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हाईकोर्ट से खालिस्तान जिंदाबाद लिखने वाले दोनों आरोपियों को मिली जमानत - Rajasthan High Court

Rajasthan High Court, राजस्थान हाईकोर्ट ने हनुमानगढ़ में सार्वजनिक स्थान पर एक दीवार पर खालिस्तान जिंदाबाद का नारा लिखने वाले दो आरोपियों की जमानत याचिका मंजूर कर ली. साथ ही दोनों को रिहा करने का आदेश दिया.

Rajasthan High Court
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 7, 2024, 10:26 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हनुमानगढ़ में सार्वजनिक स्थान पर एक दीवार पर खालिस्तान जिंदाबाद का नारा लिखने वाले दो आरोपियों की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ में आरोपी लवप्रीत सिंह व हरमनप्रीत सिंह की ओर से जमानत याचिका पेश की गई थी. खालिस्तान जिंदाबाद का नारा लिखने वाले दोनों आरोपी कथित तौर पर सिख फॉर जस्टिस के कार्यकर्ता हैं.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह समक्ष नहीं आता है कि आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के दंडात्मक प्रावधान कैसे लागू किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के अपराध के बारे में अनुमान लगाने के लिए कोई ठोस परिस्थितियां भी उपलब्ध नहीं है. पुलिस ने मूल रूप से पंजाब के रहने वाले आरोपियों पर आईपीसी की धारा 153-ए (सांप्रदायिक वैमनस्यता को बढ़ावा देना), 153-बी (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक) और 505 (सार्वजनिक उपद्रव फैलाने वाले बयान) और धारा 10 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

इसे भी पढ़ें - पत्नी पर सवार था रील्स का भूत, भद्दे कमेंट्स से परेशान पति ने की खुदकुशी - Suicide On Making Reels

दरअसल, गैरकानूनी संघ का सदस्य होने के लिए जुर्माना और यूएपीए की धारा 13(1)(ए) गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा और आईटी अधिनियम की धारा 66-एफ साइबर आतंकवाद के लिए सजा है. दोनों आरोपियों की ओर से अधिवक्ता अमित गौड़ ने याचिका पेश करते हुए पैरवी की.

कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अवधारणा पर पुलिस को उचित संयम रखना आवश्यक हैं. उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिए. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रायल लंबा चलने की संभावना है. ऐसे में इनको लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हनुमानगढ़ में सार्वजनिक स्थान पर एक दीवार पर खालिस्तान जिंदाबाद का नारा लिखने वाले दो आरोपियों की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ में आरोपी लवप्रीत सिंह व हरमनप्रीत सिंह की ओर से जमानत याचिका पेश की गई थी. खालिस्तान जिंदाबाद का नारा लिखने वाले दोनों आरोपी कथित तौर पर सिख फॉर जस्टिस के कार्यकर्ता हैं.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह समक्ष नहीं आता है कि आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के दंडात्मक प्रावधान कैसे लागू किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के अपराध के बारे में अनुमान लगाने के लिए कोई ठोस परिस्थितियां भी उपलब्ध नहीं है. पुलिस ने मूल रूप से पंजाब के रहने वाले आरोपियों पर आईपीसी की धारा 153-ए (सांप्रदायिक वैमनस्यता को बढ़ावा देना), 153-बी (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक) और 505 (सार्वजनिक उपद्रव फैलाने वाले बयान) और धारा 10 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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दरअसल, गैरकानूनी संघ का सदस्य होने के लिए जुर्माना और यूएपीए की धारा 13(1)(ए) गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा और आईटी अधिनियम की धारा 66-एफ साइबर आतंकवाद के लिए सजा है. दोनों आरोपियों की ओर से अधिवक्ता अमित गौड़ ने याचिका पेश करते हुए पैरवी की.

कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अवधारणा पर पुलिस को उचित संयम रखना आवश्यक हैं. उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिए. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रायल लंबा चलने की संभावना है. ऐसे में इनको लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है.

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