रुद्रप्रयाग: विश्व विख्यात केदारनाथ धाम की यात्रा पर पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों को पैदल मार्ग पर आवाजाही करने में किसी भी प्रकार का सामना न करना पड़े, इसके लिये रात के समय प्रशासन के मजदूर पैदल मार्ग को दुरूस्त करने में लगे हुये हैं. ग्लेशियरों पर जो बड़े-बड़े बोल्डर अटके हुये हैं, उनको मशीनों से काटा जा रहा है. ताकि बर्फ पिघलने पर ये बोल्डर किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचाये.
केदारनाथ धाम की यात्रा में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है. सबसे अधिक तीर्थ यात्री पैदल मार्ग से यात्रा कर रहे हैं. तीन लाख से अधिक तीर्थ यात्री पैदल आवाजाही करके अभी तक बाबा केदार के दर्शनों को पहुंचे हैं. कपाट खुलने से पहले शीतकाल में धाम सहित पैदल मार्ग पर जमकर बर्फबारी हुई थी. कपाट खुलने से पहले गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ धाम तक बर्फ को काटकर रास्ता तैयार किया गया था. पैदल मार्ग पर कुबेर ग्लेशियर अब पिघलना शुरू हो गया है. ग्लेशियर पर पहाड़ी से आये बोल्डर अटके हुये हैं. बर्फ पिघलने पर ग्लेशियर में अटके बोल्डर नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में प्रशासन के मजदूर ग्लेशियर पर अटके बोल्डरों को काटकर हटाने का कार्य कर रहे हैं. यह कार्य रात के समय किया जा रहा है. दिन के समय इस ग्लेशियर पर दोनों छोर से सुरक्षा जवानों को तैनात किया गया है, ताकि किसी भी यात्री को कोई दिक्कत न हो.
ग्लेशियर पर भारी-भरकम बोल्डर अटके हुये हैं. इन बोल्डरों को हटाने के लिये एक साथ कई मजदूरों की जरूरत पड़ रही है. इतना ही नहीं कई बोल्डर, इतने भारी हैं कि इनकों मशीन के जरिये काटा जा रहा है. रात के समय पैदल मार्ग पर तीर्थ यात्रियों की आवाजाही कम होती है, इसलिये रात को ही बोल्डर हटाने का कार्य किया जा रहा है. :डेंजर प्वाइंटों पर मुस्तैदी से जुटे श्रमिक जुटे हुए हैं.