुए, बड़े नगरों में 324 बड़े पुल बने थे इनमें से 270 पुलों के निर्माण की स्वीकृति थी, लेकिन 47 पुलों के निर्माण की स्वीकृति नहीं मिली. बड़े पुलों के लिए मास्टर प्लान भी तैयार नहीं किया गया और कई पुलों में खामियां भी पाई गई जिसकी अनदेखी की गई, मापदंडों का पालन नहीं करने से क्वालिटी भी मानक के अनुसार नहीं हैं