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मास्टरों वाला गांव, जहां के युवा IT सेक्टर और सेना में मचा रहे धूम, हर दूसरे घर में मिलेंगे टीचर - burhanpur shikshak wala gaon

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक गांव ऐसा है कि जहां हर दूसरे घर में एक शिक्षक है. यहां पर कई पीढ़ियों से शिक्षक बनने का सिलसिला चला आ रहा है. इसलिए इस गांव को शिक्षकों का गांव कहा जाता है. टीचर्स डे पर पढ़िए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

BURHANPUR SHIKSHAK WALA GAON
बंभाड़ा गांव शिक्षकों वाला गांव (ETV Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 5, 2024, 1:29 PM IST

Updated : Sep 5, 2024, 1:45 PM IST

बुरहानपुर: जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर बंभाड़ा गांव शिक्षक वाले गांव के नाम से मशहूर है. आज हम आपको ऐसे गांव से रूबरू कराएंगे जहां ना केवल बेटा-बेटियों को बल्कि बहुओं को भी शिक्षिका बनाकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है. इस गांव में 7000 की आबादी है, 1200 परिवार रहते हैं. यही वजह है कि हर दूसरे घर से कोई न कोई शिक्षक है. वर्तमान में इस गांव में तीन सौ से ज्यादा शिक्षक हैं जो देश और विदेश के निजी व सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

BURHANPUR SHIKSHAK WALA GAON
बंभाड़ा गांव में हर दूसरे घर में मिलेंगे शिक्षक (ETV Bharat)

आदर्श गांव बना बंभाड़ा गांव
दरअसल, महाराष्ट्र का सीमावर्ती गांव होने के चलते देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले और ज्योतिबा फुले द्वारा पेश किए गए आदर्श का इस गांव में गहरा असर देखने को मिलता है. बंभाड़ा गांव के रहने वाले प्रमोद महाजन दुबई के एक निजी स्कूल में प्राचार्य के पद पर पदस्थ हैं. इसी तरह दिवंगत शिक्षक स्व. प्रह्लाद पाटिल ने न केवल अपने बेटे अमर पाटिल को बल्कि बहू ज्योति और वैशाली पाटिल को भी पढ़ा लिख कर शिक्षक बनाया है. वहीं स्व. खेमचंद चौधरी ने अपनी बहू स्वाति चौधरी को सरकारी शिक्षक बनने का अवसर दिया.

शिक्षक संजय पाठक ने लिखी नई इबारत
गौरतलब है कि, 1975 तक बंभाड़ा गांव भी अन्य गांवों की तरह अशिक्षा, बेरोजगारी जैसी जटिल समस्याओं से जूझ रहा था. गांव के शिक्षक संजय पाठक ने बताया कि, "उस समय एसके बांगड़े यहां आए और उन्होंने लोगों को न केवल शिक्षा का महत्व समझाया बल्कि उन्हें संसाधन भी उपलब्ध कराए. तब से शिक्षा का ऐसा उजयारा फैला है जो आज तक सतत जारी है.''

बंभाड़ा के युवा आईटी सेक्टरों में मचा रहे धूम
खास बात यह है कि बंभाड़ा गांव का शायद ही कोई युवा होगा जो उच्च शिक्षित नहीं हो. यहां के युवाओं ने शिक्षा के साथ ही सेना और आइटी सेक्टर में भी अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है. शिक्षक सुधाकर बोदड़े के मुताबिक, ''वर्तमान में गांव के 30 युवा आइटी सेक्टर में उच्च पदों पर काम कर रहे हैं. इसी तरह गांव के कुल शिक्षकों में से करीब पचास प्रतिशत संख्या महिलाओं की है. गांव के ही सरकारी स्कूल में करीब 20 युवक-युवतियां शिक्षा का अलख जगाने का काम कर रही हैं.''

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महिला सशक्तिकरण की मिसाल बना गांव
शिक्षिका स्वाति चौधरी के मुताबिक, जब वह शादी करके आईं तो 12वीं पास थीं. ससुरजी ने बहु को बेटी के रूप में पढ़ा लिखा कर इस मुकाम तक पहुंचाया.'' स्वाति गर्व से कहती हैं कि, ''मैं बंभाड़ा गांव की बहू हूं, यहां महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की गई है. गांव में बेटियों के समान बहुओं को दर्जा दिया गया है, मुझे गर्व है कि मेरा गांव शिक्षकों का गांव हैं.''

बुरहानपुर: जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर बंभाड़ा गांव शिक्षक वाले गांव के नाम से मशहूर है. आज हम आपको ऐसे गांव से रूबरू कराएंगे जहां ना केवल बेटा-बेटियों को बल्कि बहुओं को भी शिक्षिका बनाकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है. इस गांव में 7000 की आबादी है, 1200 परिवार रहते हैं. यही वजह है कि हर दूसरे घर से कोई न कोई शिक्षक है. वर्तमान में इस गांव में तीन सौ से ज्यादा शिक्षक हैं जो देश और विदेश के निजी व सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

BURHANPUR SHIKSHAK WALA GAON
बंभाड़ा गांव में हर दूसरे घर में मिलेंगे शिक्षक (ETV Bharat)

आदर्श गांव बना बंभाड़ा गांव
दरअसल, महाराष्ट्र का सीमावर्ती गांव होने के चलते देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले और ज्योतिबा फुले द्वारा पेश किए गए आदर्श का इस गांव में गहरा असर देखने को मिलता है. बंभाड़ा गांव के रहने वाले प्रमोद महाजन दुबई के एक निजी स्कूल में प्राचार्य के पद पर पदस्थ हैं. इसी तरह दिवंगत शिक्षक स्व. प्रह्लाद पाटिल ने न केवल अपने बेटे अमर पाटिल को बल्कि बहू ज्योति और वैशाली पाटिल को भी पढ़ा लिख कर शिक्षक बनाया है. वहीं स्व. खेमचंद चौधरी ने अपनी बहू स्वाति चौधरी को सरकारी शिक्षक बनने का अवसर दिया.

शिक्षक संजय पाठक ने लिखी नई इबारत
गौरतलब है कि, 1975 तक बंभाड़ा गांव भी अन्य गांवों की तरह अशिक्षा, बेरोजगारी जैसी जटिल समस्याओं से जूझ रहा था. गांव के शिक्षक संजय पाठक ने बताया कि, "उस समय एसके बांगड़े यहां आए और उन्होंने लोगों को न केवल शिक्षा का महत्व समझाया बल्कि उन्हें संसाधन भी उपलब्ध कराए. तब से शिक्षा का ऐसा उजयारा फैला है जो आज तक सतत जारी है.''

बंभाड़ा के युवा आईटी सेक्टरों में मचा रहे धूम
खास बात यह है कि बंभाड़ा गांव का शायद ही कोई युवा होगा जो उच्च शिक्षित नहीं हो. यहां के युवाओं ने शिक्षा के साथ ही सेना और आइटी सेक्टर में भी अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है. शिक्षक सुधाकर बोदड़े के मुताबिक, ''वर्तमान में गांव के 30 युवा आइटी सेक्टर में उच्च पदों पर काम कर रहे हैं. इसी तरह गांव के कुल शिक्षकों में से करीब पचास प्रतिशत संख्या महिलाओं की है. गांव के ही सरकारी स्कूल में करीब 20 युवक-युवतियां शिक्षा का अलख जगाने का काम कर रही हैं.''

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शिक्षिका स्वाति चौधरी के मुताबिक, जब वह शादी करके आईं तो 12वीं पास थीं. ससुरजी ने बहु को बेटी के रूप में पढ़ा लिखा कर इस मुकाम तक पहुंचाया.'' स्वाति गर्व से कहती हैं कि, ''मैं बंभाड़ा गांव की बहू हूं, यहां महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की गई है. गांव में बेटियों के समान बहुओं को दर्जा दिया गया है, मुझे गर्व है कि मेरा गांव शिक्षकों का गांव हैं.''

Last Updated : Sep 5, 2024, 1:45 PM IST
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