रांची: सदन में मुख्यमंत्री से जवाब की मांग को लेकर विपक्षी दलों के विधायकों का आंदोलन जारी है. भाजपा और आजसू के विधायक सरकार पर हठधर्मिता का आरोप लगाते हुए विधानसभा परिसर में नारेबाजी कर रहे हैं. विधानसभा परिसर में नारेबाजी कर रहे इन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के इशारे पर दमन का आरोप लगाया है.
नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने हेमंत सरकार पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा है कि सरकार अपनी गलतियों को छुपाने के लिए विधायकों पर लाठियां बरसाती है और बिजली काटकर उन पर अत्याचार करती है. उन्होंने विपक्षी नेताओं को रातभर हुई परेशानी को मीडिया से साझा करते हुए कहा कि जिस तरह से उन्हें जबरन वेल से हटाया गया और उससे पहले एक घंटे तक बिजली काटकर विधायक को अंधेरे में रखने का काम किया गया, उससे साफ पता चलता है कि यह सरकार किस तरह तानाशाही अपना रही है. हम सदन में मुख्यमंत्री से सिर्फ 2019 में सरकार द्वारा किए गए वादों पर जवाब मांग रहे थे, लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई.
भाजपा विधायक और पार्टी के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने आंदोलन जारी रखने की बात करते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष जिस तरह से विधायकों के साथ व्यवहार कर रहे हैं, उससे साफ है कि वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के इशारे पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विपक्षी विधायकों को कल बुधवार को सदन के अंदर घंटों अंधेरे में रहना पड़ा और वहां का एसी काट दिया गया, यहां तक कि शौचालय की पानी की आपूर्ति भी बंद कर दी गई, जिससे काफी परेशानी हुई. इस दमनकारी सरकार के विरोध में लोग रात भर विधानसभा परिसर में बैठे रहे. हमारा आंदोलन आज भी जारी रहेगा और मुख्यमंत्री को सदन के अंदर जवाब देना होगा.
इस तरह आंदोलनकारी विधायकों ने बिताई रात
विधानसभा परिसर में आंदोलन कर रहे विपक्षी विधायकों की रात काफी दर्दनाक रही. एक तरफ मच्छरों का आतंक था तो दूसरी तरफ माननीय सुविधाओं की कमी से परेशान थे. इसके बावजूद राजनीति के चलते वे अपनी जिद पर अड़े रहे. कुछ विधायकों ने घर से खाना मंगवाया तो कुछ को पार्टी के संगठन मंत्री ने खाना भिजवाया.
भाजपा विधायक अर्पणा सेन गुप्ता का कहना है कि सरकार ने हम विधायकों के साथ जिस तरह का व्यवहार किया है, वह बेहद दुखद है. हमें मार्शल द्वारा जबरन सदन से बाहर निकाला गया और उससे पहले बिजली काटकर हमें अंधेरे में रखा गया. यह अत्याचार नहीं तो और क्या है? हमारी एकमात्र मांग मुख्यमंत्री से सदन में जवाब है, जिसका वादा उन्होंने 2019 में किया था. विधायकों के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया है, उसके खिलाफ आज युवा सड़कों पर हैं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंदोलन पर हैं, मुख्यमंत्री को हर हाल में जवाब देना होगा.
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