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'हाथी' पर सवार इन दिग्गजों ने बढ़ाई NDA और महागठबंधन की टेंशन, मायावती के कारण गड़बड़ाया कास्ट इक्वेशन - BSP Candidates In Bihar - BSP CANDIDATES IN BIHAR

Lok Sabha Election 2024: पहले नवादा और पूर्णिया में निर्दलीय उम्मीदवारों ने महागठबंधन और एनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी की, वहीं अब मायावती की बहुजन समाज पार्टी दोनों गठबंधन का खेल बिगाड़ने की तैयारी में है. पूर्व सांसद प्रो. अरुण कुमार और पूर्व विधायक गुलाब यादव सरीखे नेता 'हाथी' पर सवार होकर मैदान में उतर चुके हैं. जिस वजह से कई सीटों पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

BSP Candidates In Bihar
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 29, 2024, 10:20 AM IST

Updated : Apr 29, 2024, 10:36 AM IST

बिहार में बीएसपी उम्मीदवार किसका खेल बिगाड़ेंगे?

पटना: लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की स्थिति धीरे-धीरे साफ नजर आने लगी है. बिहार में बहुजन समाज पार्टी ने 2024 के चुनाव में अनेक सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. बिहार में भले ही बीएसपी मजबूत स्थिति में नहीं है लेकिन कुछ ऐसी सीटें हैं, जिस पर उनके प्रत्याशी एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है. सासाराम, झंझारपुर और जहानाबाद तीन ऐसी सीटें हैं, जिस सीट पर बीएसपी दोनों बड़े गठबंधन के नेताओं का समीकरण बिगाड़ सकती है.

झंझारपुर में गुलाब यादव ने ठोका ताल: मिथिलांचल की झंझारपुर लोकसभा सीट अति पिछड़ों के लिए सुरक्षित सीट मानी जाती है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर एनडीए की प्रत्याशी की जीत हुई थी. 2014 में यहां से बीजेपी के वीरेंद्र चौधरी चुनाव जीते थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के रामप्रीत मंडल ने जीत हासिल की थी. 2019 लोकसभा चुनाव में रामप्रीत मंडल के मुकाबले आरजेडी में गुलाब यादव को अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन आरजेडी से दूरी बढ़ने के बाद गुलाब यादव ने मधुबनी और झंझारपुर में अपनी राजनीतिक पकड़ और मजबूत कर ली है. उनकी पुत्री बिंदु गुलाब यादव मधुबनी जिला परिषद की अध्यक्ष हैं, जबकि पत्नी अंबिका गुलाब यादव बिहार विधान परिषद के चुनाव में निर्दलीय जीत हासिल की थी.

गुलाब यादव
गुलाब यादव

महागठबंधन की राह में कांटा बिछाएंगे गुलाब: दरअसल, गुलाब यादव वीआईपी से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उनका टिकट नहीं मिला और महागठबंधन से सुमन महासेठ को प्रत्याशी बना दिया गया. इसीलिए गुलाब यादव ने बीएसपी से चुनाव लड़ने का फैसला किया. उनका कहना है कि 2024 लोकसभा चुनाव में झंझारपुर की जनता उनके हर सुख-दुख में साथ देने वाले का साथ देगी. झंझारपुर लोकसभा सीट पर त्रिकोणात्मक संघर्ष होता दिख रहा है. वर्तमान सांसद रामप्रीत मंडल को उम्मीदवार बनाया है, वहीं महागठबंधन की तरफ से सुमन कुमार महासेठ प्रत्याशी हैं. गुलाब यादव बीएसपी के प्रत्याशी हैं और यादव समाज से आने के कारण यादवों में उनकी अच्छी पकड़ है. ऐसे में उनके प्रत्याशी होने से महागठबंधन को नुकसान होता दिख रहा है.

जहानाबाद में अरुण कुमार 'हाथी' पर सवार: जहानाबाद लोकसभा से पूर्व सांसद प्रो. अरुण कुमार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. वह दो बार सांसद रह चुके हैं. 2014 का लोकसभा चुनाव अरुण कुमार आरएलएसपी के टिकट पर लड़े थे और जीत हासिल की थी. 2024 लोकसभा के लिए वह एलजेपी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन यह सीट जेडीयू के खाते में चली गई. यही कारण है कि उन्होंने चिराग पासवान की पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बीएसपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है. वह बीएसपी के सिंबल पर जहानाबाद से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

Arun Kumar
Arun Kumar

एनडीए को करेंगे बड़ा नुकसान: जातीय समीकरण के आधार पर यदि देखें तो भूमिहार समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ है. यदि वह चुनाव लड़ते हैं तो एनडीए के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाएंग, जिसका नुकसान एनडीए प्रत्याशी को होना तय है. 2019 लोकसभा चुनाव में भी अरुण कुमार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़े हुए थे और लगभग 35000 वोट उनको प्राप्त हुआ था. इस बार वह बीएसपी के सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और उनका भरोसा है कि बसपा का परंपरागत वोट बैंक उनके द्वारा क्षेत्र में किए हुए काम को देखते हुए जनता उन पर भरोसा करेगी.

सासाराम में संतोष कुमार बढ़ाएंगे टेंशन: उत्तर प्रदेश से सटे हुए बिहार के कुछ इलाकों में बसपा का जनाधार दिखता रहा है. विधानसभा के चुनाव में कई ऐसी सीट हैं, जहां पर बीएसपी के उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन किया है. 2020 विधानसभा चुनाव में सासाराम के चैनपुर विधानसभा सीट से जमा खान बीएसपी के सिंबल पर चुनाव जीते थे. सासाराम के जातिगत समीकरण में भी बीएसपी की पैठ है. इस बार बसपा ने सासाराम से संतोष कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है. 2019 लोकसभा चुनाव में सासाराम से मनोज कुमार चुनाव लड़े थे, उन्हें 86406 मत प्राप्त हुआ है. 2014 लोकसभा चुनाव में बालेश्वर भारती को 32 हजार के आसपास वोट मिला था.

सासाराम सीट से बीएसपी कैंडिडेट
सासाराम सीट से बीएसपी कैंडिडेट

मायावती की बीएसपी को जीत की उम्मीद: 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों गठबंधनों ने अपने कैंडिडेट बदल दिए हैं. बीजेपी ने जहां शिवेश राम को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं पिछली बार बसपा से चुनाव लड़ चुके मनोज कुमार भारती को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में संतोष कुमार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि इस बार जनता उनका साथ देगी. संतोष कुमार का मानना है कि सासाराम की जनता ने जिन लोगों पर भरोसा कर के उन्हें संसद भेजा, वह उनकी अपेक्षा पर खरा नहीं उतरे . यही कारण है कि इस बार जनता बदलाव चाहती है.

क्या कहते हैं जानकार?: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार कहते हैं सासाराम लोकसभा क्षेत्र पर हमेशा से बीएसपी का प्रभाव रहा है. बसपा का काराकाट सासाराम और कैमूर के इलाके में प्रभाव रहा है. यही कारण है कि इस सीट पर बीएसपी की हमेशा नजर रहती है और इस बार भी बीएसपी ने वहां से अपना कैंडिडेट खड़ा किया है. जहानाबाद से अरुण कुमार दो बार सांसद रह चुके हैं. उनका अपने क्षेत्र में प्रभाव भी है. साथ ही बीएसपी का जो परंपरागत वोट है, यदि उनके साथ जाती है तो चुनाव त्रिकोणात्मक हो सकता है.

तीन सीटों पर मजबूत स्थिति में बीएसपी: वह आगे कहते हैं कि झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र में भी वैसी ही स्थिति दिख रही है. गुलाब यादव वीआईपी के सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन आखिरी समय में उनका टिकट कट गया. अब वह बीएसपी के सिंबल पर झंझारपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. झंझारपुर में जातीय समीकरण के आधार पर गुलाब यादव का पहले से ही प्रभाव रहा है और इस बार बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़कर वहां वह अच्छी दावेदारी पेश कर रहे हैंं.

"2024 लोकसभा चुनाव में बीएसपी कई सीटों पर एनडीए और महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि कई सीटों पर पार्टी ने कद्दावर उम्मीदवार खड़े किए हैं. एक तो उन प्रत्याशियों का अपनी राजनीतिक पकड़ है, साथ ही बीएसपी का सिंबल भी है. उनका ये भी मानना है कि बीएसपी के ट्रेडीशनल वोटर अभी भी पूर्व सीएम मायावती को अपना नेता मानते रहे हैं. ऐसे में सासाराम के अलावे जहानाबाद और झंझारपुर सीट पर बीएसपी चुनाव को त्रिकोणात्मक बना दी है."- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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झंझारपुर में गुलाब यादव ने ठोका ताल: मिथिलांचल की झंझारपुर लोकसभा सीट अति पिछड़ों के लिए सुरक्षित सीट मानी जाती है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर एनडीए की प्रत्याशी की जीत हुई थी. 2014 में यहां से बीजेपी के वीरेंद्र चौधरी चुनाव जीते थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के रामप्रीत मंडल ने जीत हासिल की थी. 2019 लोकसभा चुनाव में रामप्रीत मंडल के मुकाबले आरजेडी में गुलाब यादव को अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन आरजेडी से दूरी बढ़ने के बाद गुलाब यादव ने मधुबनी और झंझारपुर में अपनी राजनीतिक पकड़ और मजबूत कर ली है. उनकी पुत्री बिंदु गुलाब यादव मधुबनी जिला परिषद की अध्यक्ष हैं, जबकि पत्नी अंबिका गुलाब यादव बिहार विधान परिषद के चुनाव में निर्दलीय जीत हासिल की थी.

गुलाब यादव
गुलाब यादव

महागठबंधन की राह में कांटा बिछाएंगे गुलाब: दरअसल, गुलाब यादव वीआईपी से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उनका टिकट नहीं मिला और महागठबंधन से सुमन महासेठ को प्रत्याशी बना दिया गया. इसीलिए गुलाब यादव ने बीएसपी से चुनाव लड़ने का फैसला किया. उनका कहना है कि 2024 लोकसभा चुनाव में झंझारपुर की जनता उनके हर सुख-दुख में साथ देने वाले का साथ देगी. झंझारपुर लोकसभा सीट पर त्रिकोणात्मक संघर्ष होता दिख रहा है. वर्तमान सांसद रामप्रीत मंडल को उम्मीदवार बनाया है, वहीं महागठबंधन की तरफ से सुमन कुमार महासेठ प्रत्याशी हैं. गुलाब यादव बीएसपी के प्रत्याशी हैं और यादव समाज से आने के कारण यादवों में उनकी अच्छी पकड़ है. ऐसे में उनके प्रत्याशी होने से महागठबंधन को नुकसान होता दिख रहा है.

जहानाबाद में अरुण कुमार 'हाथी' पर सवार: जहानाबाद लोकसभा से पूर्व सांसद प्रो. अरुण कुमार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. वह दो बार सांसद रह चुके हैं. 2014 का लोकसभा चुनाव अरुण कुमार आरएलएसपी के टिकट पर लड़े थे और जीत हासिल की थी. 2024 लोकसभा के लिए वह एलजेपी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन यह सीट जेडीयू के खाते में चली गई. यही कारण है कि उन्होंने चिराग पासवान की पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बीएसपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है. वह बीएसपी के सिंबल पर जहानाबाद से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

Arun Kumar
Arun Kumar

एनडीए को करेंगे बड़ा नुकसान: जातीय समीकरण के आधार पर यदि देखें तो भूमिहार समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ है. यदि वह चुनाव लड़ते हैं तो एनडीए के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाएंग, जिसका नुकसान एनडीए प्रत्याशी को होना तय है. 2019 लोकसभा चुनाव में भी अरुण कुमार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़े हुए थे और लगभग 35000 वोट उनको प्राप्त हुआ था. इस बार वह बीएसपी के सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और उनका भरोसा है कि बसपा का परंपरागत वोट बैंक उनके द्वारा क्षेत्र में किए हुए काम को देखते हुए जनता उन पर भरोसा करेगी.

सासाराम में संतोष कुमार बढ़ाएंगे टेंशन: उत्तर प्रदेश से सटे हुए बिहार के कुछ इलाकों में बसपा का जनाधार दिखता रहा है. विधानसभा के चुनाव में कई ऐसी सीट हैं, जहां पर बीएसपी के उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन किया है. 2020 विधानसभा चुनाव में सासाराम के चैनपुर विधानसभा सीट से जमा खान बीएसपी के सिंबल पर चुनाव जीते थे. सासाराम के जातिगत समीकरण में भी बीएसपी की पैठ है. इस बार बसपा ने सासाराम से संतोष कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है. 2019 लोकसभा चुनाव में सासाराम से मनोज कुमार चुनाव लड़े थे, उन्हें 86406 मत प्राप्त हुआ है. 2014 लोकसभा चुनाव में बालेश्वर भारती को 32 हजार के आसपास वोट मिला था.

सासाराम सीट से बीएसपी कैंडिडेट
सासाराम सीट से बीएसपी कैंडिडेट

मायावती की बीएसपी को जीत की उम्मीद: 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों गठबंधनों ने अपने कैंडिडेट बदल दिए हैं. बीजेपी ने जहां शिवेश राम को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं पिछली बार बसपा से चुनाव लड़ चुके मनोज कुमार भारती को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में संतोष कुमार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि इस बार जनता उनका साथ देगी. संतोष कुमार का मानना है कि सासाराम की जनता ने जिन लोगों पर भरोसा कर के उन्हें संसद भेजा, वह उनकी अपेक्षा पर खरा नहीं उतरे . यही कारण है कि इस बार जनता बदलाव चाहती है.

क्या कहते हैं जानकार?: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार कहते हैं सासाराम लोकसभा क्षेत्र पर हमेशा से बीएसपी का प्रभाव रहा है. बसपा का काराकाट सासाराम और कैमूर के इलाके में प्रभाव रहा है. यही कारण है कि इस सीट पर बीएसपी की हमेशा नजर रहती है और इस बार भी बीएसपी ने वहां से अपना कैंडिडेट खड़ा किया है. जहानाबाद से अरुण कुमार दो बार सांसद रह चुके हैं. उनका अपने क्षेत्र में प्रभाव भी है. साथ ही बीएसपी का जो परंपरागत वोट है, यदि उनके साथ जाती है तो चुनाव त्रिकोणात्मक हो सकता है.

तीन सीटों पर मजबूत स्थिति में बीएसपी: वह आगे कहते हैं कि झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र में भी वैसी ही स्थिति दिख रही है. गुलाब यादव वीआईपी के सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन आखिरी समय में उनका टिकट कट गया. अब वह बीएसपी के सिंबल पर झंझारपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. झंझारपुर में जातीय समीकरण के आधार पर गुलाब यादव का पहले से ही प्रभाव रहा है और इस बार बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़कर वहां वह अच्छी दावेदारी पेश कर रहे हैंं.

"2024 लोकसभा चुनाव में बीएसपी कई सीटों पर एनडीए और महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि कई सीटों पर पार्टी ने कद्दावर उम्मीदवार खड़े किए हैं. एक तो उन प्रत्याशियों का अपनी राजनीतिक पकड़ है, साथ ही बीएसपी का सिंबल भी है. उनका ये भी मानना है कि बीएसपी के ट्रेडीशनल वोटर अभी भी पूर्व सीएम मायावती को अपना नेता मानते रहे हैं. ऐसे में सासाराम के अलावे जहानाबाद और झंझारपुर सीट पर बीएसपी चुनाव को त्रिकोणात्मक बना दी है."- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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Last Updated : Apr 29, 2024, 10:36 AM IST
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