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बुधनी उपचुनाव में किस करवट बैठेगा किरार समाज, किस नाम के साथ दांव पर शिवराज सिंह की साख

मध्य प्रदेश के बुधनी उपचुनाव में किरार समाज वोट बैंक है. यहां पर कांग्रेस ने किरार समाज पर भरोसा जताया है, जबकि बीजेपी ने इस बार किरार समाज से अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है.

BUDHNI BY ELECTION 2024
बुधनी उपचुनाव में किस करवट बैठेगा किरार समाज (Shivraj Singh X Image)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 6 hours ago

भोपाल: बुधनी विधानसभा सीट पर किरार समाज इस बार करवट ले सकता है. शिवराज के सबसे मजबूत गढ़ बुधनी में क्या इस बार सेंध की कोई गुंजाइश बन रही है. इस सीट पर शिवराज के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम भी दावेदारों की सूची में था. उनके नाम पर मुहर नहीं लग पाने की क्या वजह रही. इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार भले रमांकात भार्गव हो, लेकिन ये तय है कि चुनाव शिवराज के नाम पर और चेहरे पर ही लड़ा जाएगा. सवाल ये भी है कि राजेन्द्र सिंह से 2005 में बुधनी सीट लेने वाले शिवराज ने इतनी लंबी पारी के बाद अपने उत्तराधिकारी के तौर पर इस सीट को सौंपने रमाकांत भार्गव को ही क्यों चुना.

बुधनी में किरार किस करवट जाएगा

बुधनी विधानसभा सीट पर किरार समाज क्या इस बार करवट ले सकता है. वजह ये है कि अब तक समाज के नेता शिवराज सिंह चौहान की जगह रमाकांत भार्गव को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. उधर कांग्रेस ने करीब 20 साल बाद फिर किरार चेहरे के तौर पर राजकुमार पटेल पर भरोसा जताया है. वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं कि 'इसमें दो राय नहीं कि एमपी की इस हाइप्रोफाईल सीट बुधनी पर किरार वोटर भी निर्णायक स्थिति में है. इस सीट पर किरार का 40 से 45 हजार का वोट है.

ये भी सही है कि बीजेपी ने किरार चेहरे के तौर पर राजेन्द्र सिंह या कार्तिकेय सिंह चौहान को आगे बढ़ाने के बजाए एकदम नए चेहरे रमाकांत भार्गव को अपना उम्मीदवार बनाया है, लेकिन ये उम्मीदवार मोहरे ही हैं. असल चुनाव तो शिवराज सिंह चौहान की साख पर ही लड़ा जाएगा.

रमाकांत भार्गव को शिवराज ने क्यों सौंपी बुधनी

2005 में तत्कालीन विधायक राजेन्द्र सिंह ने मिनटों में जो सीट शिवराज सिंह चौहान के लिए खाली करने का फैसला लिया था. उन्हें भी उम्मीद होगी कि करीब बीस साल बाद जब शिवराज वो सीट छोड़ेंगे, तो उसके स्वाभाविक हकदार राजेन्द्र सिंह ही होंगे. दावेदारों की कतार में तो कार्तिकेय सिंह चौहान का भी नाम था. आखिर क्या वजह रही कि राजेन्द्र सिंह के बजाए इस पर रमांकात भार्गव का नाम ज्यादा मजबूत रहा.

Shivraj Singh Reputation at Stake
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते शिवराज सिंह (ETV Bharat)

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, 'बुधनी सीट पर रमाकांत भार्गव का नाम भी शिवराज की मुहर का ही नतीजा है. रमाकांत शिवराज के बेहद करीबी माने जाते हैं. यहां देखिए तो शिवराज सिंह चौहान के जरिए पार्टी किरार वोटर पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखेगी. देखने वाली बात ये होगी कि किरार समाज के ही उम्मीदवार राजकुमार पटेल के मैदान में उतारे जाने से क्या समाज बंटेगा. उधर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में बुधनी विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों के संबंध में बैठक ली. शिवराज ने कहा कि बुधनी विधानसभा क्षेत्र की जनता एक बार फिर कमल खिलाने जा रही है. यहां की जनता ने जिस तरह मुझे प्रेम और आशीर्वाद देकर सेवा का अवसर दिया. मुझे पूर्ण विश्वास है कि उसी तरह रमाकांत भार्गव को भी अपना पूर्ण समर्थन देगी.

यहां पढ़ें...

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कांग्रेस का किरार दांव कितना मजबूत

20 साल बाद जब पहली बार बीजेपी के गढ़ बुधनी में पार्टी ने शिवराज की पारंपरिक सीट से किरार समाज से किनारा किया. कांग्रेस ने इस सीट से किरार समाज के नेता और कांग्रेस के पूर्व मंत्री रहे राजकुमार पटेल पर दांव खेल दिया है. राजकुमार पटेल तीस साल पहले 1993 में इसी सीट से विधायक भी चुने जा चुके है.

भोपाल: बुधनी विधानसभा सीट पर किरार समाज इस बार करवट ले सकता है. शिवराज के सबसे मजबूत गढ़ बुधनी में क्या इस बार सेंध की कोई गुंजाइश बन रही है. इस सीट पर शिवराज के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का नाम भी दावेदारों की सूची में था. उनके नाम पर मुहर नहीं लग पाने की क्या वजह रही. इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार भले रमांकात भार्गव हो, लेकिन ये तय है कि चुनाव शिवराज के नाम पर और चेहरे पर ही लड़ा जाएगा. सवाल ये भी है कि राजेन्द्र सिंह से 2005 में बुधनी सीट लेने वाले शिवराज ने इतनी लंबी पारी के बाद अपने उत्तराधिकारी के तौर पर इस सीट को सौंपने रमाकांत भार्गव को ही क्यों चुना.

बुधनी में किरार किस करवट जाएगा

बुधनी विधानसभा सीट पर किरार समाज क्या इस बार करवट ले सकता है. वजह ये है कि अब तक समाज के नेता शिवराज सिंह चौहान की जगह रमाकांत भार्गव को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. उधर कांग्रेस ने करीब 20 साल बाद फिर किरार चेहरे के तौर पर राजकुमार पटेल पर भरोसा जताया है. वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं कि 'इसमें दो राय नहीं कि एमपी की इस हाइप्रोफाईल सीट बुधनी पर किरार वोटर भी निर्णायक स्थिति में है. इस सीट पर किरार का 40 से 45 हजार का वोट है.

ये भी सही है कि बीजेपी ने किरार चेहरे के तौर पर राजेन्द्र सिंह या कार्तिकेय सिंह चौहान को आगे बढ़ाने के बजाए एकदम नए चेहरे रमाकांत भार्गव को अपना उम्मीदवार बनाया है, लेकिन ये उम्मीदवार मोहरे ही हैं. असल चुनाव तो शिवराज सिंह चौहान की साख पर ही लड़ा जाएगा.

रमाकांत भार्गव को शिवराज ने क्यों सौंपी बुधनी

2005 में तत्कालीन विधायक राजेन्द्र सिंह ने मिनटों में जो सीट शिवराज सिंह चौहान के लिए खाली करने का फैसला लिया था. उन्हें भी उम्मीद होगी कि करीब बीस साल बाद जब शिवराज वो सीट छोड़ेंगे, तो उसके स्वाभाविक हकदार राजेन्द्र सिंह ही होंगे. दावेदारों की कतार में तो कार्तिकेय सिंह चौहान का भी नाम था. आखिर क्या वजह रही कि राजेन्द्र सिंह के बजाए इस पर रमांकात भार्गव का नाम ज्यादा मजबूत रहा.

Shivraj Singh Reputation at Stake
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते शिवराज सिंह (ETV Bharat)

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, 'बुधनी सीट पर रमाकांत भार्गव का नाम भी शिवराज की मुहर का ही नतीजा है. रमाकांत शिवराज के बेहद करीबी माने जाते हैं. यहां देखिए तो शिवराज सिंह चौहान के जरिए पार्टी किरार वोटर पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखेगी. देखने वाली बात ये होगी कि किरार समाज के ही उम्मीदवार राजकुमार पटेल के मैदान में उतारे जाने से क्या समाज बंटेगा. उधर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में बुधनी विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों के संबंध में बैठक ली. शिवराज ने कहा कि बुधनी विधानसभा क्षेत्र की जनता एक बार फिर कमल खिलाने जा रही है. यहां की जनता ने जिस तरह मुझे प्रेम और आशीर्वाद देकर सेवा का अवसर दिया. मुझे पूर्ण विश्वास है कि उसी तरह रमाकांत भार्गव को भी अपना पूर्ण समर्थन देगी.

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कांग्रेस का किरार दांव कितना मजबूत

20 साल बाद जब पहली बार बीजेपी के गढ़ बुधनी में पार्टी ने शिवराज की पारंपरिक सीट से किरार समाज से किनारा किया. कांग्रेस ने इस सीट से किरार समाज के नेता और कांग्रेस के पूर्व मंत्री रहे राजकुमार पटेल पर दांव खेल दिया है. राजकुमार पटेल तीस साल पहले 1993 में इसी सीट से विधायक भी चुने जा चुके है.

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