लखनऊ: उत्तर प्रदेश समेत देश भर में लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. देश भर में आचार संहिता लागू हो गई है. सभी राजनीतिक दल चुनावी मोड में आ गए हैं. उम्मीदवार भी घोषित हो रहे हैं. पार्टियां चुनाव जीतने के लिए अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं. बहुजन समाज पार्टी भी चुनाव जीतने के लिए अपनी रणनीति पर काम कर रही है.
बहुजन समाज पार्टी की स्थापना के बाद जिस फार्मूले के साथ कांशीराम पार्टी को लेकर आगे बढ़े थे और भविष्य में इसका फायदा पार्टी को मिला था, उसी फार्मूले के साथ लोकसभा चुनाव 2024 में बहुजन समाज पार्टी मैदान में उतरेगी. पार्टी कैडर पर सबसे ज्यादा ध्यान देगी.
अच्छे प्रत्याशियों का चयन करने के साथ ही सबसे ज्यादा महत्व दलित और पिछड़ों को दिया जाएगा. सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के साथ 2007 में सत्ता में आई बसपा इस फार्मूले का भी ख्याल रखेगी. अभी तक पार्टी ने जो उम्मीदवार घोषित किए हैं उनमें मुसलमानों के साथ ही ब्राह्मणों को काफी अहमियत दी है. अब दलित और पिछड़ों का नंबर आएगा.
2007 में बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. इसमें बसपा संस्थापक कांशीराम के सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का फार्मूला काम आया था. अब इसी फार्मूले के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी उतरने वाली है.
पार्टी के प्रत्याशियों की घोषणा होना भी शुरू हो गई है. अब तक प्रदेश में नौ उम्मीदवार स्थानीय स्तर पर घोषित भी किए जा चुके हैं. हालांकि पार्टी की तरफ से अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इन उम्मीदवारों में पांच मुस्लिम और तीन ब्राह्मण और एक जाट घोषित किए जा चुके हैं. इससे साफ है कि अकेले दम पर लोकसभा चुनाव लड़ रही बसपा इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन का सियासी खेल बिगाड़ सकती है.
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि अब पार्टी का ध्यान दलितों और पिछड़ों को आगे बढ़ाने पर होगा. पार्टी की आधिकारिक सूची जारी होगी तो उसमें कई फॉर्मूलों का ध्यान रखा जाएगा. इसमें सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का फार्मूला मुख्य होगा.
इसके अलावा अभी तक पार्टी ने मिशन के जो फार्मूले इस्तेमाल कर सत्ता में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. उनका भी विशेष तौर पर ध्यान रखा जाएगा. पार्टी एक बार फिर ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित करने पर फोकस करेगी.
जिस जाति के जो भी बड़े नेता होंगे उनको छोटी-छोटी सभाओं में भी शामिल होने के लिए निर्देशित किया जाएगा. पार्टी के जो भी कैडर के नेता हैं उन्हें लोगों के बीच भेजा जाएगा और वह नुक्कड़ सभाएं कर पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में माहौल बनाएंगे.
उत्तर प्रदेश की राजनीति की बात करें तो ब्राह्मण और मुस्लिम का कांबिनेशन अब तक का सबसे बेहतर कांबिनेशन रहा है. इसी पर बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर फोकस कर रही है. बहुजन समाज पार्टी मुखिया मायावती मुसलमानों को सबसे ज्यादा तवज्जो देकर उत्तर प्रदेश में विपक्ष की भूमिका निभा रही समाजवादी पार्टी को जनता की नजर में, खासकर मुस्लिम समुदाय की नजर में आइना दिखाना चाहती हैं.
इसके अलावा विभिन्न दलों में ब्राह्मणों को टिकट देने में कोताही का भी फायदा बीएसपी मुखिया उठाना चाहती हैं. ब्राह्मणों को सीटों में खास अहमियत देने का पार्टी का प्लान है. अभी तक जो प्रत्याशी घोषित हुए हैं उसमें मुस्लिम और ब्राह्मण का कांबिनेशन साफ तौर पर नजर भी आ रहा है.
कैडर को जोड़े रखने के लिए पहले ही मायावती अपने सभी पदाधिकारियों को निर्देशित कर चुकी थीं कि वह छोटी-छोटी सभाएं कर अपने कैडर के बीच जाएं और उन्हें पार्टी के प्लान के बारे में समझाएं. पार्टी पदाधिकारियों ने ऐसा किया भी है और बीएसपी को उम्मीद है कि यह कैडर का फार्मूला सफल जरूर होगा.
राजनीतिक विश्लेषक प्रभात रंजन दीन का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी हमेशा हर चुनाव में कोई न कोई प्रयोग जरूर करती रहती है. हालांकि पार्टी की स्थिति तो बिल्कुल सही नहीं कहीं जा सकती, लेकिन जो कोर वोटर है वह अभी बीएसपी के साथ ही है.
हालांकि भाजपा बहुत हद तक सेंध लगाने में सफल जरूर हुई है, लेकिन फिर अभी और कोई पार्टी बीएसपी के कोर वोटर को अपनी तरफ नहीं आकर्षित कर पा रही है. इसका फायदा बीएसपी को मिलता है.
ब्राह्मण भाईचारा सम्मेलन का आयोजन कराकर पहले ब्राह्मणों को पार्टी अपने खेमे में शामिल कर चुकी है और इस बार भी कई फार्मूले इस्तेमाल कर पार्टी अपने लिए बेहतर करने का प्रयास कर रही है. मुसलमानों पर बसपा का पूरा फोकस रहेगा क्योंकि मुस्लिम प्रत्याशी सपा का खेल बिगाड़ सकते हैं.