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लातेहार में सुकरी नदी पर बना पुल कई गांव के लिए साबित हो रहा लाइफ लाइन, पुल निर्माण के बाद बदल गई इलाके की तस्वीर - Sukri River Bridge

Bridge on Sukri river in Latehar. लातेहार के सुकरी नदी पर बना पुल कई गांव के लोगों के लिए लाइफ लाइन साबित हो रहा है. पूर्व में पुल के अभाव में लोगों का बरसात के दिनों में जिला मुख्यालय से संपर्क कट जाता था. लेकिन अब पुल बनने से लोगों के जीवन में बदलाव आया है.

Bridge On Sukri River In Latehar
लातेहार में सुकरी नदी पर बना पुल. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 15, 2024, 1:46 PM IST

लातेहारः जिले के सुकरी नदी पर पुल बनने के बाद लगभग दो दर्जन से अधिक गांव की तस्वीर बदल गई है. पूर्व में डीही, मुरूप, नेवाड़ी, अम्बाझारन आदि गांव पहुंचने में ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी. नदी पर पुल नहीं रहने से कई गांव तक गाड़ी भी नहीं पहुंच पाती थी. ऐसे में सुकरी नदी पर बना पुल अब इलाके के ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है. अब ग्रामीणों को जिला मुख्यालय पहुंचने में परेशानी नहीं होती है. आवागमन के बेहतर संसाधन मिलने से ग्रामीणों का जीवन आसान हो गया है. साथ ही इससे विकास के रास्ते भी खुलने लगे हैं.

लातेहार में सुकरी नदी पर पुल निर्माण के बाद ग्रामीणों के जीवन में आए बदलाव पर रिपोर्ट और जानकारी देते संवाददाता राजीव कुमार. (वीडियो-ईटीवी भारत)

कई गांव टापू में हो जाते थे तब्दील

लातेहार के डीही, मुरुप, नेवाड़ी, अम्बाझारन, धोबिया झारन, मंगरा, पतरातू समेत दो दर्जन से अधिक गांव के ग्रामीणों का जीवन सुकरी नदी पर पुल बनने के बाद काफी आसान हो गया है. कुछ वर्ष पूर्व तक जब इस नदी पर पुल का निर्माण नहीं हुआ था तो यहां के ग्रामीणों को लातेहार जिला मुख्यालय जाने के लिए सोचना पड़ता था. गर्मी के दिनों में जब नदी में पानी नहीं होता था तो ग्रामीण किसी प्रकार आवागमन कर लेते थे, लेकिन बरसात के दिनों में पूरा इलाका टापू में तब्दील हो जाता था. वहीं आवागमन के बेहतर साधन नहीं रहने के कारण इलाके का विकास भी नहीं के बराबर हो पा रहा था.

विवाह के लिए रिश्ता भी आना था मुश्किल

सड़क और पुल के अभाव में ग्रामीणों की तकलीफ का आलम यह था कि इस इलाके में रहने वाले युवकों के विवाह के लिए रिश्ता आना भी मुश्किल हो गया था. रिश्ता लेकर जब कोई गांव पहुंचता था तो गांव तक पहुंचने में जर्जर सड़क और पुल के अभाव में इतनी परेशानी होती थी कि रिश्ता जुड़ने से पहले ही टूट जाता था.

आंदोलन के बाद पुल और सड़क का हुआ निर्माण

सड़क और पुल निर्माण के लिए ग्रामीणों के द्वारा लगातार कई वर्षों तक आंदोलन किया गया. इसके बाद सड़क और पुल का निर्माण पूरा हुआ. इस संबंध में ग्रामीण मुशर्रफ हुसैन, स्थानीय ग्रामीण कुलदीप राम आदि बताते हैं कि पुल निर्माण होने से उनका जीवन काफी आसान हुआ है. पुल नहीं रहने से बरसात के दिनों में पूरा गांव टापू के रूप में बदल जाता था. यदि कोई गांव से बाहर गया हो और बारिश हो गई तो फिर उसे व्यक्ति को बारिश रुकने के बाद नदी में पानी कम होने तक गांव के बाहर ही रहना पड़ता था. परंतु पुल निर्माण होने के बाद अब वे लोग आसानी से अपने गांव तक पहुंच पा रहे हैं.

दो प्रखंडों की दूरी भी हुई कम

तुबेद गांव के पास सुकरी नदी पर पुल बनने से जहां लगभग दो दर्जन गांवों के ग्रामीणों को काफी सुविधा मिली है. वहीं लातेहार जिले के हेरहंज, बालूमाथ, बरियातू आदि प्रखंडों की दूरी भी काफी कम हो गई. पुल निर्माण होने के बाद हेरहंज प्रखंड की दूरी तो अब मात्र 30 किमी रह गई है. जबकि पहले यहां के लोगों को लातेहार आने के लिए 80 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी. बेहतर सड़क और पुल निर्माण होने के बाद इलाके में विकास के रास्ते भी खुलने लगे. वर्तमान में यहां एक कोलियरी भी खुल गया है.

25 हजार से अधिक ग्रामीणों के जीवन में आई खुशहाली

एक पुल के निर्माण होने से 25000 से अधिक लोगों की जिंदगी में खुशहाली आ गई है. जरूरत इस बात की है कि इस प्रकार की योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर धरातल पर उतारा जाए, ताकि विकसित भारत की कल्पना साकार हो सके.

ये भी पढ़ें-

इनकी भी सुनो सरकार...पुल न बनने से बारिश में चार पंचायतों का टूट जाता है संपर्क, हजारों ग्रामीण होते हैं प्रभावित

लंबा इंतजार हुआ खत्म, पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू

लातेहार: 15 सालों से अधूरा है पुल, बरसात में ग्रामीणों की बढ़ जाती है परेशानी

लातेहारः जिले के सुकरी नदी पर पुल बनने के बाद लगभग दो दर्जन से अधिक गांव की तस्वीर बदल गई है. पूर्व में डीही, मुरूप, नेवाड़ी, अम्बाझारन आदि गांव पहुंचने में ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी. नदी पर पुल नहीं रहने से कई गांव तक गाड़ी भी नहीं पहुंच पाती थी. ऐसे में सुकरी नदी पर बना पुल अब इलाके के ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है. अब ग्रामीणों को जिला मुख्यालय पहुंचने में परेशानी नहीं होती है. आवागमन के बेहतर संसाधन मिलने से ग्रामीणों का जीवन आसान हो गया है. साथ ही इससे विकास के रास्ते भी खुलने लगे हैं.

लातेहार में सुकरी नदी पर पुल निर्माण के बाद ग्रामीणों के जीवन में आए बदलाव पर रिपोर्ट और जानकारी देते संवाददाता राजीव कुमार. (वीडियो-ईटीवी भारत)

कई गांव टापू में हो जाते थे तब्दील

लातेहार के डीही, मुरुप, नेवाड़ी, अम्बाझारन, धोबिया झारन, मंगरा, पतरातू समेत दो दर्जन से अधिक गांव के ग्रामीणों का जीवन सुकरी नदी पर पुल बनने के बाद काफी आसान हो गया है. कुछ वर्ष पूर्व तक जब इस नदी पर पुल का निर्माण नहीं हुआ था तो यहां के ग्रामीणों को लातेहार जिला मुख्यालय जाने के लिए सोचना पड़ता था. गर्मी के दिनों में जब नदी में पानी नहीं होता था तो ग्रामीण किसी प्रकार आवागमन कर लेते थे, लेकिन बरसात के दिनों में पूरा इलाका टापू में तब्दील हो जाता था. वहीं आवागमन के बेहतर साधन नहीं रहने के कारण इलाके का विकास भी नहीं के बराबर हो पा रहा था.

विवाह के लिए रिश्ता भी आना था मुश्किल

सड़क और पुल के अभाव में ग्रामीणों की तकलीफ का आलम यह था कि इस इलाके में रहने वाले युवकों के विवाह के लिए रिश्ता आना भी मुश्किल हो गया था. रिश्ता लेकर जब कोई गांव पहुंचता था तो गांव तक पहुंचने में जर्जर सड़क और पुल के अभाव में इतनी परेशानी होती थी कि रिश्ता जुड़ने से पहले ही टूट जाता था.

आंदोलन के बाद पुल और सड़क का हुआ निर्माण

सड़क और पुल निर्माण के लिए ग्रामीणों के द्वारा लगातार कई वर्षों तक आंदोलन किया गया. इसके बाद सड़क और पुल का निर्माण पूरा हुआ. इस संबंध में ग्रामीण मुशर्रफ हुसैन, स्थानीय ग्रामीण कुलदीप राम आदि बताते हैं कि पुल निर्माण होने से उनका जीवन काफी आसान हुआ है. पुल नहीं रहने से बरसात के दिनों में पूरा गांव टापू के रूप में बदल जाता था. यदि कोई गांव से बाहर गया हो और बारिश हो गई तो फिर उसे व्यक्ति को बारिश रुकने के बाद नदी में पानी कम होने तक गांव के बाहर ही रहना पड़ता था. परंतु पुल निर्माण होने के बाद अब वे लोग आसानी से अपने गांव तक पहुंच पा रहे हैं.

दो प्रखंडों की दूरी भी हुई कम

तुबेद गांव के पास सुकरी नदी पर पुल बनने से जहां लगभग दो दर्जन गांवों के ग्रामीणों को काफी सुविधा मिली है. वहीं लातेहार जिले के हेरहंज, बालूमाथ, बरियातू आदि प्रखंडों की दूरी भी काफी कम हो गई. पुल निर्माण होने के बाद हेरहंज प्रखंड की दूरी तो अब मात्र 30 किमी रह गई है. जबकि पहले यहां के लोगों को लातेहार आने के लिए 80 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी. बेहतर सड़क और पुल निर्माण होने के बाद इलाके में विकास के रास्ते भी खुलने लगे. वर्तमान में यहां एक कोलियरी भी खुल गया है.

25 हजार से अधिक ग्रामीणों के जीवन में आई खुशहाली

एक पुल के निर्माण होने से 25000 से अधिक लोगों की जिंदगी में खुशहाली आ गई है. जरूरत इस बात की है कि इस प्रकार की योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर धरातल पर उतारा जाए, ताकि विकसित भारत की कल्पना साकार हो सके.

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