पटना : बिहार में TRE 3.0 का कथित पेपर लीक का मामला मिनट टू मिनट के चक्कर में फंसकर रह गया है. BPSC ने EOU से पेपर लीक के संबंध में पुख्ता सबूत मांगा है. आयोग का कहना है कि पेपर लीक के संबंध में ईओयू ने आयोग को 15 मार्च को दोपहर 2:30 बजे प्रथम जानकारी दी. इस समय तक पहले शिफ्ट की परीक्षा समाप्त हो गई थी और दूसरे शिफ्ट की परीक्षा शुरू हो गई थी. वहीं आयोग ने कहा है कि 15 मार्च की सुबह होटल में जो छात्र सवालों के उत्तर रटते हुए पकड़े गए, वहां प्राप्त हुए प्रश्न पत्र हूबहू परीक्षा में पूछे गए प्रश्न पत्र से मिल रहे थे. अब आयोग ने पेपर लीक के संबंध में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए ईओयू से कहा है.
ईओयू से एविडेंस की डिमांड : इस पूरे प्रकरण पर छात्र नेता दिलीप ने कहा कि ''बीपीएससी सामान्य भाषा में कहें तो थेथरई कर रहा है. परीक्षा के 5 दिन बाद भी यदि पता चलता है और साक्ष्य मिलते हैं कि पेपर लीक हुआ है तो परीक्षा रद्द होना चाहिए.'' उन्होंने हाथों में एविडेंस दिखाते हुए कहा कि ''उनके पास इसके पर्याप्त सबूत हैं कि सीएमओ बिहार को 1:15 पर दूसरे चरण की परीक्षा का प्रश्न पत्र अभ्यर्थियों ने भेजा था और आयोग को भी भेजा था. सीएमओ की ओर से शाम 5:30 बजे अभ्यर्थी के भेजे गए प्रश्न पत्र को आयोग को फॉरवर्ड किया गया. प्रश्न पत्र वही थे जो परीक्षा में पूछे गए थे. अभ्यर्थी ने जब 1:15 में इसकी सूचना दे दी थी तो आयोग कैसे कह सकता है कि पेपर लीक से संबंधित जानकारी उसे ढाई बजे प्राप्त हुई.''
छात्र नेताओं ने उठाए सवाल : छात्र नेता दिलीप ने बताया कि 15 मार्च को दो शिफ्ट में परीक्षा थी और ईओयू ने अपने जांच रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि 15 मार्च के विभिन्न पालियों के प्रश्न पत्र लीक हुए हैं. उन्होंने कहा कि आयोग के जो नए अध्यक्ष आए हैं उन्हें इस बात की भनक लग गई है कि आयोग के भीतर कहीं कोई आदमी इसमें शामिल है. बिना आयोग के मिली भगत के प्रश्न पत्र वायरल नहीं हो सकता और इसकी भनक तीन-चार दिन पहले ही अभ्यर्थियों को लग गई थी. अभ्यर्थियों के पास पैसे से ओरिजिनल क्वेश्चन देने का प्रलोभन दिया जाने लगा था. जिसके बाद अभ्यर्थियों ने शिकायत किया तो आर्थिक अपराध इकाई ने काफी सक्रिय रूप से जांच करते हुए पेपर लीक के गिरोह को पकड़ा. 270 अभ्यर्थी इस मामले में जेल में है और आयोग अभी भी मानने को तैयार नहीं है.
पेपर रद्द करने की मांग : दिलीप ने कहा कि जो जानकारी मिल रही है शिक्षा माफिया पेपर को रद्द नहीं कराने के लिए सीएम हाउस में पर भी करनी शुरू कर दी है. शिक्षा माफियाओं को करोड़ों की चपत लग रही है और इस वजह से ईओयू के जांच को रुकवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना शुरू है. आयोग ईओयू जांच पर सवाल इसलिए उठा रहा है ताकि आयोग के अंदर के लोग पकड़े नहीं जाएं और दोबारा इस प्रकार के पेपर लीक में आयोग पर कोई सवाल नहीं उठाए.
क्या कहते हैं वकील : वहीं, पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिकता डॉ हरेंद्र नाथ ओझा ने बताया कि बीपीएससी को जांच एजेंसी से साक्ष्य मांगने के अधिकार ही नहीं है. कोर्ट भी जांच एजेंसी के रिपोर्ट को मानता है. बीपीएससी ने परीक्षा कराया है, जांच एजेंसी को जांच में यदि पेपर लीक के सबूत मिले हैं तो आयोग को वह बता सकता है कि पेपर लीक हुआ है. आगे परीक्षा रद्द होगी या नहीं होगी यह आयोग का फैसला होगा. इस मामले में संबंधित थाने में मामला दर्ज हुआ होगा, ईओयू ने अपने विज्ञप्ति में केस संख्या को भी बताया है. ऐसे में जितने साक्ष्य हैं उसे जांच एजेंसी कोर्ट में ही पेश कर सकती है.
''आयोग अथवा किसी अन्य के द्वारा साक्ष्य मांगने पर साक्ष्य देने का भी ईओयू को अधिकार नहीं है. जांच एजेंसी ने मामला दर्ज किया है, जांच किया है तो सब कुछ रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया जाता है. इस रिपोर्ट के आधार पर यदि कोर्ट को लगता है की परीक्षा को रद्द किया जाना चाहिए तो आयोग को वह परीक्षा रद्द करने के लिए निर्देशित कर सकता है.'' - डॉ हरेन्द्र नाथ ओझा, वरिष्ठ अधिवक्ता
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