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जंगली मुर्गे के कारण विरोधियों के निशाने पर आ गए सीएम सुक्खू, जानिए किसने क्या कहा - JUNGLI MURGA CONTROVERSY

जंगली मुर्गा विवाद पर बीजेपी ने सीएम सुक्खू को जमकर घेरा. वहीं, मुख्यमंत्री ने इस मामले पर अपना पक्ष रखा है.

जंगली मुर्गा विवाद बीजेपी के निशाने पर सीएम सुक्खू
जंगली मुर्गा विवाद बीजेपी के निशाने पर सीएम सुक्खू (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 14, 2024, 7:40 PM IST

Updated : Dec 14, 2024, 8:48 PM IST

शिमला: अभी चंद दिन पहले समोसे की आंच से बचकर निकले सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की राजनीतिक कुंडली में अब जंगली मुर्गा बैठ गया है. सोशल मीडिया पर हिमाचल में समोसे के बाद आज सुबह से एक ही नाम सुनाई पड़ रहा है वो है जंगली मुर्गा. जंगलों में रहना वाला गुमनाम सा पक्षी आज प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गया.

जंगली मुर्गे को लेकर बीजेपी सीएम सुक्खू को घेर रही है तो वहीं, सीएम सुक्खू इस पर आज दो बार कह चुके हैं कि वो जंगली नहीं देसी मुर्गा था. सीएम यहां तक कह चुके हैं कि वो शाकाहारी हैं और मांसाहार नहीं करते है, लेकिन बीजेपी सीएम सुक्खू पीछे-पीछे जंगली मुर्गे को लेकर घूम रही है. बीजेपी अब इस जंगली मुर्गे को राजनीतिक तौर पर रोस्ट करने में लगी है.

जंगली मुर्गा विवाद बीजेपी के निशाने पर सीएम सुक्खू (ETV BHARAT)

राजेंद्र राणा ने कसा तंज

सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि, 'मुख्यमंत्री बीते दिन शिमला जिला के ग्रामीण क्षेत्र में जन समस्याएं सुनने गए थे. इसी दौरान रात के समय मुख्यमंत्री को भोजन में जंगली मुर्गा परोसा गया. इस दौरान मुख्यमंत्री अन्य लोगों को जंगली मुर्गा खाने के प्रेरित कर रहे हैं...मुर्गा आया है और इसका आनंद लीजिए. प्रदेश की सरकार समोसे और जंगली मुर्गों के बीच में उलझ कर रह गई है. मुर्गों को मार कर आनंद लिया जा रहा है. वन संरक्षण अधिनियम के तहत किसी भी जंगली जानवर को मारना गैर कानूनी है और उसमें सजा का भी प्रावधान है.'

सुधीर शर्मा ने घेरा

बीजेपी विधायक ने कहा कि, 'ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री का अपना ही वीडियो सामने आया है, जिसमें वो कह रहे हैं जंगली मुर्गा बना हुआ है और वो परोसा जा रहा है. वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 के तहत इसके शिकार को दंडनीय माना गया है. हमारी संस्कृति में भी माना गया है कि रेड जंगली फाउल (जंगली मुर्गा) इस स्पीशीज की सबसे पुरानी प्रजाति है. इससे ही बाकी प्रजातियां निकली हैं. चीफ वाइल्ड लाफ वॉर्डन को इसपर एक्शन लेना चाहिए. भारत सरकार की एक नोटिफिकेश भी इस पर निकली है. नीतिन गडकरी की अध्यक्षता में इस पर एक कमेटी बनी थी, इसमे ये माना गया था कि ये संरक्षित प्रजाति है. धार्मिक आस्था भी इससे जुड़ी है. दक्षिण भारत में मंदिरों के बाहर इसकी पूजा की जाती है. प्रदेश के मुखिया ऐसी चीजों को प्रोत्साहन देंगे तो किस तरह से हमारी वन संपदा सुरक्षित रहेगी और इस रवैये से प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंच रहा है. ये अपने आप में निंदा का विषय है. माननीय उच्च न्यायालय को इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए.'

सीएम सुक्खू ने दी सफाई

वहीं, सीएम सुक्खू ने इस मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि, 'मैं वहां मुर्गा खाने नहीं लोगों की समस्या सुनने गया था. जो चीज हुई ही नहीं उसके बारे में क्या कहें. जंगली का मतलब गांव का देसी मुर्गा था. नॉनवेज भोजन पहाड़ के जीवन का अहम हिस्सा है. ग्रामीणों ने देसी मुर्गा बनाया था. मुझे भी इसे परोस रहे थे. मैं तो ये नहीं खाता. बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है. कभी ये समोसा, कभी टॉयलेट टैक्स और अब मुर्गे का मुद्दा पता नहीं कहां से ले आए.'

क्या है मामला

दरअसल 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शिमला जिले के दुर्गम इलाके कुपवी में पहुंचे थे. टिकरी गांव में सीएम का रात्रि विश्राम और भोजन की व्यवस्था भी थी. यहां पर हुए रात्रि भोजन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में सीएम सुक्खू और कर्नल धनीराम शांडिल जमीन पर बैठे भोजन कर रहे हैं. इसी बीच वीडियो में जंगली मुर्गे शब्द सुनाई देता है. हालांकि वीडियो में नजर आ रहा है कि सीएम और कर्नल धनीराम शांडिल मुर्गा खाने से इन्कार कर देते हैं. इस वीडियो के वायरल होने के बाद बीजेपी ने आरोप लगाया कि सीएम के रात्रि ठहराव के दौरान डिनर में जंगली मुर्गा परोसा गया है, जबकि जंगली मुर्गे को मारने पर प्रतिबंध हैं.

ये भी पढ़ें: ये भी पढ़ें: मुख्यमंत्री के डिनर में जंगली मुर्गा, मचा सियासी बवाल, बीजेपी बोली माफी मांगों, सीएम ने कहा- बदनाम करने की साजिश

ये भी पढ़ें: समोसे के बाद जंगली मुर्गे पर घिर गए सीएम सुक्खू, बीजेपी ने सोशल मीडिया पर उठा दिया 'तूफान'

शिमला: अभी चंद दिन पहले समोसे की आंच से बचकर निकले सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की राजनीतिक कुंडली में अब जंगली मुर्गा बैठ गया है. सोशल मीडिया पर हिमाचल में समोसे के बाद आज सुबह से एक ही नाम सुनाई पड़ रहा है वो है जंगली मुर्गा. जंगलों में रहना वाला गुमनाम सा पक्षी आज प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गया.

जंगली मुर्गे को लेकर बीजेपी सीएम सुक्खू को घेर रही है तो वहीं, सीएम सुक्खू इस पर आज दो बार कह चुके हैं कि वो जंगली नहीं देसी मुर्गा था. सीएम यहां तक कह चुके हैं कि वो शाकाहारी हैं और मांसाहार नहीं करते है, लेकिन बीजेपी सीएम सुक्खू पीछे-पीछे जंगली मुर्गे को लेकर घूम रही है. बीजेपी अब इस जंगली मुर्गे को राजनीतिक तौर पर रोस्ट करने में लगी है.

जंगली मुर्गा विवाद बीजेपी के निशाने पर सीएम सुक्खू (ETV BHARAT)

राजेंद्र राणा ने कसा तंज

सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि, 'मुख्यमंत्री बीते दिन शिमला जिला के ग्रामीण क्षेत्र में जन समस्याएं सुनने गए थे. इसी दौरान रात के समय मुख्यमंत्री को भोजन में जंगली मुर्गा परोसा गया. इस दौरान मुख्यमंत्री अन्य लोगों को जंगली मुर्गा खाने के प्रेरित कर रहे हैं...मुर्गा आया है और इसका आनंद लीजिए. प्रदेश की सरकार समोसे और जंगली मुर्गों के बीच में उलझ कर रह गई है. मुर्गों को मार कर आनंद लिया जा रहा है. वन संरक्षण अधिनियम के तहत किसी भी जंगली जानवर को मारना गैर कानूनी है और उसमें सजा का भी प्रावधान है.'

सुधीर शर्मा ने घेरा

बीजेपी विधायक ने कहा कि, 'ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री का अपना ही वीडियो सामने आया है, जिसमें वो कह रहे हैं जंगली मुर्गा बना हुआ है और वो परोसा जा रहा है. वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 के तहत इसके शिकार को दंडनीय माना गया है. हमारी संस्कृति में भी माना गया है कि रेड जंगली फाउल (जंगली मुर्गा) इस स्पीशीज की सबसे पुरानी प्रजाति है. इससे ही बाकी प्रजातियां निकली हैं. चीफ वाइल्ड लाफ वॉर्डन को इसपर एक्शन लेना चाहिए. भारत सरकार की एक नोटिफिकेश भी इस पर निकली है. नीतिन गडकरी की अध्यक्षता में इस पर एक कमेटी बनी थी, इसमे ये माना गया था कि ये संरक्षित प्रजाति है. धार्मिक आस्था भी इससे जुड़ी है. दक्षिण भारत में मंदिरों के बाहर इसकी पूजा की जाती है. प्रदेश के मुखिया ऐसी चीजों को प्रोत्साहन देंगे तो किस तरह से हमारी वन संपदा सुरक्षित रहेगी और इस रवैये से प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंच रहा है. ये अपने आप में निंदा का विषय है. माननीय उच्च न्यायालय को इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए.'

सीएम सुक्खू ने दी सफाई

वहीं, सीएम सुक्खू ने इस मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि, 'मैं वहां मुर्गा खाने नहीं लोगों की समस्या सुनने गया था. जो चीज हुई ही नहीं उसके बारे में क्या कहें. जंगली का मतलब गांव का देसी मुर्गा था. नॉनवेज भोजन पहाड़ के जीवन का अहम हिस्सा है. ग्रामीणों ने देसी मुर्गा बनाया था. मुझे भी इसे परोस रहे थे. मैं तो ये नहीं खाता. बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है. कभी ये समोसा, कभी टॉयलेट टैक्स और अब मुर्गे का मुद्दा पता नहीं कहां से ले आए.'

क्या है मामला

दरअसल 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शिमला जिले के दुर्गम इलाके कुपवी में पहुंचे थे. टिकरी गांव में सीएम का रात्रि विश्राम और भोजन की व्यवस्था भी थी. यहां पर हुए रात्रि भोजन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में सीएम सुक्खू और कर्नल धनीराम शांडिल जमीन पर बैठे भोजन कर रहे हैं. इसी बीच वीडियो में जंगली मुर्गे शब्द सुनाई देता है. हालांकि वीडियो में नजर आ रहा है कि सीएम और कर्नल धनीराम शांडिल मुर्गा खाने से इन्कार कर देते हैं. इस वीडियो के वायरल होने के बाद बीजेपी ने आरोप लगाया कि सीएम के रात्रि ठहराव के दौरान डिनर में जंगली मुर्गा परोसा गया है, जबकि जंगली मुर्गे को मारने पर प्रतिबंध हैं.

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Last Updated : Dec 14, 2024, 8:48 PM IST
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