पटना: राजधानी पटना की प्रियांगी मेहता ने बीपीएससी 68वीं की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर पिछले दिनों काफी चर्चा में रही थी. पूरे प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गयी थी कि कैसे 22 वर्षीय लड़की ने पहले ही प्रयास में बीपीएससी टॉपर बनी. परीक्षा के लिए आवेदन के समय प्रियांगी की उम्र 21 वर्ष से कम थी इस कारण उसे डीएसपी और एसडीएम का पोस्ट नहीं मिला. रिवेन्यू सर्विसेज के लिए उसका चयन हुआ. लेकिन, प्रियांगी ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट में योगदान नहीं किया क्योंकि उनका सपना कुछ और था.
यूपीएससी को लेकर थी कांफिडेंटः प्रियांगी का जब बीपीएससी का रिजल्ट आया तब उस समय यूपीएससी मेंस क्लियर हो चुका था. इंटरव्यू का इंतजार कर रही थी. प्रियांगी अपनी मेहनत और तैयारी पर इतनी कॉन्फिडेंट थी कि उसे पूरा भरोसा था कि यूपीएससी क्वालीफाई कर जाएगी. हुआ भी यही और प्रियांगी ने इस बार यूपीएससी में 261 वां स्थान प्राप्त कर देश के सबसे प्रतिष्ठित सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता को क्वालीफाई किया है. प्रियांगी मेहता ने बताया कि बीपीएससी या यूपीएससी, उसने प्रीलिम्स और मेंस परीक्षा के लिए कोई ट्यूशन कोचिंग नहीं की थी. सेल्फ स्टडी के बूते ही यह उपलब्धि हासिल की है. इंटरव्यू के लिए जरूर कुछ यूट्यूब सेशंस देखें. कुछ सीनियर्स का मार्गदर्शन लिया जो उनके लिए सही रहा है.
मेहनत करना जरूरू है: प्रियांगी ने बताया कि जो रैंक है उसके अनुसार आईपीएस मिल सकता है. उसने बताया कि जो मिलेगा उसे ज्वाइन करेगी फिर उसके बाद आगे के लक्ष्य को वह निर्धारित करेगी. उन्होंने बताया कि जब यूपीएससी की तैयारी शुरू होती है तो उसे समय दिमाग में बहुत कुछ चल रहा होता है. यूपीएससी बहुत आकर्षित करता है. लेकिन जैसे रिजल्ट आता है एक जिम्मेदारी भी आ जाती है जो सामाजिक जिम्मेदारी होती है. घर परिवार में सभी गौरवान्वित महसूस कर रहे है. जो सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उन अभ्यर्थियों को सलाह देते हुए कहा कि मेहनत जरूरी है.
"यह सब एक दिन में नहीं होता है. इसके लिए निरंतर प्रयास करना होता है. लगातार मेहनत जरुरी है. एनसीईआरटी पर कमांड करें. खुद को लेकर मोटिवेटेड रहें और अपने सोचने समझने की तार्किक शक्ति को विकसित करें. अधिक से अधिक लिखने की आदत डालें और अपनी बातों को स्पष्ट रूप से लिखने की कला सीखें."- प्रियांगी मेहता, सफल अभ्यर्थी, यूपीएससी
बेटी को शिक्षित बनाएंः प्रियांगी मेहता के पिता मिथिलेश कुमार ने बताया कि वह कंप्यूटर रिपेयरिंग शॉप चलते हैं. साल 2018 में उनकी बेटी आर्ट्स स्ट्रीम में बिहार बोर्ड की सेकंड स्टेट टॉपर बनी थी. बीपीएससी में टॉप करने के बाद भी बेटी का लक्ष्य यूपीएससी था तो उसने बीपीएससी को ज्वाइन नहीं किया. तब ना ही उन्होंने और घर परिवार के सदस्यों ने उसे ज्वाइन करने के लिए दबाव बनाया. उनकी तीन बेटियां हैं और प्रियांगी सबसे बड़ी है. वह बेटा बेटी में फर्क नहीं करते हैं और समाज में जिन लोगों की बेटियां हैं उन अभिभावकों को कहेंगे कि बेटी के शादी विवाह की चिंता छोड़िए. अपनी बेटी को पढ़ा लिखा कर सशक्त बनाएं.
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