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धाराओं के दुरुपयोग पर कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, तहसीलदार के आदेश को अपास्त कर पुलिसकर्मियों को निलंबित करने के निर्देश

Historic Decision of Bundi Sessions Court, धाराओं के दुरुपयोग के मामले में बूंदी सेशन न्यायाधीश ने पुलिस व तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए. साथ ही कोर्ट ने तहसीलदार के आदेश को अपास्त कर दिया.

Historic Decision of Bundi Sessions Court
Historic Decision of Bundi Sessions Court
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 18, 2024, 10:14 PM IST

बूंदी. जिला सेशन न्यायाधीश ने सिंधी कॉलोनी निवासी मुकेश माधवानी की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने माधवानी के विरुद्ध तहसीलदार के आदेश को अपास्त करते हुए जांच के बाद दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर व अनुशासनात्मक कार्रवाई करने व जांच के दौरान कोतवाली सीआई व अन्य पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर करने के साथ ही तहसीलदार बूंदी के खिलाफ जिला कलेक्टर को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार 5 मार्च, 2023 को क्षत्रिय शिक्षा प्रचारिणी समिति की ओर से महेश जिंदल की फेसबुक पोस्ट पर मुकेश माधवानी द्वारा अभद्र टिप्पणी कर राजपूत समाज को ठेस पुहंचाने की शिकायत कोतवाली थानाधिकारी के समक्ष की गई थी. इसके बाद कोतवाली पुलिस मुकेश माधवानी की तलाश करते हुए नगर परिषद पहुंची. जनसमस्यों पर अधिकारियों से चर्चा कर रहे नेता प्रतिपक्ष मुकेश माधवानी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाते हुए शांति भंग की धाराओं का दुरुपयोग कर पुलिस उन्हें पैदल ही कोतवाली ले गई. इसके बाद माधवानी को उपखंड मजिस्ट्रेट की अनुपस्थित में तहसीलदार के समक्ष पेश किया गया.

इसे भी पढ़ें - बूंदी : कोर्ट का आदेश नगर परिषद के लिए बनी चुनौती, न निगलते बन रहा, न उगलते...

तहसीलदार द्वारा माधवानी को एक वर्ष तक शांति बनाए रखने के लिए तीन लाख के जमानत मुचलके पेश करने के निर्देश दिए गए. साथ ही जमानत मुचलका न भरने की सूरत में न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए, जिसके बाद माधवानी को जमानत मुचलके पेश करने पर रिहा कर दिया गया था. हालांकि, इसके बाद नेता प्रतिपक्ष मुकेश माधवानी ने सेशन न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता की निगरानी में याचिका पेश कर बताया गया कि कोतवाली पुलिस ने गलत तथ्यों के आधार पर धारा 107,151 116 (3) के तहत उन्हें गिरफ्तार किया और फिर उन्हें तहसीलदार के समक्ष पेश किया था. जबकि उक्त फेसबुक टिप्पणी के सबंध में नेता प्रतिपक्ष से कोतवाली पुलिस ने कोई पूछताछ नहीं की और न ही कोई जवाब लिया गया. उन्होंने बताया कि फेसबुक पर की गई टिप्पणी अन्य किसी विषय में की गई थी, जबकि इसे द्वेषता पूर्वक प्रकरण से सबंध किया गया.

वहीं, नेता प्रतिपक्ष को जब कोतवाली पुलिस ढूढते हुए नगर परिषद पहुंची तब वो अधिकारियों के साथ जनहित के मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे, न कि शांति भंग या किसी से लड़ाई कर रहे थे. पुलिस अधिकारियों ने फेसबुक टिप्पणी प्रकरण में बिना कोई जांच व वस्तुस्थिति को जाने परिवादी से द्वेष रखने वाले कुछ लोगों की शिकायत पर अवैध व मनमाने तरीके से उन्हें गिरफ्तार किया, जो पुलिस की द्वेष पूर्ण व मनमनानी कार्रवाई की ओर इशारा करता है. इस पर जिला सेशन न्यायाधीश ने माधवानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए तहसीलदार बूंदी द्वारा दिए गए आदेश को अपास्त कर दिया और जांच के बाद दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर व अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और जांच के दौरान कोतवाली सीआई व अन्य पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर करने के साथ ही तहसीलदार के विरुद्ध जिला कलेक्टर को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

बूंदी. जिला सेशन न्यायाधीश ने सिंधी कॉलोनी निवासी मुकेश माधवानी की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने माधवानी के विरुद्ध तहसीलदार के आदेश को अपास्त करते हुए जांच के बाद दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर व अनुशासनात्मक कार्रवाई करने व जांच के दौरान कोतवाली सीआई व अन्य पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर करने के साथ ही तहसीलदार बूंदी के खिलाफ जिला कलेक्टर को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार 5 मार्च, 2023 को क्षत्रिय शिक्षा प्रचारिणी समिति की ओर से महेश जिंदल की फेसबुक पोस्ट पर मुकेश माधवानी द्वारा अभद्र टिप्पणी कर राजपूत समाज को ठेस पुहंचाने की शिकायत कोतवाली थानाधिकारी के समक्ष की गई थी. इसके बाद कोतवाली पुलिस मुकेश माधवानी की तलाश करते हुए नगर परिषद पहुंची. जनसमस्यों पर अधिकारियों से चर्चा कर रहे नेता प्रतिपक्ष मुकेश माधवानी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाते हुए शांति भंग की धाराओं का दुरुपयोग कर पुलिस उन्हें पैदल ही कोतवाली ले गई. इसके बाद माधवानी को उपखंड मजिस्ट्रेट की अनुपस्थित में तहसीलदार के समक्ष पेश किया गया.

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तहसीलदार द्वारा माधवानी को एक वर्ष तक शांति बनाए रखने के लिए तीन लाख के जमानत मुचलके पेश करने के निर्देश दिए गए. साथ ही जमानत मुचलका न भरने की सूरत में न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए, जिसके बाद माधवानी को जमानत मुचलके पेश करने पर रिहा कर दिया गया था. हालांकि, इसके बाद नेता प्रतिपक्ष मुकेश माधवानी ने सेशन न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता की निगरानी में याचिका पेश कर बताया गया कि कोतवाली पुलिस ने गलत तथ्यों के आधार पर धारा 107,151 116 (3) के तहत उन्हें गिरफ्तार किया और फिर उन्हें तहसीलदार के समक्ष पेश किया था. जबकि उक्त फेसबुक टिप्पणी के सबंध में नेता प्रतिपक्ष से कोतवाली पुलिस ने कोई पूछताछ नहीं की और न ही कोई जवाब लिया गया. उन्होंने बताया कि फेसबुक पर की गई टिप्पणी अन्य किसी विषय में की गई थी, जबकि इसे द्वेषता पूर्वक प्रकरण से सबंध किया गया.

वहीं, नेता प्रतिपक्ष को जब कोतवाली पुलिस ढूढते हुए नगर परिषद पहुंची तब वो अधिकारियों के साथ जनहित के मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे, न कि शांति भंग या किसी से लड़ाई कर रहे थे. पुलिस अधिकारियों ने फेसबुक टिप्पणी प्रकरण में बिना कोई जांच व वस्तुस्थिति को जाने परिवादी से द्वेष रखने वाले कुछ लोगों की शिकायत पर अवैध व मनमाने तरीके से उन्हें गिरफ्तार किया, जो पुलिस की द्वेष पूर्ण व मनमनानी कार्रवाई की ओर इशारा करता है. इस पर जिला सेशन न्यायाधीश ने माधवानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए तहसीलदार बूंदी द्वारा दिए गए आदेश को अपास्त कर दिया और जांच के बाद दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर व अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और जांच के दौरान कोतवाली सीआई व अन्य पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर करने के साथ ही तहसीलदार के विरुद्ध जिला कलेक्टर को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

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