जबलपुर. लोकायुक्त की टीम ने जबलपुर के गोरा बाजार (Gorabazaar) पुलिस चौकी के प्रधान आरक्षक उर्मिलेश ओझा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा है. प्रधान आरक्षक संपत्ति संबंधी मामले में पीड़ित से एक लाख रुपए की रिश्वत की मांग कर रहा था. पीड़ित संदीप यादव ने पैसे देने की बजाय लोकायुक्त में इसकी शिकायत कर दी. इसके बाद लोकायुक्त (Lokayukta jabalpur) ने उर्मिलेश को पकड़ने की योजना बनाई और उसे 40 हजार रु की रिश्वत लेते हुए पकड़ा लिया.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 5 साल पहले जबलपुर के तिलहरी में संदीप यादव ने राजेंद्र जायसवाल को एक जमीन बेची थी. सौदे के मुताबिक राजेंद्र जायसवाल को पैसा देकर जमीन को अपने नाम ट्रांसफर करवाना था, लेकिन राजेंद्र जायसवाल ने ऐसा नहीं किया और उन्होंने संदीप यादव के साथ एक एग्रीमेंट किया. इस एग्रीमेंट की मियाद 3 साल की थी लेकिन राजेंद्र जायसवाल 3 साल में संदीप यादव से जमीन नहीं खरीद पाए. लिहाजा एग्रीमेंट अपने आप समाप्त हो गया. लेकिन राजेंद्र जायसवाल ने जमीन पर कब्जा जमाने के लिए संदीप यादव के खिलाफ गोरा बाजार चौकी में एक शिकायती पत्र दिया. इसके बाद गोरा बाजार पुलिस के प्रधान आरक्षक उर्मिलेश ओझा ने संदीप यादव को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया.
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प्रधान आरक्षक ने किया ब्लैकमेल, मांगी रिश्वत
शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त में शिकायत की कि प्रधान आरक्षक उर्मिलेश ओझा उसके पास पहुंचा और कहा कि वह 1 लाख रु दे नहीं तो उसके खिलाफ धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर दिया जाएगा. इससे तंग आकर संदीप यादव ने जबलपुर लोकायुक्त को मामले में एक शिकायती पत्र दिया. लोकायुक्त के प्लान के मुताबिक संदीप उर्मलेश ओझा को रिश्वत देने गोरा बाजार चौकी के पास पहुंचे और तभी लोकायुक्त टीम ने उर्मलेश ओझा को पकड़ लिया.