पटना : बक्सर का चुनाव हो या फिर बक्सर की लड़ाई दोनों ही दिलचस्प होती रही है. 1764 में ईस्ट इंडिया कंपनी और राजा बलवंत सिंह के बीच में लड़ाई हुई थी. जो अब तक चर्चा का विषय में बना रहता है लेकिन, जब-जब लोकसभा का चुनाव आता है, बक्सर की चुनावी लड़ाई भी दिलचस्प होती जाती है. इस बार बक्सर में चुनावी लड़ाई भी दिलचस्प है. इस बार बीजेपी ने अपने केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे का टिकट काटकर उन्हीं के सहयोगी रहे मिथिलेश तिवारी को टिकट दे दिया है.
बक्सर से एनडीए उम्मीदवार से खास बातचीत : मिथिलेश तिवारी बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर चुके हैं. मिथिलेश तिवारी के सामने इंडी गठबंधन की तरफ से राजद उम्मीदवार सुधाकर सिंह चुनाव लड़ेंगे. एक समय सुधाकर सिंह बीजेपी से विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं. अब वह राजद से बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. आज हम बात करते हैं मिथिलेश तिवारी की. मिथिलेश तिवारी गोपालगंज के रहने वाले हैं. यह 2015 में गोपालगंज के बैकुंठपुर से विधायक रहे थे. 2020 में यह चुनाव हार गए. अभी बिहार बीजेपी के प्रदेश महामंत्री हैं.
बीजेपी ने इन्हें बक्सर से लोकसभा की उम्मीदवारी दी है. आज हम मिथिलेश तिवारी से उनके बक्सर लोकसभा सीट के टिकट मिलने पर खास बातचीत करेंगे. जानेंगे कि कैसे उन्हें इतना महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र की उम्मीदवारी मिली है-
सवाल- मिथिलेश जी, आपको अश्विनी कुमार चौबे का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया गया है. इस पर अश्विनी कुमार चौबे जी का क्या रिएक्शन रहा है. क्या उनका आशीर्वाद आपको मिला है. बात हुई है?
मिथिलेश तिवारी- बिना चौबे जी के राय से मुझे उम्मीदवारी बक्सर की मिली नहीं सकती है. उनसे पूछा गया होगा तभी मुझे टिकट मिला होगा. मैं तो उम्मीदवार भी नहीं था बक्सर का. मैं तो हाई कोर्ट में विधानसभा का इलेक्शन पिटिशन केस लड़ रहा था. इलेक्शन पिटिशन में मेरी जीत होगी और मैं फिर से विधायक बन जाऊंगा. अचानक से फैसला पार्टी ने किया है मुझे यह लगता है आदरणीय अश्विनी चौबे जी ने ही मेरे नाम को आगे किया है. तब जाकर मुझे यह मौका मिला है.
सवाल- अश्विनी चौबे जी से बात हुई है. उनका आशीर्वाद आपको मिलेगा.
मिथिलेश तिवारी- हां हां उनसे मेरा कोई द्वेश नहीं है. उनसे 30 वर्षों का संबंध है. 30 वर्षों से बड़े भाई छोटे भाई का संबंध है. हम लोगों ने एक लंबी यात्रा साथ में तय की है. चाहे वह भागलपुर से लेकर बक्सर तक की चुनावी यात्रा है, मैं उसमें उनका सहभागी रहा हूं. बिहार बीजेपी की जो राजनीति है उसमें भी कोई ऐसा दिन, ऐसा पल नहीं रहा है अश्विनी चौबे जी के साथ में नहीं रहा.
सवाल- तीन दशक तक आप अश्विनी चौबे जी के साथ रहे, आप हम साया बनकर उनके साथ चले फिर, उनका टिकट काट कर जब आप चुनाव लड़ रहे हैं तो, आपकी फीलिंग कैसी है.
मिथिलेश तिवारी- मेरे लिए बहुत ही आश्चर्य जनक फैसला था. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं बक्सर से चुनाव लड़ूंगा. लेकिन, बक्सर से मेरा संबंध बहुत पुराना रहा है. 1995 से मैं बक्सर आता जाता रहा हूं. पहले लालमुनी चौबे जी चुनाव लड़ते थे तो, उनकी कैंपेनिंग में भी मैं रहता था. सुखदा पांडे जी का पहला चुनाव मैं ही लड़ाया था. अश्विनी चौबे जी लगातार चुनाव जब-जब लड़े, उनके साथ में रहा हूं, पिछले चुनाव में भी जब वह चुनाव लड़ रहे थे तो 5 दिनों तक मैं हेलीकॉप्टर से प्रचार करता था और रात में कार्यकर्ताओं से हम मिलते थे. इसलिए कि मैं चाहता था कि चौबे जी की बड़ी जीत हो. हम लोगों ने काम किया है और हमारे और चौबे जी के बीच में कोई ऐसी बात नहीं है.
सवाल-आपको विश्वास हुआ कि बक्सर से आपको चुनाव लड़ाया जा रहा है?
मिथिलेश तिवारी-यह पार्टी का निर्णय है और मैं लंबे समय से संगठन में काम कर रहा हूं. मेरे लिए चाहे बैकुंठपुर हो या बक्सर हो कोई अंतर नहीं है. क्योंकि, सभी कार्यकर्ता मुझे जानते हैं. सभी जगह को मैं जानता हूं. लाल मुनी चौबे जी के उत्तराधिकारी के रूप में वहां अश्विनी चौबे जी गए थे, वैसे ही पार्टी ने उनके उत्तराधिकारी के रूप में मुझे बक्सर भेजा है. ऐसा मुझे लगता है.
सवाल- आपको क्या लगता है की चौबे जी का जो आपने साथ निभाया, बक्सर में इतना काम किया है आपने, कहीं ना कहीं वहां के लोगों ने, पार्टी ने यह समझा है कि कि आप भी जमीन पर काम कर रहे हैं?
मिथिलेश तिवारी- बिल्कुल पार्टी के सामने मेरी छवि पॉजिटिव रही होगी. तभी पार्टी ने मुझे यह टिकट दिया है. नहीं तो ऐसे ही किसी को लोकसभा का टिकट नहीं दे दिया जाता है और रही बात बक्सर की. बक्सर से किसी को भी उम्मीदवारी मिले, जिसको मिले वह भाग्यशाली होता है.
मिथिलेश तिवारी-बक्सर सामान्य लोकसभा क्षेत्र नहीं है. गंगा मैया का तट है बक्सर, महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि है बक्सर, प्रभु श्री राम की शिक्षास्थली है बक्सर, जहां ताड़का का वध हुआ संहार हुआ वह है बक्सर, परम पूज्य मामा जी के आशीर्वाद लेने के लिए लोग कतार में रहते थे वह है बक्सर, जहां त्रिदंडी जी स्वामी के साए में लोग बसते हैं वह है बक्सर, जहां जियर स्वामी जी की कथाओं का शोर हर जगह रहता है वह है बक्सर, जहां ब्रह्मपुर में ब्रह्मेश्वर बाबा की कृपा से ही हर कार्य शुरू किया जाता है वह है बक्सर, जहां राम भगवान राम के द्वारा बनाया गया रामेश्वर मंदिर है वह है बक्सर, ऐसी बक्सर की तमाम खूबियां हैं. इन तमाम खूबियों में यदि मुझे यह मौका मिला है तो मैं सचमुच में भाग्यशाली हूं. मुझे यह मौका मिला है.
सवाल- इंडि गठबंधन की तरफ से सुधाकर सिंह को लोकसभा चुनाव की उम्मीदवारी मिली है. जाति समीकरण की बात करें तो बक्सर में राजपूत समुदाय से उनको उतारा जा रहा है आप ब्राह्मण समुदाय से हैं. उनको कितनी बड़ी चुनौती मान रहे हैं आप.
मिथिलेश तिवारी- देखिए, समाज को इस रूप में मत देखिए, मैं किसी भी समाज से हूं लेकिन, मैं प्रतिनिधि हूं आदरणीय नरेंद्र मोदी का हूं, वहां प्रधानमंत्री जी चुनाव लड़ रहे हैं. मैं केवल उनके प्रतिनिधि के रूप में उस स्थान पर प्रधानमंत्री जी के संदेश को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा हूं. इस प्रकार से इंडी गठबंधन के जो उम्मीदवार हैं वह लालू जी के प्रतिनिधि है. लोग उन्हें लालू जी के चश्मे से देखेंगे और मुझे नरेंद्र मोदी जी के प्रतिनिधि के रूप में देखेंगे. लड़ाई साफ है.
मिथिलेश तिवारी-जहां तक सुधाकर जी के उम्मीदवार बनने की बात है. उनसे मेरे बहुत ही पर्सनल रिलेशन रहे हैं. हमारी पार्टी में वह रहे हैं. मैं उनका इंचार्ज रहा हूं. मुझे आज भी वह बहुत सम्मान देते हैं. उनके पिताजी भी मेरे पिताजी के समान हैं. क्षत्रिय और ब्राह्मण की आप बात करते हैं तो क्षत्रिय हमेशा ब्राह्मणों का संरक्षण करता रहा है. ब्राह्मण हमेशा तपस्या करके क्षत्रियों को ताकत देते रहे हैं. क्षत्रिय और ब्राह्मण का जो संबंध होता है वह बहुत ही विलक्षण संबंध होते हैं.
मिथिलेश तिवारी-यह कोई लड़ाई की बात ही नहीं, यह विचारों का संघर्ष होगा. हम आदरणीय नरेंद्र नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एक कमल फूल बड़े मार्जिन से जीतकर मोदी जी के हाथ को मजबूत करने जा रहे हैं और सुधाकर जी वहां लड़ करके, जिस गठबंधन में ना कोई नेता है ना कोई नीति है ना नियत है. उसके उम्मीदवार के रूप में वह वहां है. जनता बिल्कुल पसंद नहीं करेगी. बड़े मार्जिन से बीजेपी जीतेगी.
सवाल- मिथिलेश जी, जब आपको टिकट मिल गया. आपके जेहन में यह बात जरूर आई होगी बक्सर ऐसा क्षेत्र है जहां कुछ काम करने बहुत जरूरी है. आपकी प्राथमिकता क्या होगी. बक्सर के लिए बक्सर के लोगों के लिए.
मिथिलेश तिवारी- देखिए, एक लाइन में समझेंगे मैं काशी बहुत जाता हूं. बनारस को मैंने बहुत करीब से देखा हैं, प्रधानमंत्री जी ने कैसे सजाया है बनारस को. जब बनारस से हम लोग गंगा के तट पर बक्सर आते हैं. बक्सर भी ध्यान में आता है. चौबे जी ने ही नारा दिया था कि यह मिनी काशी है और यह सचमुच मिनी काशी है. बनारस के तर्ज पर बक्सर का विकास कैसे हो, इसकी प्राथमिकता मेरे मन में है और हर जनता के मन में है.
मिथिलेश तिवारी-बिहार का एक ऐसा जिला है. जो तीन-तीन जिलों का विधानसभा मिलाकर एक लोकसभा क्षेत्र है. वहां केवल बक्सर की बात नहीं होगी, वहां रामगढ़ की भी बात होगी दिनारा की भी बात होगी, बक्सर के चारों विधानसभा की बात होगी. मुझे जैसे ही वहां के जनता का आशीर्वाद प्राप्त होगा, मैं जब संसद में जाऊंगा, मेरे जेहन में बहुत चीजें चल रही हैं. मैं उसे जमीन पर उतारकर मैं 5 साल दिखाऊंगा कि बक्सर के लिए मैंने क्या किया.
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