ETV Bharat / state

बुंदेलखंड में मौनिया पर्व शुरू, जुगल किशोर मंदिर में थिरके ग्वाला, हैरतअंगेज करतब दिखाए

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में दीपावली के दूसरे दिन दिवारी नृत्य ने समां बांध दिया. सुबह से ग्वालों की टोलियां निकल पड़ी.

Bundelkhand Mouniya
बुंदेलखंड में मौनिया पर्व शुरू (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

पन्ना। बुंदेलखंड में दीपावली पर्व पर मौनिया नृत्य आज भी पारंपरिक तरीके से जारी है. दीपावली के अगले दिन दिवारी नृत्य की धूम रही. समूचे बुंदेलखंड से आए मौनिया और ग्वालों की टोलियां श्री जुगल किशोर मंदिर पहुंची. ग्वालों की टोलियों ने घेरा बनाकर नृत्य में ऐसे करतब दिखाए कि लोग देखते ही रह गए. ढोलक-नगड़िया की धुन पर बज रहे मंजीरों के बीच लाठीबाजी की गई. सभी ग्वाले रंग-बिरंगी पोशाक में हाथ में मोर पंख लिए पैरों में घुंघरू बांधे, कमर में पट्टा पहने ढोलक की थाप पर झूम उठे.

मौनिया पर्व की तैयारी एक माह पहले से

बता दें कि पूरे बुंदेलखंड में मौनिया पर्व बड़े हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया जाता है. इसकी तैयारी एक माह पहले से शुरू हो जाती है. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. बता दें कि बुंदेलखंड देशी नृत्य कला एवं बुंदेली संगीत के लिए हमेशा से प्रसिद्ध रहा है. इसी क्रम में में मौनिया पर्व पर दीपावली के दूसरे दिन समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र से श्री जुगल किशोर मंदिर ग्वालों की टोलियां पहुंचती हैं और यहां अपने कर्तव्य एवं नृत्य दिखाकर झूम उठते हैं. यह नृत्य समूचे बुंदेलखंड में प्रसिद्ध है. ये पर्व अगले 5 दिन तक चलता रहेगा.

पन्ना के जुगल किशोर मंदिर में थिरके ग्वाला (ETV BHARAT)

ये खबरें भी पढ़ें...

प्रेमचंद का प्रेम देवरी, मुंशीजी की बुंदेली जमीन जहां जन्मी रानी सिरांधा हरदौल की कहानी

बुंदेलखंड की माही सोनी का जलवा अब दूरदर्शन पर, इस सीरियल में आएंगी नजर

बुंदेलखंड में क्या है मौनिया पर्व की परंपरा

श्रद्धालु खिल्लू बताते हैं "ग्वाले की मौन रहने की परंपरा सदियों पुरानी चली आ रही है. जो ग्वाले इस परंपरा का निर्वहन करता है, वह 12 साल मौन रहता है. मौन रहने से पूर्व बछिया पूजन एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और प्रतिवर्ष दीपावली के दूसरे दिन जुगल किशोर मंदिर या अन्य तीर्थ पहुंचकर दिनभर मौन रहा जाता है." दिवारी गीतों पर ग्वालों के रूप में मौनिया डांस करते हैं. इस दौरान ग्वाले हैरतअगेज करतब भी दिखाते हैं. परंपरा के तहत 12 साल बाद वृंदावन जाकर पूजा पाठ कराकर मोर पंख का मुठा प्रभु को अर्पण करते हैं.

पन्ना। बुंदेलखंड में दीपावली पर्व पर मौनिया नृत्य आज भी पारंपरिक तरीके से जारी है. दीपावली के अगले दिन दिवारी नृत्य की धूम रही. समूचे बुंदेलखंड से आए मौनिया और ग्वालों की टोलियां श्री जुगल किशोर मंदिर पहुंची. ग्वालों की टोलियों ने घेरा बनाकर नृत्य में ऐसे करतब दिखाए कि लोग देखते ही रह गए. ढोलक-नगड़िया की धुन पर बज रहे मंजीरों के बीच लाठीबाजी की गई. सभी ग्वाले रंग-बिरंगी पोशाक में हाथ में मोर पंख लिए पैरों में घुंघरू बांधे, कमर में पट्टा पहने ढोलक की थाप पर झूम उठे.

मौनिया पर्व की तैयारी एक माह पहले से

बता दें कि पूरे बुंदेलखंड में मौनिया पर्व बड़े हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया जाता है. इसकी तैयारी एक माह पहले से शुरू हो जाती है. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. बता दें कि बुंदेलखंड देशी नृत्य कला एवं बुंदेली संगीत के लिए हमेशा से प्रसिद्ध रहा है. इसी क्रम में में मौनिया पर्व पर दीपावली के दूसरे दिन समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र से श्री जुगल किशोर मंदिर ग्वालों की टोलियां पहुंचती हैं और यहां अपने कर्तव्य एवं नृत्य दिखाकर झूम उठते हैं. यह नृत्य समूचे बुंदेलखंड में प्रसिद्ध है. ये पर्व अगले 5 दिन तक चलता रहेगा.

पन्ना के जुगल किशोर मंदिर में थिरके ग्वाला (ETV BHARAT)

ये खबरें भी पढ़ें...

प्रेमचंद का प्रेम देवरी, मुंशीजी की बुंदेली जमीन जहां जन्मी रानी सिरांधा हरदौल की कहानी

बुंदेलखंड की माही सोनी का जलवा अब दूरदर्शन पर, इस सीरियल में आएंगी नजर

बुंदेलखंड में क्या है मौनिया पर्व की परंपरा

श्रद्धालु खिल्लू बताते हैं "ग्वाले की मौन रहने की परंपरा सदियों पुरानी चली आ रही है. जो ग्वाले इस परंपरा का निर्वहन करता है, वह 12 साल मौन रहता है. मौन रहने से पूर्व बछिया पूजन एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और प्रतिवर्ष दीपावली के दूसरे दिन जुगल किशोर मंदिर या अन्य तीर्थ पहुंचकर दिनभर मौन रहा जाता है." दिवारी गीतों पर ग्वालों के रूप में मौनिया डांस करते हैं. इस दौरान ग्वाले हैरतअगेज करतब भी दिखाते हैं. परंपरा के तहत 12 साल बाद वृंदावन जाकर पूजा पाठ कराकर मोर पंख का मुठा प्रभु को अर्पण करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.