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केले के तने का जादू, जिसे कचरा समझकर फेंक देते थे उसने बदली 600 महिलाओं की किस्मत - Banana Stem Products - BANANA STEM PRODUCTS

आमतौर पर केले के पौधे के तने के बारे में आपने तो सुना ही होगा, क्या आप जानते हैं कि पूजा-पाठ के अलावा ये केले का तना किस्मत चमक सकती है? सुनने में आश्चर्यजनक है, लेकिन यह बिल्कुल सच है. दरअसल बुरहानपुर जिले में 600 महिलाओं की इसने किस्मत बदल गई है. आप सोच रहे होंगे वो कैसे ? तो आइए आपको विस्तार से बताते हैं.

Banana Stem Products Burhanpur
केले के तने का जादू (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 14, 2024, 1:48 PM IST

बुरहानपुर. जिले में 23 हजार से ज्यादा रकबे में केले की बोवनी की जाती है. फल लेने के बाद किसान केले के तने को वेस्टेज मानकर अक्सर खेतों में मजदूर लगाकर फेंक देते हैं या सूखने पर जला देते है, लेकिन अब इस वेस्टेज से महिलाओं के कदम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि अब इन तनों के इस्तेमाल से बेहद आकर्षक कलाकृतियों व रोजमर्रा के जीवन में उपयोगी घरेलू वस्तुएं बनाई जा रही हैं.

केले के तने का जादू (ETV BHARAT)

केले के तने से बन रही ये चीजें

महिलाएं प्रशिक्षण लेकर केले के तने से झूला, टोकरी, चटाई, पैन स्टैंड, टेबल मैट, इको फ्रेंडली राखियों, फर्टिलाइजर सहित अनगिनत सैंकड़ों ईको फ्रेंडली वस्तुएं बना रही हैं. इनकी खासियत यह है कि ईको फ्रेंडली होने की वजह से स्थानीय स्तर से लेकर राजधानी तक इसकी खासी डिमांड है. अलग-अलग समूहों की 600 महिलाएं केले के तने से बना मेट तमिलनाडु की एक संस्था को 200 रु मीटर के हिसाब से बेचती हैं. इसके अलावा स्थानीय बाजारों सहित भोपाल में भी घरेलू उपयोग की वस्तुएं सप्लाय होती हैं.

Banana Stem Products
केले के तने से बना झूमर (ETV BHARAT)

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केले के रेशों ने बुरहानपुर की महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, केरल में ली ट्रेनिंग फिर यहां लाखों की कमाई

600 महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर

गौरतलब है कि ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्टार स्वरोजगार योजना के तहत प्रशिक्षित होकर 600 महिलाओं ने इस काम को अपनाया है. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं, उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. इस आमदनी से महिलाएं अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा-लिखा रही हैं. साथ ही परिवार का बेहतर भरण पोषण कर रही हैं.

बुरहानपुर. जिले में 23 हजार से ज्यादा रकबे में केले की बोवनी की जाती है. फल लेने के बाद किसान केले के तने को वेस्टेज मानकर अक्सर खेतों में मजदूर लगाकर फेंक देते हैं या सूखने पर जला देते है, लेकिन अब इस वेस्टेज से महिलाओं के कदम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि अब इन तनों के इस्तेमाल से बेहद आकर्षक कलाकृतियों व रोजमर्रा के जीवन में उपयोगी घरेलू वस्तुएं बनाई जा रही हैं.

केले के तने का जादू (ETV BHARAT)

केले के तने से बन रही ये चीजें

महिलाएं प्रशिक्षण लेकर केले के तने से झूला, टोकरी, चटाई, पैन स्टैंड, टेबल मैट, इको फ्रेंडली राखियों, फर्टिलाइजर सहित अनगिनत सैंकड़ों ईको फ्रेंडली वस्तुएं बना रही हैं. इनकी खासियत यह है कि ईको फ्रेंडली होने की वजह से स्थानीय स्तर से लेकर राजधानी तक इसकी खासी डिमांड है. अलग-अलग समूहों की 600 महिलाएं केले के तने से बना मेट तमिलनाडु की एक संस्था को 200 रु मीटर के हिसाब से बेचती हैं. इसके अलावा स्थानीय बाजारों सहित भोपाल में भी घरेलू उपयोग की वस्तुएं सप्लाय होती हैं.

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600 महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर

गौरतलब है कि ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्टार स्वरोजगार योजना के तहत प्रशिक्षित होकर 600 महिलाओं ने इस काम को अपनाया है. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनी हैं, उन्हें अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. इस आमदनी से महिलाएं अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ा-लिखा रही हैं. साथ ही परिवार का बेहतर भरण पोषण कर रही हैं.

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