बक्सर: बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. उससे ठीक पहले भूमि सर्वेक्षण का मामला विशेष रूप से चर्चा में है, क्योंकि भूमि सर्वे को लेकर लोगों के मन में कई प्रकार के सवाल हैं. बक्सर में भी रैयत परेशान और घबराए हुए हैं. पंचायतों में लगने वाले सर्वे शिविरों में भीड़ तो नजर आ रही है लेकिन लोगों में घबराहट भी है. आसानी से काम करा देने के दावों के साथ दलालों की भी खूब चांदी कटने लगी है. हालांकि ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने कहा कि अगर कोई लेनदेन की बात करता है तो शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
बक्सर में जमीन सर्वे को लेकर प्रशासन गंभीर: बक्सर के जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने कहा कि बिहार सरकार की ओर से इन दिनों विशेष भूमि सर्वेक्षण अभियान चलाया जा रहा है. इसको लेकर बक्सर जिला प्रशासन भी गंभीर है. जिले सभी 11 प्रखंडों में शिविर का गठन कर पंचायत स्तर पर इसका आयोजन किया जा रहा है. लोगों की बातें सुनी जा रही और समस्याओं का निराकरण कराया जा रहा है. योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए बक्सर जिले में 200 से अधिक अमीनों की नियुक्ति की गई है.
वंशावली पर क्या बोले बक्सर डीएम?: वंशावली को लेकर चल रही भ्रंतियों पर जवाब देते हुए डीएम ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह स्वघोषित देना है. इस पर कहीं भी किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का हस्ताक्षर या मुहर की कोई आवश्यकता नहीं है. आवेदक सादा कागज पर खुद बनाकर जमा करेगा. वंशावली बनवाने में चल रही दलाली के मुद्दे पर जिलाधिकारी ने कहा किसी भी कीमत इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. शिकायत पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसमें ग्रामीण रैयत खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं. कई जगह से दस्तावेजों और वंशावली के नाम पर वसूली और बिचौलियों के सक्रिय होने की खबरें भी आ रही हैं.
गड़बड़ी करने वालों पर होगी कार्रवाई: अंचल कार्यालयों में परिमार्जन में हो रहे भ्रष्टाचार पर डीएम अंशुल अग्रवाल ने सख्त चेतावनी देते ईटीवी भारत के माध्यम से कहा कि परिमार्जन में देरी किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है. हर हाल में समय पर इसका निराकरण करना है. अनावश्यक विलम्ब करने पर चाहे अंचलाधिकारी हों या राजस्व कर्मचारी, पहले भी कार्रवाई हुई है और आगे भी बख्शे नहीं जाएंगे.
"बक्सर में विशेष भू सर्वेक्षण के लिए लगभग 200 अमीन कार्यरत हैं. सभी शिविर में सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, कानून गो और लिपिक कार्यरत हैं. सभी लोगों को क्लियर कर दें कि रैयत को खुद ही स्वघोषणा करनी है, जिसमें उनको बताना है कि वह जमीन के मालिक हैं. स्वघोषित वंशावली भी स्वीकार्य है. वहीं अगर सर्वे काम में किसी प्रकार से नियमों में लापरवाही बरती जाती है तो जरूर कार्रवाई की जाएगी." - अंशुल अग्रवाल, जिलाधिकारी, बक्सर
सर्वे से जमीन विवाद में आएगी कमी: नीतीश कुमार की सरकार ने पहले अंचल फिर थाना स्तर पर जमीन के विवाद हल करने के जनता दरबार आयोजित करा कर भू विवाद के निपटारे की बहुत कोशिश की लेकिन कहीं न कहीं अधिकारियों की लापरवाही से अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है. सामान्य विवाद भी हिंसक घटनाओं में तब्दील हो जा रही है. ऐसे में बक्सर डीएम ने उम्मीद जताई कि जमीन सर्वे से इस तरह के विवाद में कमी आएगी.
कब हुआ था आखिरी बार जमीन सर्वे?: पिछला भूमि सर्वे ब्रिटिश सरकार ने 1890 में करवाया था. स्वतंत्र भारत में कई बार सर्वे कराने के प्रयास किए गए लेकिन उसमें पूरी तरह से सफलता नहीं मिली. इस अभियान की सफलता के लिए प्रदेश स्तर पर 10 हजार से अधिक कर्मचारी और अधिकारियों की बहाली हुई है. अब नीतीश कुमार की एनडीए सरकार ने बिहार में जमीन सर्वे कराने का फैसला किया है.
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