बुरहानपुर। मध्यप्रदेश का जिला बुरहानपुर ऐतिहासिक महत्व के साथ ही धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है. यहां दर्जनों ऐतिहासिक धरोहर के अलावा कई धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं, यह स्थल कई प्राचीन मान्यताओं के संजोय रखें है. ऐसा ही एक स्थल ताप्ती नदी के तट पर स्थित हैं, नदी के बीचों बीच पत्थर का हाथी और उसका बच्चा मौजूद है. इसका इतिहास भगवान स्वामीनारायण से जुड़ा है. हाथी को भगवान स्वामीनारायण की सवारी कहा जाता है. इतिहासकारों का कहना है कि यह हाथी उनकी सवारी है, इसी हाथी पर बैठकर भगवान स्वामीनारायण भक्तों का प्रसाद ग्रहण करते थे, तब से इसके दर्शन की परंपरा प्रचलित हैं.
नदी में 500 साल पुराने हाथी की प्रतिमा
बता दें कि, राजघाट स्थित ताप्ती नदी में मौजूद 500 साल पुराने हाथी और उसके बच्चे के बारे में कई किवदंतियां प्रचलित हैं. उनके दार्शनिक महत्व के चलते दूर दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. शहरवासियों का कहना है कि मां ताप्ती सूर्यपुत्री हैं, इसलिए उनके दर्शन के साथ इस हाथी के दर्शन करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. दरअसल ताप्ती नदी का जलस्तर नीचे गिरने के बाद करीब 500 साल पुराने इस हाथी के साथ उसका एक बच्चा भी नजर आता है, यह दोनों हाथी पत्थर से निर्मित हैं. इसमें बड़े हाथी की ऊंचाई 15 फीट है, और बच्चे की मूर्ति 8 फीट है.
तट पर कई देवी-देवताओं के मंदिर मौजूद
इतिहासकार इसे स्वामीनारायण भगवान का हाथी कहते हैं. यहां मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, सहित कई राज्यों से दर्शनार्थी इनके दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. ताप्ती नदी के राजघाट पर दर्जनों देवी-देवताओं के मंदिर मौजूद हैं, इसमें शनि देव, भगवान भोलेनाथ, लाल देवल, सती माता सहित अन्य देवता के मंदिर शामिल हैं. इनके दर्शन मात्र से भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं. लोग दूर-दूर से यहां पूजा अर्चना के लिए आते हैं. नदी के तट पर चींटियों को शक्कर, पक्षियों को दाना-पानी और मछलियों को आटा डालते हैं. इससे संकट दूर होने के साथ ही पुण्य की प्राप्ति होती है.
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पूर्वजों की याद में होते हैं अनुष्ठान
दर्शन के बाद ताप्ती नदी पर लोग नाव की सैर का आनंद उठाते हैं. इस नदी के तट पर मौजूद राजघाट का नजारा शाम के समय बेहद ही खूबसूरत दिखाई देता है. जहां देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले भक्त भक्ति में लीन होने के साथ प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते दिखाई देते हैं. लोग मछली को दाना डालने पहुंचते हैं. इसके अलावा यहां पूर्वजों की याद में कई अनुष्ठान संपन्न कराए जाते हैं. मान्यता है कि ताप्ती में अस्थि विसर्जन से मोक्ष की प्राप्ति होती है.