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ब्रेन डेड हो चुके साहिबगंज के आदिवासी युवक ने किया किडनी दान, किडनी प्रत्यारोपण से दो लोगों को मिला जीवनदान

Brain dead tribal youth donated his kidney. साहिबगंज का एक आदिवासी युवक मरने के बाद भी अमर हो गया है. मरने के बाद उसकी दोनों किडनियां दान कर दी गई. जिससे दो लोगों को जीवनदान मिला है.

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Tribal Youth Donated His Kidney
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 7, 2024, 9:33 PM IST

मृतक आदिवासी युवक का शव पहुंचा गांव और जानकारी देते परिजन.

साहिबगंज: जिले के बरहेट प्रखंड के पचकठिया स्थित रक्सो गांव निवासी 40 वर्षीय रायला सोरेन मरने के बाद भी दो लोगों को जिंदगी दे गया. उसके इस कार्य की चहुंओर प्रशंसा हो रही है. रायला ने अपनी दो किडनी दो लोगों को दान दे दिया. रायला सोरेन के इस सराहनीय कार्य ने उसे अमर बना दिया है. लोग यह बात जानकर हैरान हैं. लोगों ने कहा कि आदिवासी की सोच काफी बड़ी है.

गोवा में सड़क हादसे का शिकार हुआ था रायलाः बरहेट के पंचकठिया का रहने वाला रायला पांच माह पूर्व मजदूरी करने के लिए गोवा गया था. रायला वहां टैक्सी चलाता था. इसी दौरान वह सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था. उसके साथियों ने उसे गोवा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था. जहां डॉक्टर ने सिर में चोट अधिक लगने से चार फरवरी को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था.

परिजनों की सहमति पर किया गया अंगदानः घटना के बाद गोवा की संस्था ने झारखंड के बरहेट में रहने वाले रायला के परिजनों से बात करने का प्रयास किया था. भाषाई समस्या के कारण संस्था के लोगों को बात करने में परेशानी हो रही थी. इसके बाद अनुवादक के सहयोग से परिजनों को मामले की जानकारी दी गई और रायला परिजनों को गोवा अपने खर्च पर बुलाया गया. संस्था ने परिजनों को बताया कि रायला की हालत बेहद गंभीर है. लेकिन रायला की दोनों किडनी ठीक है. उसकी किडनी से किसी की जान बचाई जा सकती है. अंगदान के लिए संस्था के लोगों और चिकित्सकों ने परिजनों से पूछा. इसपर रायला के भाई ने सहमति दे दी.इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने रायला सोरेन की किडनी निकालकर प्रत्यारोपण किया. जिन दो मरीजों की किडनी दी गई उनमें एक 26 साल का है दूसरा 36 साल का मरीज है.

शव गांव पहुंचते ही मचा कोहरामः वहीं बुधवार को रायला का शव पैतृक गांव लाया गया. शव गांव पहुंचते ही परिजनों में चीख-पुकार मच गई. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. मृतक रायला सोरेन अपने पीछे पत्नी के साथ 15 साल की एक बेटी, 12 और 10 साल का दो बेटा और माता-पिता सहित भरापूरा परिवार छोड़ गया है. रायला के भाई ने बताया कि शव गांव तक लाने का पूरा खर्च गोवा की संस्था ने दिया है. रायला की किडनी दान कर दिया गया है. भाई की हालत खराब थी, वह वैसे भी मर जाता. उसकी किडनी से दो लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती थी. इस कारण उसकी दोनों किडनी दान कर दिया.

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मृतक आदिवासी युवक का शव पहुंचा गांव और जानकारी देते परिजन.

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गोवा में सड़क हादसे का शिकार हुआ था रायलाः बरहेट के पंचकठिया का रहने वाला रायला पांच माह पूर्व मजदूरी करने के लिए गोवा गया था. रायला वहां टैक्सी चलाता था. इसी दौरान वह सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था. उसके साथियों ने उसे गोवा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था. जहां डॉक्टर ने सिर में चोट अधिक लगने से चार फरवरी को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था.

परिजनों की सहमति पर किया गया अंगदानः घटना के बाद गोवा की संस्था ने झारखंड के बरहेट में रहने वाले रायला के परिजनों से बात करने का प्रयास किया था. भाषाई समस्या के कारण संस्था के लोगों को बात करने में परेशानी हो रही थी. इसके बाद अनुवादक के सहयोग से परिजनों को मामले की जानकारी दी गई और रायला परिजनों को गोवा अपने खर्च पर बुलाया गया. संस्था ने परिजनों को बताया कि रायला की हालत बेहद गंभीर है. लेकिन रायला की दोनों किडनी ठीक है. उसकी किडनी से किसी की जान बचाई जा सकती है. अंगदान के लिए संस्था के लोगों और चिकित्सकों ने परिजनों से पूछा. इसपर रायला के भाई ने सहमति दे दी.इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने रायला सोरेन की किडनी निकालकर प्रत्यारोपण किया. जिन दो मरीजों की किडनी दी गई उनमें एक 26 साल का है दूसरा 36 साल का मरीज है.

शव गांव पहुंचते ही मचा कोहरामः वहीं बुधवार को रायला का शव पैतृक गांव लाया गया. शव गांव पहुंचते ही परिजनों में चीख-पुकार मच गई. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. मृतक रायला सोरेन अपने पीछे पत्नी के साथ 15 साल की एक बेटी, 12 और 10 साल का दो बेटा और माता-पिता सहित भरापूरा परिवार छोड़ गया है. रायला के भाई ने बताया कि शव गांव तक लाने का पूरा खर्च गोवा की संस्था ने दिया है. रायला की किडनी दान कर दिया गया है. भाई की हालत खराब थी, वह वैसे भी मर जाता. उसकी किडनी से दो लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती थी. इस कारण उसकी दोनों किडनी दान कर दिया.

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