BURHANPUR SANITARY PAD EMPLOYMENT: देश में अब केरल के बाद मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में भी केले के रेशे से सेनेटरी पैड तैयार हो रहे हैं. इसे प्रदेश की राजधानी भोपाल के मॉल में भी सप्लाई किया गया है. दरअसल, पैड वूमैन ऑफ इंडिया का खिताब हासिल कर चुकी अंजू बिष्ट ने अपने अनुभव सांझा किए हैं. उनसे प्रेरित होकर बुरहानपुर में स्व सहायता समूह की 10 महिलाएं सेनेटरी पैड मार्केटिंग का काम कर रही हैं. इस काम के लिए 25 महिलाओं को केरल में केले के रेशे से तैयार होने वाले सेनेटरी पैड्स बनाने और उनकी मार्केटिंग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
साथ ही केरल की प्रशिक्षित महिलाओं ने बुरहानपुर आकर महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को केले के रेशे से तैयार होने वाले सेनेटरी पैड्स बनाने का प्रशिक्षण दिया है. अब स्थानीय महिलाएं केरल से कच्चा माल बुलाकर सेनेटरी पैड्स बनाने का काम कर रही हैं. इससे वे अच्छी आमदनी कमा रही हैं.
बुरहानपुर में केले की पैदावार
जिला पंचायत कार्यालय में स्थित ग्रामीण आजीविका मिशन की जिला कार्यक्रम प्रबंधक संतमति खलको ने बताया केले के रेशे से पैड बनाने का कॉन्सेप्ट तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने केरल दौरे के दौरान अमृतामय मठ में सैनेटरी पैड बनते देखे, इसके बारे में उन्होंने जानकारी ली, तब उन्हें पता चला कि इसकी सप्लाई न केवल देश में हो रही है, बल्कि विदेशो में सप्लाई हो रही है. इस पर पूर्व सीएम को विचार आया कि बुरहानपुर जिले में केले की बड़ी मात्रा में लगभग 23 हजार हेक्टयर में केले की पैदावार होती है. केले की उपज होने के बाद किसान खुद के खर्च से केले के वेस्टेज को अपने खेत से साफ कराते हैं. तत्कालीन सीएम ने मध्य प्रदेश राज्य अजीविका मिशन के अफसरों और मठ के बीच करार कराया.
प्रदेश के पांच जिलों सहित बुरहानपुर से महिला स्व सहायता समूह की 25 महिलाएं केरल मार्केंटिंग की ट्रेनिंग लेने पहुंची, क्योंकि कोई भी उत्पाद बनकर तो तैयार हो जाता है, लेकिन उसके मार्केटिंग की सबसे बड़ी समस्या होती है, लिहाजा पहले मार्केटिंग के गुर सीखने के लिए 10 महिलाओं को केरल भेजा गया.
केले के रेशे से महिलाएं बना रहीं पैड
गौरतलब है कि फिलहाल केरल से आधे सिले हुए पैड मंगवा रहे हैं. इन पैड्स को जिले के दो सेंटरों पर महिलाओं द्वारा पूरी सिलाई की जाती है. सिलाई पूरी होने के बाद महिलाएं घूम-घूम कर महिलाओं को इस ईको फ्रेंडली सेनेटरी पैड्स के उपयोग के प्रति जागरूक कर उन्हें इसके उपयोग करने के प्रेरित करती हैं. अब तक बुरहानपुर जिले से 2 हजार सेनेटरी पैड की बिक्री हो चुकी है. केले के रेशे से बनने वाले पैड रियूजएबल है, इससे संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता है.
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इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं
इस पैड को 3 साल तक उपयोग कर सकते हैं. अन्य पेड में जल्द रक्त सोखने के लिए पेड़ों की कटाई कर एक तरह का रसायन निकाल कर इसमें उपयोग किया जाता है. इस तरह के पैड निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई करना पड़ती है. जिससे हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, जबकि केले के रेशे केले के पैड के अनुपयोगी होने के बाद हासिल होता है. वैज्ञानिकों के अनुसार केले के रेशे में सोखने की क्षमता अधिक होती है, अन्य पैड में प्लास्टिक का उपयोग होता है, जबकि केले के रेशे से बनने वाले पैड में इस तरह किसी प्लास्टिक का उपयोग नहीं होता है.