झांसीः बसपा के लिए बुंदेलखंड में 15 साल सक्रिय रहे और पिछले 7 साल से बुंदेलखंड के प्रभारी रहे लालाराम अहिरवार अब पदविहीन हो गए हैं. जानकारी के अनुसार बसपा सुप्रीमो ने लालाराम द्वारा गलत फीडबैक देने को लेकर कार्रवाई की है. सूत्रों की मानें तो उन पर राकेश कुशवाहा को पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता बताते हुए पार्टी को गुमराह करने का आरोप है. बसपा सुप्रीमो तक जब यह शिकायत पहुंची तो उन्होंने प्रत्याशी राकेश कुशवाहा को पार्टी से निष्कासित करते हुए टिकट काट दिया. इसके अलावा झांसी जिलाध्यक्ष जयपाल को भी हटाते हुए बीके गौतम को झांसी जिले की कमान सौंप दी गई.
लोकसभा चुनाव में झांसी-ललितपुर संसदीय सीट पर बसपा ने राकेश कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया था. माना गया कि लालाराम अहिरवार की इसमें अहम भूमिका थी. राकेश कुशवाहा को टिकट मिलने के बाद पार्टी में बगावती सुर मुखर हो गए. जमीनी कार्यकर्ताओं की नाराजगी की खबर जैसे ही बसपा सुप्रीमो मायावती तक पहुंची, उनके निर्देश पर राकेश कुशवाहा का टिकट काटकर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया.
पार्टी सूत्रों के अनुसार राकेश कुशवाहा की समाजवादी पार्टी के नेताओं से नजदीकी थी, इसके बावजूद लालाराम अहिरवार ने गलत फीडबैक देकर उनका टिकट करा दिया. जैसे-जैसे लालाराम से जुड़ी अन्य खबरें बसपा सुप्रीमो के पास पहुंचने लगीं, कार्रवाई शुरू कर दी गई. सबसे पहले लालाराम के करीबी माने जाने वाले जिलाध्यक्ष जयपाल अहिरवार को पद से हटाकर बीके गौतम को उनकी जगह अध्यक्ष बना दिया गया. इसके बाद सोमवार को लालाराम से झांसी का प्रभार छीनकर उन्हें चित्रकूट मंडल तक सीमित कर दिया गया. वहीं, मंगलवार को पार्टी ने एक चौकाने वाला पत्र जारी कर लालाराम को चित्रकूट मंडल के प्रभारी पद से भी हटा दिया गया. 7 सालों से भी ज्यादा समय तक लालाराम लगातार बुंदेलखंड प्रभारी के पद पर रहे. बुंदेलखंड में लालाराम को बसपा के कद्दावर नेता के रूप में जाना जाता है. सालों बाद अब लालाराम पार्टी में बिना पद के रहेंगे. इसके अलावा पार्टी ने झांसी मंडल की कमान चंद्रदत्त गौतम को सौंपी है तो रविकांत मौर्या को झांसी जनपद का प्रभारी बनाया गया है.
अर्श से फर्श पर आई बसपा
कभी बुंदेलखंड में मजबूत स्थिति में रहने वाली बसपा साल दर साल कमजोर होती चली गई. वहीं नियुक्त जिलाध्यक्ष बीके गौतम की अगर मानें तो उनकी पार्टी बहनजी के आदेश पर चलती है. उनको मिली जानकारी के अनुसार लालाराम ने पार्टी के आदेशों की अवहेलना की है. लालाराम अपने हिसाब से यहां पार्टी को चलाते रहे. समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई, जिससे पार्टी को भयंकर नुकसान हुआ. बुंदेलखंड प्रभारी कर द्वारा भेजे गए गलत फीडबैक का ही नतीजा रहा कि पार्टी को प्रत्याशी घोषित करने बाद भी प्रत्याशी को और उस समय के मौजूदा जिलाध्यक्ष को निष्कासित करना पड़ा.
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