जयपुर. बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा के साथ सियासी पारा गर्म हो गया है. कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई तो बीजेपी के नेताओं ने उनके बयान पर तीखा हमला बोला. भाजपा नेता ने रंधावा को इतिहास याद दिलाते हुए कहा कि वो नेहरू, इंदिरा गांधी और प्रणव मुखर्जी के इतिहास को कैसे भूल गए?
दुर्भाग्यजनक और शर्मनाक : भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर कहा कि कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर जो विवादित टिप्पणी की है, वो अत्यन्त दुर्भाग्यजनक और शर्मनाक है. राठौड़ ने रंधावा से पूछा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए स्वयं को ही भारत रत्न से सम्मानित करने का जो अनूठा कीर्तिमान रचा था, तब तो वे जीवित थे न? क्या इसमें कोई संदेह है आपको? आप नेहरू और इंदिरा गांधी के इतिहास को कैसे भूल गए? खुद को खुद की ओर से ही भारत रत्न देना कांग्रेस राज में ही संभव था जो अब समाप्त हो गया है. देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' को लेकर ऐसी टिप्पणी कांग्रेस पार्टी के गिरते स्तर और घटिया मानसिकता को प्रदर्शित करती है.
इतिहास कैसे भूल गए ? : पूर्व राज्यसभा सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता नारायण पंचारिया ने कहा कि कांग्रेस अभी तक भी अपनी हार से उबरी नहीं है. राजस्थान में नहीं बल्कि देश की जनता ने उन्हें नकार दिया. कांग्रेस के नेताओं को अपना ज्ञानवर्धन कर लेना चाहिए, इतिहास उठाकर देख लेना चाहिए. उन्होंने एक तरह अपमान किया है. भारत रत्न किसको दिया जाता है, उन्हें पता नहीं है क्या? ऐसे लोगों पर तरस आता है जो अपने आप को पार्टी के नेता बताते हैं. इससे पहले प्रणव मुखर्जी को सम्मानित किया गया, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी को भी सम्मानित किया गया. क्या इस इतिहास को भूल गए ? पंचारिया ने कहा कि उनकी इस तरह की सोच पर मन में तकलीफ होती है. उन्हें अपने ज्ञान का वर्धन करना चाहिए.
बुद्धि पर तरस आता है : पूर्व कैबिनेट मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रहे अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी को जिस प्रकार का योगदान रहा है, अलग-अलग पदों पर काम किया है, कई महत्वपूर्ण कामों में उन्होंने भूमिका निभाई है, ये तो हमारे लिए गौरव की बात होनी चाहिए. चतुर्वेदी ने कहा कि किसी भी कानून में यह नहीं लिखा हुआ कि केवल मृत व्यक्ति को ही भारत रत्न दिया जाए, इस तरह का बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण है. उधर यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि भारत रत्न का सम्मान सर्वश्रेष्ठ सम्मान है. 1955 में जवाहरलाल नेहरू को भारत रत्न दिया गया था, उस समय वो जीवित थे. 1971 में इंदिरा गांधी को भारत रत्न दिया गया, उस समय वो भी जीवित थीं. मृत व्यक्ति को ही भारत रत्न दिए जाने का प्रावधान नहीं है, कांग्रेस के बड़े नेताओं की इस प्रकार की सोच है, उनकी बुद्धि पर तरस आने के अलावा कुछ नहीं हो सकता.
ये कहा था रंधावा ने : बता दें कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने रविवार को लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने को लेकर टिप्पणी की थी. रंधावा ने कहा था कि भाजपा वालों को राम मंदिर से इतना ही लगाव था तो राम मंदिर के लिए रथयात्रा निकालने वाले लालकृष्ण आडवाणी को प्राण- प्रतिष्ठा में लेकर जाते. अब कह रहे हैं कि आडवाणी को भारत रत्न दे दो, यह तो मरे हुए को देते हैं.